उ.प्र, बिहार, एम.पी, राजस्थान, हरियाणा में दीवाली‑छठ छुट्टियों से स्कूल बंद, 5‑6 दिन लगातार

उ.प्र, बिहार, एम.पी, राजस्थान, हरियाणा में दीवाली‑छठ छुट्टियों से स्कूल बंद, 5‑6 दिन लगातार

इस साल अक्टूबर में दीवाली 2025 के साथ छठ पूजा का जश्न भी मनाया जाएगा, जिसके कारण Uttar Pradesh Education Department और कई अन्य राज्य शिक्षा विभागों ने स्कूलों को पाँच‑छः लगातार दिन बंद करने का ऐलान किया है।

पारम्परिक पृष्ठभूमि और अब तक का कैलेंडर

दशकों से भारत में दीवाली‑छठ के मौसमी अवकाश स्कूल कैलेंडर में एक अहम स्थान रखते हैं। माह‑व्यापी विविधता के बावजूद, अधिकांश उत्तर‑पूर्वी राज्यों में बिहार और उत्तर प्रदेश में दुधती से लेकर छठ पूजन तक की छुट्टियाँ लगातार होती हैं। इस बार भी Bihar Education Department ने 18 अक्टूबर (शनिवार) से 23 अक्टूबर (गुरुवार) तक का छः‑दिवसीय शैक्षणिक ब्रेक योजना जारी की है।

राज्यवार विस्तृत बंद‑शेड्यूल

उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों को दशहरा (1‑2 अक्टूबर) और दीवाली (21‑23 अक्टूबर) के लिए क्रमशः दो‑तीन दिन की छुट्टी मिलेगी। दशहरा 2025 और गांधी जयंती का संगम 2 अक्टूबर को होने से दो‑तीन अतिरिक्त अवकाश बनेंगे।

  • द्वितीय शैक्षणिक सत्र: 1‑2 अक्टूबर (दशहरा)
  • दीवाली‑छुट्टियाँ: 21‑23 अक्टूबर

बिहार के लिए दानतरस (18 अक्टूबर) से लेकर छठ पूजा (27‑28 अक्टूबर) तक का विस्तृत कैलेंडर कुछ इस तरह है:

  • दानतरस: 18 अक्टूबर (शनिवार)
  • दीवाली: 20‑21 अक्टूबर (सोम‑मंगल) – दोनों तिथियों को कुछ विभागों ने अलग‑अलग घोषित किया है
  • छठ पूजा: 27‑28 अक्टूबर (सोम‑मंगल)

Madhya Pradesh Education Department ने भोपाल में 2‑3 अक्टूबर को दशहरा‑गांधी जयंती के कारण तीन‑दिन की छुट्टी बताई। राजस्थान में दीवाली, भाई दूज एवं गोवर्धन पूजा के लिए अलग‑अलग जिलों में तिथि‑निर्धारण अभी जारी होना बाकी है, लेकिन अधिकांश जिलों में 20‑23 अक्टूबर के बीच अवकाश की उम्मीद है। हरियाणा में वैल्मीकी जयंती (7 अक्टूबर) के साथ कई जिलों में गुरुग्राम‑फरीदाबाद में विस्तारित दीवाली‑ब्रेक का ऐलान किया गया है।

दिल्ली में Delhi Directorate of Education ने 29 सितंबर‑1 अक्टूबर की बंदी का निर्णय लिया, जबकि निजी स्कूलों के कैलेंडर में हल्का अंतर हो सकता है। महाराष्ट्र में 20‑25 अक्टूबर तक का दीवाली‑ब्रेक सबसे लंबा माना जा रहा है, जबकि तमिलनाडु में केवल 20 अक्टूबर (सोम) को ही स्कूल बंद रहेंगे।

विधायी एवं प्रशासनिक कारण

इन अवकाशों के पीछे मुख्य कारण दो‑तीन हैं: पहला, धार्मिक अनुष्ठानों की अवधि में छात्र‑अभिभावकों का सामाजिक भागीदारी। दूसरा, स्कूल प्रशासन की सुविधा के लिये लगातार छुट्टियों से शिक्षकों को वैकल्पिक प्रशिक्षण या परीक्षा पत्र तैयार करने का मौका मिलता है। तीसरा, कई राज्यों में शैक्षणिक कैलेंडर का आधी‑सालीन मोड़ (हाफ‑टर्म) अगस्त‑सितंबर में समाप्त हो जाता है, इसलिए अक्टूबर में अतिरिक्त अवकाश को हेड-ऑफ़‑सेज़न माना जाता है।

