सेक्शन 44AB के अंतर्गत आयकर ऑडिट रिपोर्ट की समयसीमा
वित्त वर्ष 2024‑25 (आकलन वर्ष 2025‑26) के लिए आयकर विभाग ने सेक्शन 44AB के तहत ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की मूल तिथि 30 सितंबर 2025 रखी थी। यह सीमा सभी करदाता पर लागू होती है जिनके व्यवसाय या पेशे में निर्दिष्ट टर्नओवर सीमा से अधिक है, या जिनसे खातों का रख‑रखाव अनिवार्य है। रिपोर्ट को आयकर रिटर्न (ITR) के साथ या उससे पहले अपलोड करना अनिवार्य है, नहीं तो रिटर्न को अपूर्ण या अमान्य माना जा सकता है।
ऑडिट आवश्यकता वाले दो प्रमुख वर्ग हैं:
- कॉर्पोरेट एवं गैर‑कॉर्पोरेट करदाता जिनका टर्नओवर निर्धारित सीमा से अधिक है (जैसे व्यापार, उत्पादन, प्रोफेशनल सेवाएँ)।
- वे करदाता जो ट्रांसफर प्राइसिंग रिटर्न आदि विशेष रिटर्न दायर कर रहे हैं।
इन समूहों के लिए मूल रूप से ITR की जमा तिथि 31 अक्टूबर 2025 थी, जबकि ऑडिट‑रहित करदाताओं के लिये 16 सितंबर 2025 तक विस्तार दिया गया था, क्योंकि पोर्टल में तकनीकी गड़बड़ी सामने आई थी।

तकनीकी समस्याएँ, कोर्ट का हस्तक्षेप और संभावित परिणाम
ऑडिट रिपोर्ट जमा करने के करीब कई राज्य‑स्तर की चार्टर्ड अकाउंटेंट संघटनें इ‑फ़ाइलिंग पोर्टल में लगातार आने वाली त्रुटियों की शिकायत कर रही थीं। कर्नाटक स्टेट चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन (KSCAA) ने 24 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री कार्यालय को एक प्रतिनिधित्व भेजा, जिसमें पोर्टल में बार‑बार आउटेज, यूटीलीटी रिलीज़ में देरी और कई निर्धारित नियमन के टकराव को उजागर किया गया। इसी तरह जालंधर की चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन ने वित्त मंत्रालय से विस्तार की माँग की।
इन बाधाओं को देखते हुए, टैक्स बार एसोसिएशन द्वारा दायर एक सार्वजनिक हित याचिका पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने 24 सितंबर 2025 को अंतरिम आदेश जारी किया। कोर्ट ने केंद्रीय आयकर बोर्ड (CBDT) को निर्देश दिया कि वह ऑडिट रिपोर्ट की जमा तिथि को 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दे, जिससे करदाता और उनके पेशेवर दोनों को पर्याप्त समय मिल सके। इस आदेश ने कई छोटे एवं मध्यम उद्यमों को भारी राहत प्रदान की, क्योंकि उन्होंने पहले ही अपनी आयकर रिटर्न तैयार कर रखी थी, लेकिन ऑडिट रिपोर्ट अपलोड नहीं कर पाते थे।
यदि करदाता निर्धारित नई तिथि तक रिपोर्ट नहीं जमा करते, तो कई गंभीर दण्ड उनसे जुड़ सकते हैं:
- आयकर अधिनियम की धारा 139(9) के तहत ITR को ‘अमान्य’ घोषित किया जा सकता है, जिससे पुनः दायर करने पर अतिरिक्त दंड लग सकता है।
- निरंतर विलंब से सालभर की कैरी‑फ़ॉरवर्ड लॉस, बीइजीडी इंट्रेस्ट आदि पर भी नुकसान हो सकता है।
- वित्त विभाग द्वारा नोटिस, ब्याज, और 10 % तक के दण्ड की सम्भावना रहती है।
वर्तमान में, भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान (ICAI) ने भी समय सीमा में और लचीलापन माँगा है। वे तर्क दे रहे हैं कि तकनीकी समस्याओं के कारण कई छोटे व्यवसायों को नियमन का पालन करना असम्भव हो रहा है, और यदि बिना उचित विस्तार के दण्ड लगाया गया तो मौलिक न्याय सिद्धान्तों पर प्रश्न उठेंगे।
समग्र रूप से, करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स कंसल्टेंट से तुरंत संपर्क करें, पोर्टल में मिल रही त्रुटियों को स्क्रीनशॉट के साथ दर्ज करें, और कोर्ट के आदेश के आधार पर नई तिथि 31 अक्टूबर 2025 को ध्यान में रखकर अपना ऑडिट रिपोर्ट अपलोड करें। इससे किसी भी संभावित देरी या दण्ड से बचा जा सकता है।
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