लोणावळा जलप्रपात त्रासदी: लापता बच्चों में से एक का शव बरामद

लोणावळा जलप्रपात त्रासदी: लापता बच्चों में से एक का शव बरामद

लोणावळा जलप्रपात में भारी बारिश का कहर

रविवार को लोणावळा के भुशी डैम के पास भारी बारिश के चलते एक दर्दनाक घटना सामने आई जब पुणे के हडपसर क्षेत्र के सैयद नगर से आये अंसारी परिवार के 16-17 सदस्य पानी के तेज बहाव में बह गए। ये परिवार एक निजी बस किराए पर लेकर पिकनिक के लिए यहाँ आया था। इस हादसे ने पूरे इलाके में मातम का माहौल पैदा कर दिया है।

पिकनिक का दिन बना दुःस्वप्न

यह परिवार कुछ दिन पहले मुंबई में एक शादी में शामिल होने के बाद पिकनिक मनाने लोणावळा आया था। परिवार के सदस्य भुशी डैम के पास की जलप्रपात को देखने आए थे, लेकिन अचानक पानी का बहाव इतना तेज हो गया कि वे संभल नहीं पाए। एक दिल दहला देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें 9-10 लोग एक तेज बहाव के बीच फंसे हुए नजर आ रहे हैं और मदद के लिए चिल्ला रहे हैं।

रेस्क्यू ऑपरेशन

रविवार को पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवक घटना स्थल पर पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। इन प्रयासों के दौरान शाहीस्ता लियाकत अंसारी (36), अमीमा आदिल अंसारी (13) और उमेरा आदिल अंसारी (8) के शवों को जलाशय से बरामद किया गया। सोमवार को एक और बच्ची मारिया अंसारी (9) का शव भी निकाला गया जबकि चार वर्षीय अदनान सबहात अंसारी की तलाश जारी रही।

परिवार की पीड़ा

परिवार की पीड़ा

घटनास्थल पर पूरा परिवार गमगीन था। परिवार के सदस्य समझ नहीं पा रहे थे कि कैसे एक पिकनिक जिसने उनकी खुशियों को बढ़ाया था, उनके लिए इतनी बड़ी त्रासदी बन गई। यह घटना उन सभी के लिए एक बुरी यादों में तब्दील हो गई है।

प्रशासन की चेतावनियाँ और अनदेखी

इस घटना ने बताया कि मानसून के दौरान अज्ञात और अनियमित स्थानों पर जाना कितना जोखिम भरा हो सकता है। बावजूद इसके, बहुत से लोग प्रहरी और स्थानीय प्राधिकरण द्वारा किए गए चेतावनियों पर ध्यान नहीं देते।

हदसा के दिन बड़े पैमाने पर भीड़

रविवार को लोणावळा में 50,000 से अधिक लोग इकट्ठा हुए थे, जिसके चलते प्रशासन को भीड़ नियंत्रण में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बारिश के मौसम में भारी संख्या में पर्यटक भुशी डैम और पवना डैम क्षेत्रों का दौरा करते हैं लेकिन सुरक्षित यात्रा के लिए कोई उचित तैयारी नहीं करते।

सावधानियाँ बरतने की जरूरत

सावधानियाँ बरतने की जरूरत

प्रत्येक बरसात के मौसम में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचने के लिए प्रशासन और आम जनता को सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए। प्राकृतिक स्थानों पर जाते समय हमेशा सतर्क रहें और प्रशासन की हर चेतावनी को गंभीरता से लें।

आगे की कार्रवाई

पुलिस और प्रशासन इस पूरे मामले की गहन जांच कर रहे हैं। यह सुनिश्चित करने के प्रयास जारी हैं कि भविष्य में ऐसी ह्रदयविदारक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। इस प्रकार की घटनाओं से सीख लेते हुए हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए। सुरक्षा और सावधानी हमें प्राकृतिक आपदाओं से बचा सकती हैं।

टिप्पणि (10)

  1. Lakshmi Rajeswari
    Lakshmi Rajeswari

    ये सब तो बस एक बड़ा षड्यंत्र है! डैम के पास बारिश के बाद लोग जाने नहीं देते, पर फिर भी इतनी भीड़ क्यों? सरकार ने जानबूझकर चेतावनी नहीं दी, ताकि लोग डूबें और उनकी जमीन ले सकें! ये तो नस्लों का सफाया है, बस इतना ही। आप सब ये सोच रहे होगे कि बारिश हुई, पर नहीं... ये इंजीनियरिंग वाला अपराध है। बस अभी तक कोई नहीं पूछ रहा कि डैम के गेट्स किसने खोले? और क्यों? क्योंकि वो लोग जानते थे कि ये आएंगे।

  2. Sini Balachandran
    Sini Balachandran

    कभी-कभी लगता है कि हम सब बस एक बूंद हैं... जो किसी नदी के बहाव में बह रही है। बारिश ने तो बस एक निशान छोड़ा... असली बात ये है कि हमने अपने अंदर की भूख को भूल गए। जब तक हम खुशियों की तलाश में नदियों के किनारे नहीं जाएंगे, तब तक ये दुख बरकरार रहेगा। ये घटना हमें याद दिलाती है कि जीवन का मतलब नहीं, बल्कि जीवन का अनुभव है।