छात्रों और अभिभावकों पर वास्तविक प्रभाव

एकसर कॉलेज के प्राथमिक शिक्षक रमेश कुमार ने कहा, “छात्रों को दीवाली‑छठ की तैयारी में भाग लेने का समय मिलता है, लेकिन अचानक पाँच‑छह दिन की बंदी से खेलने‑कूदने वाले बच्चों के लिए शैक्षणिक रुकावट भी बनती है।” वहीं, पटना के एक माता‑पिता ने बताया कि “अवकाश के दौरान बच्चों के लिए अतिरिक्त ट्यूशन की आवश्यकता नहीं, पर लिये‑गए परीक्षा की तैयारी पर असर पड़ सकता है।”

व्यवहारिक तौर पर, कई स्कूलों ने बुकलेट्स में टॉपिक‑वाइज रिवीजन और असाइनमेंट की सूची प्रकाशित की है, ताकि लंबे ब्रेक के बाद क्लास‑रूम में रुकावट कम हो। इस पहल को कई अभिभावकों ने सराहनीय माना है।

विशेषज्ञों की राय और भविष्य की झलक

शिक्षा नीति विश्लेषक डॉ. निर्मला सिंह ने टिप्पणी की, “छुट्टियों का विस्तार सांस्कृतिक कारणों से जरूरी है, पर साथ‑साथ शैक्षणिक निरंतरता बनाए रखने के लिये स्कूलों को वैकल्पिक ऑनलाइन सत्र या प्रोजेक्ट‑आधारित लर्निंग प्रदान करनी चाहिए।” उन्होंने कहा, “भविष्य में राज्य सरकारें अवकाशों को राष्ट्रीय स्तर पर समन्वयित कर सकती हैं, जिससे एकरूपता और बेहतर नियोजन संभव हो सकेगा।”

राज्य‑स्तरीय शिक्षा विभागों ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि अगले वर्ष से डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से “डिजिटल कक्षा” की सुविधा दी जाएगी, ताकि दीवाली‑छठ के बाद छात्रों का लर्निंग लैग कम हो।

आगे क्या उम्मीदें?

अधिकांश स्कूलों ने बताया है कि 24‑29 अक्टूबर के बीच सत्र पुनः शुरू होगा, परन्तु कुछ निजी संस्थानों में अलग‑अलग तारीखें हो सकती हैं। विभागीय अधिकारियों ने कहा कि अंतिम शेड्यूल जुलाई‑अगस्त तक सभी जिलों को उपलब्ध करवा दिया जाएगा, जिससे अभिभावकों और छात्रों को उचित तैयारी का समय मिल सके।

  • निर्धारित पुनः शुरू तिथि: 24‑29 अक्टूबर 2025
  • डिजिटल लर्निंग मॉड्यूल जारी: सितंबर‑अक्टूबर 2025
  • भविष्य में राष्ट्रीय कैलेंडर समन्वय की सम्भावना

Frequently Asked Questions

दीवाली‑छठ के दौरान स्कूल क्यों बंद होते हैं?

दीवाली और छठ पूजा दोनों ही प्रमुख हिन्दू त्योहार हैं, जिनमें धार्मिक अनुष्ठानों और परिवारिक मिलन की आवश्यकता होती है। राज्य शिक्षा विभाग इन तिथियों को मौसमी अवकाश के रूप में मान्यता देते हैं, जिससे छात्रों और अभिभावकों को भाग लेने का समय मिल सके।

उ.प्र और बी.र में छुट्टियों की तिथियाँ क्या अलग‑अलग हैं?

हां, उत्तर प्रदेश ने 21‑23 अक्टूबर को दीवाली‑ब्रेक घोषित किया, जबकि बिहार में 20‑21 या 21‑22 अक्टूबर (सरकारी कैलेंडर पर निर्भर) तथा 18‑23 अक्टूबर तक का विस्तारित दानतरस‑छठ क्रम है। अलग‑अलग तिथियों का मुख्य कारण स्थानीय प्रशासनिक निर्णय और कैलेंडर समायोजन है।

छुट्टियों के दौरान क्या ऑनलाइन कक्षाएँ चलेंगी?

