फिल्म 'कंगुवा' की हुई धमाकेदार रिलीज
तमिल फिल्मों के सुपरस्टार सूर्या और बॉलीवूड अभिनेता बॉबी देओल की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'कंगुवा' हाल ही में सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। इस फिल्म ने अपनी रिलीज के पहले ही दिन से सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया है। हर किसी की अंदाज़ा था कि यह फिल्म भव्यता और मनोरंजन का संगम होगी, और यह फिल्म उस पर पूरी तरह खरी भी उतरी है। 'कंगुवा' को सिवा द्वारा निर्देशित किया गया है, जो पहले भी सूर्य के साथ कई सुपरहिट फिल्में कर चुके हैं। इस फिल्म को स्टूडियो ग्रीन और UV क्रिएशन्स द्वारा निर्मित किया गया है और इसका बजट भी काफी विशाल, यानी कि 300 करोड़ रुपए का बताया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर प्रशंसा और आलोचना दोनों का दौर
जैसे ही फिल्म दर्शकों के सामने आई, ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिक्रियाओं का मानो तांता ही लग गया। कुछ दर्शकों ने इसे सूर्या के करियर की बेहतरीन फिल्मों में से एक बताया है। वे सूर्या की दोगुनी भूमिका की तारीफ करते नहीं थक रहे, जिसमें उन्होंने ऐतिहासिक और आधुनिक समयकाल को बखूबी निभाया है। वहीं फिल्म के एक्शन सीन और देवी श्री प्रसाद के संगीत ने लोगों का खासा ध्यान खींचा है। सोशल मीडिया पर लोग इसे एक ‘एपिक ब्लॉकबस्टर’ और ‘स्पेक्टacular मास्टरपीस’ जैसे नामों से नवाज़ रहे हैं।
इसके बावजूद, हर कोई इस फिल्म से संतुष्ट नहीं है। कुछ दर्शकों का कहना है कि फिल्म की लंबाई थोड़ी ज्यादा है और इसका पटकथा कमजोर है। 150 मिनट की फिल्म होते हुए भी उन्हें इसे देखना थकाऊ महसूस हुआ। कुछ ने वर्तमान समय के भागों को ‘कृंज’ बताकर उनकी आलोचना की है। कुछ लोगों ने इसे निष्कर्षात्मक रूप से यह भी कहा कि फिल्म का भावनात्मक पहलू कमजोर है और उसमें कुछ अनावश्यक दृश्य डाले गए हैं।
ज़बरदस्त प्रदर्शन से बढ़ा सूर्या का रुतबा
फिल्म में सूर्या के प्रदर्शन की चर्चा भी बेमिसाल रही। लोग इस बात से अत्यधिक प्रभावित हुए कि कैसे उन्होंने फिल्म को अपने कंधों पर संभाला और एक ‘वन मैन शो’ के तौर पर फिल्म को सवांरा। उनकी भावनाओं की अभिव्यक्ति, गहन दृश्यों में उनकी मौजूदगी, और संवादों की प्रस्तुति की जमकर तारीफ हो रही है। फिल्म में बॉबी देओल ने एक प्रमुख भूमिका निभाई है और उनका किरदार भी दर्शकों को आकर्षित करने में कामयाब रहा, जिससे उनकी तमिल फिल्म में शानदार शुरुआत उतर गई है।
फिल्म की भव्यता और संगीत ने बटोरे प्रशंसा
फिल्म की भव्यता और दृश्यात्मकता की भी खासी तारीफ हो रही है। निर्देशक सिवा ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रत्येक दृश्य प्रभाव डालने वाली हो। फिल्म के दृश्य बहुत ही शानदार तरीके से शूट किए गए हैं, और VFX का भी बेजोड़ उपयोग किया गया है। देवी श्री प्रसाद का संगीत फिल्म को और भी खींचाऊ बना देता है। उनकी धुनें और बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की लय को बनाए रखने में सहायक रहा है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि 'कंगुवा' ने दर्शकों को बाँधने के लिए विभिन्न तत्वों का उपयोग किया है, लेकिन इसकी लंबाई और स्क्रिप्ट को बेहतर किया जा सकता था। यह फिल्म निश्चित ही सूर्या के प्रशंसकों के लिए एक बड़ा तोहफा है, जो उन्हें एक्शन और ड्रामा के साथ एक मनोरंजक अनुभव प्रदान करता है। फिल्म में शामिल अन्य कलाकारों जैसे योगी बाबू, रेडिन किंग्सली, नटराजन सुब्रमण्यम, कोवई सरला और के. एस. रविकुमार ने भी अपने किरदारों के साथ इंसाफ किया है।
फिल्म 'कंगुवा' में बॉबी देओल और दिशा पटानी की नई शुरुआत
इस फिल्म के माध्यम से बॉबी देओल और दिशा पटानी ने तमिल सिनेमा में अपनी शुरुआत की है। बॉबी देओल का दमदार व्यक्तित्व और दिशा पटानी की अदाकारी का असर भी फिल्म में दिखता है। दोनों ही ने अपने अपने किरदारों में ठीक से ढल कर अपनी छाप छोड़ी है। दर्शक उनके प्रदर्शन पर सकारात्मक रिएक्शन दे रहे हैं और उनका तमिल सिनेमा में स्वागत कर रहे हैं। उनकी उपस्थिति ने फिल्म को और भी दिलचस्प बना दिया है।
कुल मिलाकर, 'कंगुवा' ने अपने दर्शकों के सामने मनोरंजन का खजाना प्रस्तुत किया है। हालांकि स्क्रिप्ट और लंबाई की कुछ मुद्दों को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन कुल मिलाकर इसे एक देखने लायक फिल्म माना जा सकता है। इस फिल्म का स्वागत दर्शकों के जहन में इस तरह हुआ है कि इससे सूर्या और उनकी टीम के प्रति दर्शकों का प्रेम और भी बढ़ा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म किस तरह का प्रदर्शन करती है।
ये फिल्म तो देखकर लगा जैसे सूर्या ने अपनी पूरी जिंदगी का एहसास एक फिल्म में डाल दिया है। दोनों भूमिकाएं इतनी अलग-अलग थीं और फिर भी एक जैसी लग रहीं... बस बहुत बढ़िया। 😊
अरे यार ये फिल्म किस चीज़ की बात कर रही है? 150 मिनट में दो अलग जमाने की कहानी? बस एक बार फिर सूर्या के नाम से बजट खर्च करके लोगों को धोखा दिया गया। पटकथा तो बिल्कुल बेकार है। 😒
ये सब बातें तो बस एक बड़े धोखे का हिस्सा है... जब तक तमिल फिल्में बॉलीवुड के बजट और वीएफएक्स पर निर्भर नहीं हो जातीं, तब तक ये नकली एपिक फिल्में बनती रहेंगी। देवी श्री प्रसाद का संगीत तो बहुत अच्छा है, लेकिन ये सब बस एक झूठे धुआं है।!!!