  3. Sanjay Mishra
    Sanjay Mishra

    अरे भाई! ये तो बस एक बड़ा बॉलीवुड ड्रामा है! एक परिवार जो पिकनिक पर गया... बारिश हुई... जलप्रपात में बह गए... और अब सब रो रहे हैं! लेकिन यार, ये वीडियो तो जैसे कोई फिल्म का सीन हो! किसने फिल्माया? क्या ये सब एक ट्रेनिंग एक्सरसाइज़ था? अगर नहीं तो ये तो बस एक जानलेवा बेवकूफी है! और फिर भी लोग जाते हैं? भाई, जिंदगी तो बस एक फिल्म है... लेकिन इसमें असली डायलॉग नहीं, बस ड्रामा है।

  4. Ashish Perchani
    Ashish Perchani

    मैं इस घटना के बारे में अत्यधिक गंभीरता से विचार कर रहा हूँ। यह एक व्यापक सामाजिक और नैतिक विफलता का प्रतीक है। जब निजी बसों के माध्यम से अनियंत्रित भीड़ नियमित रूप से प्राकृतिक स्थलों पर जाती है, तो यह स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता का संकेत है। विनियमन की अनदेखी, असुरक्षा के बावजूद अनुमति देना, और चेतावनियों का अनदेखा करना-ये सभी एक व्यवस्थित विफलता के लक्षण हैं। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एक राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की आवश्यकता है।

  5. Dr Dharmendra Singh
    Dr Dharmendra Singh

    ये बहुत दर्दनाक है... 😔 लेकिन अगर हम सब थोड़ा और सावधान रहें, तो ऐसी बातें नहीं होतीं। बारिश के दिन डैम के पास न जाएं, ये बहुत आसान बात है। बस एक बार खुद को रोक लें... बच्चों के लिए। ये जिंदगी का सबसे बड़ा सबक है। ❤️

  6. sameer mulla
    sameer mulla

    अरे भाई! ये सब तो बस लोगों की बेवकूफी है! तुम लोग अपने बच्चों को लेकर जंगल में जाते हो, बारिश के दिन, और फिर रोते हो? ये तो बस अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए नहीं आते! तुम लोगों को बच्चों की जिम्मेदारी कौन सिखाएगा? तुम लोग अपने घर में भी नहीं देख पाते, फिर बाहर क्या चाहते हो? अब तो लोग जाने लगे हैं कि ये बच्चे किसके लिए जी रहे हैं! तुम लोग अपने बच्चों के लिए जिंदगी जी रहे हो? नहीं! तुम लोग अपने इंस्टाग्राम के लिए जी रहे हो! 🤬

  7. Prakash Sachwani
    Prakash Sachwani

    बारिश हुई बच्चे बह गए अब जाने दो

  8. Pooja Raghu
    Pooja Raghu

    ये सब गुप्त एजेंसी का काम है। बारिश नहीं, वो डैम के नीचे बिछाए गए वायर्स ने पानी को तेज कर दिया। वो लोग जो बच गए, वो सब उनके साथी हैं। तुम लोगों को लगता है ये बारिश का दुर्घटना है? नहीं... ये एक टेस्ट है। एक ऐसा टेस्ट जिसमें लोग अपनी भावनाओं को खो देते हैं। और फिर उनके बच्चे गायब हो जाते हैं। तुम लोग ये नहीं देख पा रहे? ये तो सब बहुत साफ है।

  9. Pooja Yadav
    Pooja Yadav

    मैं इस परिवार के लिए बहुत दुखी हूँ। बच्चों को खोना इतना कठिन होता है... लेकिन अगर हम सब थोड़ा और सावधान रहें, तो ऐसी बातें नहीं होतीं। मैं अपने दोस्तों को भी बता रही हूँ कि बारिश के दिन डैम के पास न जाएं। बस एक बार रुक जाएं... और सोच लें। बच्चों के लिए।

  10. Pooja Prabhakar
    Pooja Prabhakar

    अरे यार, ये सब तो बस एक बड़ा बेवकूफी का नाटक है! लोगों को बारिश के दिन डैम के पास जाने की अनुमति क्यों दी गई? ये तो एक नियमित अपराध है! और फिर जब बच्चे डूब गए, तो सब रोने लगे! अरे भाई, तुम लोगों को तो बच्चों की जिम्मेदारी नहीं समझनी आती! तुम लोग अपने बच्चों को लेकर जंगल में जाते हो, बारिश के दिन, और फिर रोते हो? ये तो बस अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए नहीं आते! तुम लोग अपने घर में भी नहीं देख पाते, फिर बाहर क्या चाहते हो? अब तो लोग जाने लगे हैं कि ये बच्चे किसके लिए जी रहे हैं! तुम लोग अपने बच्चों के लिए जिंदगी जी रहे हो? नहीं! तुम लोग अपने इंस्टाग्राम के लिए जी रहे हो! और फिर ये सब चेतावनी? अरे भाई, जब तक तुम लोग अपनी आलसी नींद से नहीं उठोगे, तब तक ये घटनाएं दोहराएंगी! ये तो बस एक बड़ा चक्र है! जो तब तक चलता रहेगा जब तक तुम लोग अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं करोगे!

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