भारत-बांग्लादेश पहले टेस्ट पर खिलाड़ी चयन की समीक्षा
भारतीय क्रिकेट टीम के प्रमुख खिलाड़ी, श्रेयस अय्यर और मोहम्मद शमी को बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट मैच से बाहर कर दिया गया है। यह निर्णय भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) द्वारा उनकी फिटनेस और हालिया प्रदर्शन के आधार पर लिया गया है। पहले टेस्ट मैच की शुरुआत 19 सितंबर से चेन्नई के एम.ए. चिदंबरम स्टेडियम में होगी।
श्रेयस अय्यर का प्रदर्शन और फिटनेस की स्थिति
श्रेयस अय्यर, जो सीमित ओवरों की क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण बल्लेबाज माने जाते हैं, ने रेड-बॉल क्रिकेट में निरंतरता की कमी दिखाई है। उनका यह साल चोटों से भरा रहा, खासकर इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान लगी चोट ने उन्हें काफी प्रभावित किया। इसके कारण वे बीसीसीआई के केंद्रीय अनुबंधों से भी हटाए गए और मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी में भाग नहीं ले सके।
अय्यर के हालिया प्रदर्शन ने भी उनकी स्थिति को खराब किया है। बुछि बाबू इनविटेशनल टूर्नामेंट और दुलीप ट्रॉफी में उनके प्रदर्शन खासे प्रभावित नहीं रहे। जबकि उन्होंने दुलीप ट्रॉफी में दूसरी पारी में एक अर्धशतक बनाया, पहली पारी में वे केवल नौ रन ही बना पाए। मध्य क्रम में खिलाड़ियों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा है, जिसमें सरफराज खान और केएल राहुल जैसे खिलाड़ी शामिल हैं जिन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया है। इस सबके चलते अय्यर को टीम से बाहर रखा गया है।
मोहम्मद शमी की फिटनेस और आगामी योजनाएँ
मोहम्मद शमी, जो भारतीय टीम के एक महत्वपूर्ण तेज गेंदबाज हैं, पिछले साल हुए वनडे वर्ल्ड कप के बाद से लगातार चोटों से जूझ रहे हैं। हालांकि उनकी वापसी के संकेत मिले थे, लेकिन टीम प्रबंधन ने उनकी पूर्ण रिकवरी को प्राथमिकता दी है। शमी को बंगाल के लिए रणजी ट्रॉफी में खेलने की उम्मीद है जो 11 अक्टूबर से शुरू हो रही है। इससे उन्हें मैच फिटनेस वापस पाने का मौका मिलेगा।
संभावना है कि शमी न्यू जीलैंड के खिलाफ होने वाली आगामी सीरीज के पहले टेस्ट में भी अनुपस्थित रहेंगे। टीम प्रबंधन ने उनके स्थान पर अन्य गेंदबाजों को मौका देने का निर्णय लिया है।
प्रमुख खिलाड़ियों की वापसी
पहले टेस्ट के लिए टीम में कई महत्वपूर्ण वापसी भी हुई हैं। ऋषभ पंत, जो 20 महीने के बाद क्रिकेट में लौटे हैं, टीम में शामिल हुए हैं। वहीँ, विराट कोहली, जो पिछले घरेलू सीरीज में इंग्लैंड के खिलाफ अपने दूसरे बच्चे के जन्म के कारण अनुपस्थित थे, भी वापस लौटे हैं।
इसके अलावा, जसप्रीत बुमराह, जो टी20 वर्ल्ड कप के बाद से टीम में नहीं थे, भी लौट आए हैं। पहले टेस्ट के बाद दूसरा टेस्ट कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में खेले जाने वाला है।
भारतीय टीम का लक्ष्य
भारतीय टीम का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश के खिलाफ ये टेस्ट सीरीज जीतना और आगामी सीरीज के लिए खिलाड़ियों की फिटनेस और फॉर्म को बनाए रखना है। टीम का चयन व्यापक रूप से किया गया है ताकि सभी खिलाड़ियों को पर्याप्त मौका मिल सके।
भारतीय क्रिकेट प्रेमियों की उम्मीदें एक उत्साहित और प्रतिस्पर्धात्मक सीरीज देखने की हैं। सभी की निगाहें इस बात पर रहेंगी कि किस प्रकार टीम अपने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की अनुपस्थिति में मजबूती से खेलती है।
ये BCCI वाले फिटनेस पर इतना ध्यान क्यों दे रहे हैं? शमी की गेंद तो अभी भी बारिश के बाद भी चिपकती है। ये सब बस एक बड़ा षड्यंत्र है जिसमें किसी को बाहर करके किसी और को पुश किया जा रहा है।