कई राज्यों ने बताया है कि दीवाली‑छठ अवधि के दौरान डिजिटल लर्निंग मॉड्यूल और असाइनमेंट उपलब्ध कराए जाएंगे। यह पहल छात्रों की शैक्षणिक गति बनाए रखने के लिये तय की गई है, लेकिन प्रत्येक स्कूल के अनुसार लागू करने का तरीका अलग हो सकता है।

छुट्टियों का छात्रों की परीक्षा तैयारियों पर क्या असर पड़ेगा?

लंबी छुट्टियों से कुछ छात्रों में रिवीजन की कमी हो सकती है, परन्तु कई स्कूलों ने रिवीजन गाइड और प्रैक्टिस पेपर जारी कर इस अंतर को भरने की कोशिश की है। अभिभावक और शिक्षक इस अवधि को घर में अतिरिक्त अभ्यास के लिए उपयोग करने की सलाह देते हैं।

अगले वर्ष इन छुट्टियों का कैलेंडर कैसे तय होगा?

वर्तमान में अधिकांश राज्य अपनी शैक्षणिक कैलेंडर जुलाई‑अगस्त में जारी करेंगे। विशेषज्ञों के सुझाव के अनुसार, आने वाले वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर एक समान तिथियों का समन्वय संभव हो सकता है, जिससे छात्रों और शिक्षकों को अधिक स्पष्टता मिलेगी।

टिप्पणि (10)

  1. Ratna Az-Zahra
    Ratna Az-Zahra

    अभ्यासिक रूप से दीवाली‑छठ की लंबी छुट्टियों से पढ़ाई में व्यवधान होगा, यह तो सबको पता है।

  2. Nayana Borgohain
    Nayana Borgohain

    छुट्टी की सौगंध में ज्ञान के दीप जलाते हैं, पर टीचर को भी 🌟 चाहिए! 😜

  3. Abhishek Saini
    Abhishek Saini

    भाइयों और बहनों, थोड़ा‑बहुत रिवीजन घर पे कर लेना, फिर स्कूल में तेज़ी से पकड़ बना सकते हैं।

  4. Parveen Chhawniwala
    Parveen Chhawniwala

    आप लोग सोचते हैं छुट्टी सिर्फ मज़े के लिए है, लेकिन वास्तव में ये टाइम‑टेबल के अनुसार ही तय किया जाता है, इसलिए गणितीय रूप से भी इसका असर पढ़ाई पर पड़ता है।

  5. Saraswata Badmali
    Saraswata Badmali

    शिक्षा नीति के संदर्भ में दीवाली‑छठ अवकाश को एक "सिंक्रोनाइज़्ड शैक्षणिक इंटेम्पोरल विंडो" कहा जा सकता है।
    इस विंडो का प्रमुख कार्यविधि "स्मार्ट थ्रेड मैनेजमेंट" द्वारा लर्निंग लॅग को न्यूनतम करना है।
    परन्तु कई स्टेटस एन्हांसमेंट मॉडल्स में यह दिखाया गया है कि लगातार पाँच‑छह दिन की निरोधात्मक अवकाश "इंटेग्रेटेड असिन्क्रोनस लर्निंग इम्पैक्ट" को बढ़ावा देता है।
    फिलहाल, स्कूली इकाइयों को "डिज़िटली ट्रांसफ़ॉर्म्ड एप्रोच" अपनाने की सिफ़ारिश की गई है।
    ऐसे एप्रोच में "फ्लेक्सिबल मॉड्यूल एग्जीक्यूशन" और "एडैप्टिव कंटेंट डिस्पैचर" प्रमुख घटक हैं।
    वहां से "प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स" के माध्यम से छात्र‑अभिभावक सहभागिता को मॉनिटर किया जा सकता है।
    विचारधारा के अनुसार, यदि इस अवधि में "कंटेंट डिलीवरी फ्रेमवर्क" सही ढंग से लागू नहीं हुआ तो "शैक्षणिक इंटेग्रिटी" पर नकारात्मक असर हो सकता है।
    इसी कारण, कई राज्य शिक्षा विभाग "हाइब्रिड पेड़-ट्रेंड मॉडल" को वैकल्पिक उपाय के रूप में प्रस्तावित कर रहे हैं।
    इसके अतिरिक्त, "माइक्रो‑लर्निंग साइकिल्स" को डिज़ाइन करके छात्र‑स्तर पर गैप को पाटने की कोशिश की जा रही है।
    जबकि "एडवांस्ड लर्निंग अनालिटिक्स" दर्शाते हैं कि टॉपिक‑वाइज रिवीजन का प्रभाव "अवधि‑आधारित प्रोफ़ाइलिंग" में स्पष्ट है।
    इसलिये, शिक्षकों को चाहिए कि वे "आउट‑ऑफ़‑स्कूल इंटेरेक्टिव सत्र" को स्ट्रैटेजिक रूप से शेड्यूल करें।
    साथ ही, "पेरेंट‑इन्गेजमेंट प्लेटफ़ॉर्म" को एक्टिवेट करके अभिभावकों को रिवीजन टास्क सौंपा जा सकता है।
    डिजिटल इकोसिस्टम में "डेटा‑ड्रिवन फीडबैक लूप" स्थापित करना अनिवार्य है।
    अंत में, यह कहा जा सकता है कि दीवाली‑छठ की अवधि को "एजाइल एजुकेशनल फ्रेमवर्क" के भीतर पुनः विचार करना आवश्यक है।
    यह फ्रेमवर्क न केवल लर्निंग लॅग को घटाता है, बल्कि शैक्षणिक निरंतरता को भी सुदृढ़ करता है।
    इस प्रकार, नीति-निर्माताओं को चाहिए कि वे "जियो‑एजुकेशन स्केलेबिलिटी" को प्राथमिकता दें।

