बेटी दिवस: क्यों और कैसे मनाएँ?
जब हम बेटी दिवस, 9 जनवरी को भारत में मनाया जाने वाला राष्ट्रीय अवसर, जो लड़कियों के अधिकार, सुरक्षा और विकास पर प्रकाश डालता है का जिक्र करते हैं, तो साथ ही बेटी दिवस को याद रखना चाहिए। इसे अक्सर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के व्यापक मिशन के साथ जोड़ा जाता है। इस माह के मुख्य स्तंभ हैं बेटी बचाओ योजना, एक सरकारी पहल जो गर्भवती महिलाओं को आर्थिक प्रोत्साहन देती है, ताकि गर्भपात घटे और बालिका जन्म को प्रोत्साहन मिले और बेटी पढ़ाओ योजना, शिक्षा में लैंगिक अंतर को पाटने के लिए छात्रवृत्तियों, स्कूल सुविधाओं और मध्यस्तरीय पाठ्यक्रम सुधारों को लागू करती है। दोनों योजनाएँ महिला सशक्तिकरण, समाज में महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से सक्षम बनाने की प्रक्रिया के बड़े लक्ष्य से गूँथी हुई हैं।
इतिहास की एक झलक दें तो, 2005 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को राष्ट्रीय अभियान के रूप में शुरू किया, और 2015 में इसको 9 जनवरी को बेटी दिवस के रूप में औपचारिक रूप दिया गया। स्कूलों में विशेष सत्र, नाबालिग लड़कियों के लिए स्वास्थ्य जांच और सामुदायिक कार्यशालाएँ इसे जीवंत बनाते हैं। कई NGOs ने इस दिन को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियानों को तेज किया, जहाँ अक्सर लिंगभेद की गहरी जड़ें रहती हैं।
संख्या-परक प्रभाव देखना भी रोचक है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के 2024 डेटा के अनुसार, बेटी बचाओ योजना के कारण गिरावट दर में 12% की कमी आई, जबकि बेटी पढ़ाओ योजना की सहायता से छात्रावास में दाखिला लेने वाली लड़कियों की संख्या पिछले पाँच वर्षों में 35% बढ़ी। स्वास्थ्य के क्षेत्र में, गर्भकालीन देखभाल के लिए आयी अतिरिक्त प्री‑नैटल देखभाल से नवजात शिशु मृत्यु दर में 8% गिरावट दर्ज हुई। यह सभी संकेत देते हैं कि बेटी दिवस केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि वास्तविक सामाजिक बदलाव का मील का पत्थर बन रहा है।
फिर भी चुनौतियाँ खुद को दिखाती रहती हैं। कुछ क्षेत्रों में अभी भी बाल विवाह, शिक्षा में असमानता और सुरक्षा संबंधी मुद्दे बने हुए हैं। मीडिया की भूमिका नज़रअंदाज़ नहीं की जा सकती; सकारात्मक कहानियों की प्रस्तुति और नकारात्मक व्यवहारों की कड़ी आलोचना दोनों ही आवश्यक हैं। परिवारों को भी अपने सोच‑धाराओं को अपडेट करने की जरूरत है – बेटी को केवल घर की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि करियर और स्वतंत्रता के अवसरों का भी हक़दार मानना चाहिए।
इन सभी पहलुओं को समझने के बाद, आप नीचे दी गई लेखों में पढ़ेंगे कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों – खेल, राजनैति, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा – में "बेटी दिवस" के संदेश को लागू किया जा रहा है। आगे के लेख आपको प्रेरणा देंगे, चाहे आप छात्र हों, शिक्षक, नीति‑निर्माता या सामान्य नागरिक। अब आइए, इस संग्रह में डुबकी लगाएँ और देखें कि देश भर में "बेटी दिवस" को कैसे जिया और मनाया जा रहा है।