हर खिलाड़ी को कभी न कभी चोट लगती है। श्रेयस और शमी ने अपना सब कुछ दे दिया है। अब उन्हें समय देना चाहिए, न कि उन्हें भूल जाना। फिटनेस तो वापसी के बाद आएगी, लेकिन अनुभव कभी नहीं आता।
इस फैसले में सिर्फ फिटनेस नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के भविष्य की दिशा भी छिपी है। श्रेयस अय्यर को अगर अब बाहर रख दिया गया तो क्या हम अपने टेस्ट टीम के लिए एक नए बल्लेबाजी ढांचे की ओर बढ़ रहे हैं? क्या ये एक जानबूझकर बदलाव है जिसमें नए खिलाड़ियों को आजमाया जा रहा है? ये सिर्फ चोट का मुद्दा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और खेल के दर्शन का बदलाव है।
मैं समझता हूँ कि फिटनेस महत्वपूर्ण है, लेकिन शमी की गेंदबाजी का जादू किसी और के पास नहीं है। अगर वो ठीक हो जाएं तो वो अपनी जगह वापस ले लेंगे। बस थोड़ा धैर्य रखें।
श्रेयस के लिए ये एक बड़ा संकट है, लेकिन ये उनके लिए एक नया शुरुआत का मौका भी हो सकता है। रणजी में खेलकर वो अपनी फिटनेस और फॉर्म वापस पा सकते हैं। और शमी के लिए, बंगाल के लिए खेलना उनके लिए बहुत अच्छा होगा। उनकी गेंदबाजी का अहसास तो बस टीम में ही नहीं, रणजी में भी होता है।
अय्यर को बाहर करना बिल्कुल बेकार फैसला है। वो तो बहुत अच्छा खिलाड़ी है, बस थोड़ा बीमार है। और शमी? उसकी गेंद तो अभी भी बांग्लादेश के बल्लेबाजों को घबरा देती है। ये सब बस एक बड़ा नाम बदलाव है जिसमें लोगों को भ्रमित किया जा रहा है।
हम जो भी देख रहे हैं, वो एक नियंत्रण का खेल है। फिटनेस का नाम लेकर बोर्ड अपने अधिकार का प्रदर्शन कर रहा है। श्रेयस और शमी को बाहर करके वो दिखा रहे हैं कि कौन असली शक्ति है। खिलाड़ी नहीं, बोर्ड है।
शमी को रिकवरी मिले, श्रेयस को रणजी में खेलने का मौका मिले। ये फैसला सही है।
ये सब बकवास है। श्रेयस तो बस इतना भी नहीं खेल पाया कि उसकी फिटनेस का ख्याल रखा जा सके। शमी को तो बस इतना ही कहना चाहिए कि अब तुम बाहर हो।
मैं तो सोच रहा था कि ऋषभ पंत की वापसी और शमी की अनुपस्थिति के बीच कोई संबंध तो नहीं है। शायद टीम को नए लहर की ओर ले जाने की कोशिश है।
अरे भाई, ये फैसला बहुत ही बुद्धिमानी से लिया गया है। बिना श्रेयस और शमी के भी भारत जीत सकता है। ये नहीं कि बिना दो खिलाड़ियों के टीम नहीं चल सकती। ये तो टीम की गहराई का प्रमाण है।
शमी के लिए ये एक अच्छा मौका है। रणजी में खेलकर वो अपनी गेंदबाजी का रिदम वापस पा सकते हैं। और श्रेयस को भी बस एक बार अच्छा खेलना है। एक अर्धशतक नहीं, दो शतक बनाने हैं। फिर देखना है कौन रोक सकता है।
ये फैसला एक संरचनात्मक बदलाव का संकेत है। भारतीय क्रिकेट में अब एक नया अवधारणा आ रही है - फिटनेस नहीं, लगातार प्रदर्शन की आवश्यकता। श्रेयस के साथ जो हुआ, वो एक बड़े नियम का परीक्षण है। अगर ये नया मानक लागू होता है, तो भविष्य के खिलाड़ी और भी अधिक जिम्मेदार होंगे।
क्या हम भूल गए कि शमी ने वर्ल्ड कप में जो किया, वो किसी और के लिए असंभव था? और श्रेयस के बारे में तो बात ही नहीं करनी चाहिए। वो तो एक ऐसा खिलाड़ी है जिसने टेस्ट क्रिकेट को अपने अंदर बसा लिया है।
अरे भाई, ये तो बिल्कुल नाटक है! श्रेयस को बाहर करने के बाद अब बोर्ड क्या करेगा? उनकी जगह एक नया बल्लेबाज लाएगा जो बोलेगा 'मैं तो बस बल्ला घुमा रहा हूँ' और फिर आधे ओवर में आउट हो जाएगा? शमी की गेंद तो बस एक बार बैटमैन के नाम लेने पर ही उड़ जाती है! ये फैसला तो बिल्कुल बेकार है, बस एक बड़ा ड्रामा है जिसे टीवी पर दिखाया जा रहा है।