अगर तुम एक फिल्म को देखकर बोर हो गए, तो शायद तुम्हारे अंदर का अनुभव नहीं जागा। सूर्या ने एक ऐसा चरित्र बनाया जिसे देखकर तुम खुद को ढूंढ लोगे। ये फिल्म तुम्हारे लिए नहीं, उन लोगों के लिए है जो जीवन के गहरे पहलूओं को देखने को तैयार हैं। देखो और बदल जाओ।🔥
फिल्म अच्छी है, लेकिन लंबाई ज्यादा है। अगर दूसरे भाग को हटा दिया जाए तो ये एक क्लासिक हो जाती। बॉबी देओल का किरदार थोड़ा बेकार लगा, बाकी सब ठीक है।
ये फिल्म तो सूर्या का जीवन बदल देगी!!! देवी श्री प्रसाद का संगीत तो बस दिल को छू गया... वीएफएक्स भी बहुत बढ़िया!! ये फिल्म इंडिया के लिए एक नया मानक लाएगी!!! 🙌💥
कंगुवा? ये तो बस एक बड़ा ब्रांडिंग वाला धोखा है! बॉबी देओल को तमिल फिल्म में क्यों डाला? ये सब बॉलीवुड के लोगों का भारत को जीतने का षड्यंत्र है! और दिशा पटानी को भी डाल दिया... ये फिल्म तो एक राजनीतिक अभियान है! 🇮🇳🔥
मुझे लगता है कि फिल्म की लंबाई उसकी शक्ति है। जब तुम एक व्यक्ति के जीवन के दो अलग पहलुओं को देखते हो, तो उसे जल्दी नहीं खत्म किया जा सकता। सूर्या का प्रदर्शन ऐसा है जैसे वो खुद ही इस फिल्म का हिस्सा हो गए हों। ये देखने के बाद मैं खुद को बदलने के लिए तैयार हूँ।
इस फिल्म को देखकर मुझे तमिल संस्कृति के गहरे तत्वों के बारे में बहुत कुछ समझ आया। वो दृश्य जहां गांव की जीवनशैली दिखी, वो तो मैंने कभी नहीं देखा था। और फिर आधुनिक समय के दृश्य... ये दोनों के बीच का संघर्ष और समायोजन बहुत गहरा था। ये फिल्म सिर्फ मनोरंजन नहीं, एक सांस्कृतिक दस्तावेज है।
मैंने फिल्म देखी, बहुत अच्छी लगी। बॉबी देओल का किरदार थोड़ा कमजोर था, लेकिन वो भी ठीक था। बस ये कहना चाहूंगा कि लोग ज्यादा आलोचना न करें। फिल्म बनाना आसान नहीं होता।
अगर तुम फिल्म की लंबाई के बारे में शिकायत कर रहे हो, तो शायद तुमने उसके बीच के दृश्यों को नहीं देखा। वो दृश्य जहां सूर्या अपने पुराने भाई से बात कर रहा है, वो तो दिल छू गया। और देवी श्री प्रसाद का संगीत? वो तो बस जादू था। एक बार फिर से देखो, और धीरे से देखो। 🎵❤️
ये सब बकवास है! सूर्या की फिल्में तो हमेशा बहुत बड़ी होती हैं, लेकिन इस बार तो बॉलीवुड ने उसे खरीद लिया है। बॉबी देओल? दिशा पटानी? ये सब बस एक बड़ा जाल है। तमिल सिनेमा को बर्बाद कर रहे हो। ये फिल्म एक नकली निर्माण है।
मैंने ये फिल्म देखी... और फिर एक घंटे तक चुप बैठी रही। ये फिल्म ने मुझे एक सवाल पूछा: क्या हम अपने अतीत को भूल सकते हैं? क्या हम अपने भविष्य के लिए अपने अतीत को बर्बाद कर सकते हैं? ये सवाल बस एक फिल्म में नहीं, हमारी जिंदगी में भी है।