Pakistan Women vs South Africa Women: गद्दाफी स्टेडियम में पहला ODI, नई कप्तान फातिमा सना की कसौटी

Pakistan Women vs South Africa Women: गद्दाफी स्टेडियम में पहला ODI, नई कप्तान फातिमा सना की कसौटी

लाहौर में हाई-वोल्टेज ओपनर, बढ़त दक्षिण अफ्रीका के नाम

हेड-टू-हेड में 22-5 की बढ़त और लय में दिखती गेंदबाज़ी—दक्षिण अफ्रीका महिला टीम ने लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में सीरीज़ के पहले ODI में जीत के साथ बढ़त बना ली। पाकिस्तान ने नई कप्तान फातिमा सना के साथ ताज़ा शुरुआत की थी, लेकिन अनुभवी विपक्ष के सामने उन्हें शुरुआती धक्का लगा। यह मुकाबला शाम 4 बजे शुरू हुआ और माहौल वही रहा जिसकी उम्मीद थी—गरमी, तेज़ आउटफ़ील्ड और जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ा, स्पिनरों की होती बढ़ती हिस्सेदारी।

Pakistan Women vs South Africa Women भिड़ंत का सबसे दिलचस्प पहलू यही रहा—पाकिस्तान के पास ऊर्जा और घर की मदद थी, मगर दक्षिण अफ्रीका ने अनुशासन और अनुभव से यह मैच पकड़ में रखा। यह जीत सिर्फ सीरीज़ की बढ़त नहीं, बल्कि पाकिस्तान पर मानसिक बढ़त भी है, क्योंकि पिछली 29 भिड़ंतों में दक्षिण अफ्रीका पहले ही 22 मैच जीत चुका है।

पिच, मौसम और रणनीति: किसने क्या सही किया

गद्दाफी स्टेडियम की सफ़ेद गेंद वाली पिच शुरू में बल्लेबाज़ों के लिए खुली रहती है—नई गेंद स्किड करती है और कवर-ड्राइव निकलते हैं। लेकिन 20-25 ओवर के बाद यहां स्पिनर खेल में आते हैं, विशेषकर अगर गेंद थोड़ी पुरानी हो और पकड़ दे। तापमान 37 डिग्री के आसपास रहा, जिससे तेज़ गेंदबाज़ों को लम्बे स्पेल के बाद थकावट दिखना लाज़मी था। ऐसे में गेंद को एक छोर से स्पिन के हाथों सौंपना कारगर रहता है।

दक्षिण अफ्रीका ने इसी स्क्रिप्ट को बखूबी निभाया—पावरप्ले में लाइन-लेंथ पर कड़ा नियंत्रण, बीच के ओवरों में गति बदलते हुए रन-रेट दबाना और अंत में सटीक यॉर्कर-लेंथ। उनकी योजनाओं में अनावश्यक जोखिम नहीं दिखा, बस टिके रहना और मौके पर वार करना।

पाकिस्तान की कहानी अलग थी। नई कप्तान फातिमा सना ने गेंद के साथ लीड करने की कोशिश की, मगर उन्हें दूसरे छोर से लगातार सपोर्ट नहीं मिला। डायना बेग की गति और नैश्रा संदू-साेदिया इक़बाल की स्पिन जोड़ी वही थीं जिनसे उम्मीद थी—लय जैसे-जैसे मिलती गई, वैसे-वैसे ओवर भी बेहतर दिखे। लेकिन दक्षिण अफ्रीका की सेट बैटरों को तोड़ने के लिए लगातार डॉट बॉल्स और क्लोज-इन फील्डिंग की सटीकता चाहिए थी, जो बीच-बीच में ढीली पड़ी।

बल्लेबाज़ी में पाकिस्तान की ओपनिंग जोड़ी—सिद्रा अमीन और मुनीबा अली—को शुरुआती 10 ओवरों में अधिक से अधिक स्ट्राइक रोटेशन चाहिए था। कुछ ओवर अच्छे निकले, पर बाउंड्री ढूंढने में हिचक दिखी। मिडिल में आलिया रियाज़ और ओमैमा सोहैल पर स्ट्राइक रेट संतुलित रखने का दबाव रहा। दक्षिण अफ्रीका ने ठीक यही समझा और फील्डिंग पोज़िशन से गैप बंद कर दिए। परिणाम—रन बनाना मेहनत का काम हो गया और जोखिम लेकर शॉट मारने पड़े।

दक्षिण अफ्रीका के लिए मरिज़ाने कैप का अनुभव फिर काम आया। वे खेल की गति को पढ़ती हैं—कब स्ट्राइक रोके रखना है, कब तेज़ी लानी है—और टीम उन्हें एंकर की तरह इस्तेमाल करती है। गेंदबाज़ी में भी उनका रोल अहम रहा: पावरप्ले में लाइन-लेंथ, डेथ में हार्ड लेंथ और बीच में ऑफ-कटर-सीमर की मिलीजुली रफ्तार।

अब बात बड़े चित्र की। पाकिस्तान के सामने चुनौती सिर्फ विपक्ष नहीं, बल्कि अपना ट्रांज़िशन भी है। फातिमा सना की कप्तानी नई है, संयोजन तलाश में है और घरेलू दबाव अलग से। अच्छी बात यह है कि कोर ग्रुप स्पष्ट है—नई गेंद पर फातिमा-डायना, बीच में नैश्रा-सादिया, और बल्लेबाज़ी में सिद्रा- मुनीबा की नींव। अगला कदम है—मिडिल ओवर्स में 4-5 रन प्रति ओवर की स्थिर धारा, ताकि आख़िरी 10 ओवरों में जोखिम लेकर 60-70 जोड़े जा सकें।

टॉस और ओस भी कारक बने। शाम ढलते-ढलते हल्की ओस आई तो स्पिनर की पकड़ ढीली हुई। ऐसे हालात में पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 250 के आसपास पहुंचना सुरक्षित माना जा सकता है, जबकि पीछा करने वाली टीम के लिए 45-46 ओवर तक खेल में बने रहना आसान होता है। दक्षिण अफ्रीका ने इसी खिड़की का फ़ायदा उठाया।

तो पाकिस्तान अगली भिड़ंत से पहले क्या बदले? पहली बात—ओपनिंग 12-15 ओवर में स्ट्राइक रोटेशन और डिफेंस का संतुलन। दूसरी—मिडिल ओवर्स में स्पिन-सीम का तालमेल, एक छोर से दबाव लगातार बना रहे। तीसरी—फील्डिंग। दो आधे मौकों को कैच में बदलना ही मैच की दिशा बदल देता है।

दक्षिण अफ्रीका की चेकलिस्ट सरल है—अनुशासन से गेंदबाज़ी, जोखिम-रहित बल्लेबाज़ी, और अनुभव पर भरोसा। ऐसी ही क्रिकेट श्रृंखलाएं जीतती हैं। हेड-टू-हेड में बढ़त होने से उनका कॉन्फिडेंस पहले से ऊंचा है, और ओपनर की जीत ने उसे और पुख़्ता किया है।

सीरीज़ अब और दिलचस्प हो गई है। पाकिस्तान घर पर वापसी कर सकता है—शर्त बस इतनी कि टॉप-ऑर्डर 30वें ओवर तक मंच बना दे और गेंदबाज़ नई गेंद से तीन स्ट्राइक दे दें। भीड़ साथ है, मैदान परिचित है, और नई कप्तानी के साथ यह वही वक्त है जो ड्रेसिंग रूम की ऊर्जा तय करता है।

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