  6. sangita sharma
    sangita sharma

    हम सब को यह समझना चाहिए कि छुट्टियों में बच्चों को सामाजिक और धार्मिक जिम्मेदारियों का बंधन मिलता है, इसलिए शिक्षा को तभी सफल कहा जा सकता है जब यह जीवन के व्यापक आयामों को समाहित करे।

  7. PRAVIN PRAJAPAT
    PRAVIN PRAJAPAT

    अरे, ये तो बस टकटकी वाला बहाना है; असल में छुट्टियों से स्कूल की प्रगति में देरी होती है, और यही तथ्य है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

  8. shirish patel
    shirish patel

    हाहाह, देरी? तो फिर क्यों नहीं डिजिटल क्लासेस चलाते, फिर भी ऐसा करना तो सरल लगता है, पर अरे भाई, इतना सरल नहीं। 🙄

  9. srinivasan selvaraj
    srinivasan selvaraj

    छुट्टियों की वही फ़िल्मी कहानी सुनते‑सुनते मन थक जाता है, पर असली ज़िन्दगी में ये आँसू‑सफेद काग़ज़ के पन्ने नहीं होते।
    जब बच्चा घर में रहता है, तो वह अपने बड़ों की भावनात्मक ज़रूरतों को भी महसूस करता है।
    वहीँ एक ओर, माता‑पिता की मनोस्थिति भी इस दौरान बहुत बदलती है, क्योंकि उनके लिये भी त्योहार का माहौल सबसे बड़ा तनाव बन जाता है।
    शिक्षा प्रणाली को चाहिए कि वह इन मनो‑वैज्ञानिक पहलुओं को भी अपने शेड्यूल में शामिल करे।
    नहीं तो तकलीफ़ें और गहरी हो जाएँगी, और छात्र‑अभिभावक दोनों ही इस जलते हुए चक्र में फँस जाएँगे।
    इसलिए, हम सभी को चाहिए कि हम केवल काग़ज़ी छुट्टियों को न देखे, बल्कि उस पर छिपी सामाजिक ऊर्जा को भी समझे।
    ये ऊर्जा जब सही दिशा में मोड़ दी जाए तो परिणाम वाक़ई में सकारात्मक होंगे।
    छुट्टी के बाद की तैयारी में शिक्षक की भूमिका भी उल्लेखनीय होगी, क्योंकि वहीँ से पुनः गति मिलती है।
    अंततः, हमें यह याद रखना चाहिए कि समय का पहिया घूमता है, और हम सब को इस प्रवाह के साथ चलना है।
    नहीं तो हम अपनी ही कहानी का नायक नहीं बन पाएँगे।

  10. Ravi Patel
    Ravi Patel

    जैसे ही छुट्टियों का समय समाप्त होगा, चलिए साथ मिलकर रिवीजन प्लान बनाते हैं, ताकि बच्चे आसानी से फिर से क्लासरूम में ढल सकें।

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