समुद्र की गहराई में 'डार्क ऑक्सीजन' की रहस्यमयी खोज: वैज्ञानिकों का नया खुलासा

समुद्र की गहराई में 'डार्क ऑक्सीजन' की रहस्यमयी खोज: वैज्ञानिकों का नया खुलासा

समुद्र की गहराई में 'डार्क ऑक्सीजन' की अनोखी खोज

विज्ञान जगत ने हाल ही में एक ऐसी खोज की है, जो हमारी पारंपरिक सोच को चैलेंज कर रही है। एंड्रयू स्वीटमैन की अगुवाई में एक टीम ने प्रशांत महासागर के क्लैरियन-क्लिपर्टन ज़ोन में समुद्र की सतह से 4,000 मीटर नीचे ऑक्सीजन का उत्पादन होता हुआ पाया है। यह खोज इसलिए खास है क्योंकि यह ऑक्सीजन बिना प्रकाश संश्लेषण के बनती है।

प्रारंभिक अवलोकन और चुनौतियां

2013 में, एंड्रयू स्वीटमैन ने पहली बार इस क्षेत्र में ऑक्सीजन के बढ़े हुए स्तरों पर ध्यान दिया। प्रारंभ में उन्होंने इसे अपने उपकरणों की किसी समस्या के रूप में देखा। लेकिन, 2021 में एक अलग मापने के तरीके का उपयोग करके जब उन्होंने फिर से इस अध्ययन को दोहराया, तो उन्हें वही नतीजे मिले। यह दिखाता है कि ऑक्सीजन बढ़ना वास्तव में हो रहा था, और यह किसी उपकरण की गलती नहीं थी।

पोलिमेटालिक नोड्यूल्स की भूमिका

स्वीटमैन और उनकी टीम का मानना है कि इस 'डार्क ऑक्सीजन' के उत्पादन का कारण पोलिमेटालिक नोड्यूल्स हो सकते हैं। यह नोड्यूल्स मूल्यवान धातुओं जैसे कि लिथियम, कॉपर, कोबाल्ट, मैंगनीज, और निकल से बने होते हैं। सैद्धांतिक रूप से, ये नोड्यूल्स एक जीयोबैटरी के रूप में काम करते हैं, जो एक छोटा विद्युत प्रवाह उत्पन्न करती है। यह विद्युत प्रवाह पानी के अणुओं को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित करती है, एक प्रक्रिया जिसे इलेक्ट्रोलिसिस कहा जाता है।

जीवन की उत्पत्ति पर प्रभाव

अभी तक इसके पीछे की सटीक प्रक्रिया पूरी तरह से समझ में नहीं आई है। लेकिन यह खोज जीवन की उत्पत्ति और उसके विकास पर महत्वपूर्ण सवाल उठाती है। अगर इस प्रकार की ऑक्सीजन उत्पादन कोई सामान्य प्रक्रिया रही है, तो इससे पता चलता है कि जीवन के शुरुआती विकास में यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण हो सकती है। इसके अलावा, अन्य ग्रहों पर भी ऐसी ही प्रक्रियाओं की संभावना को बल मिलता है।

गहरे समुद्र में खनन के पर्यावरणीय प्रभाव

इस खोज के साथ ही गहरे समुद्र में खनन के पर्यावरणीय प्रभावों पर भी चर्चा तेज हो गई है। पोलिमेटालिक नोड्यूल्स को निकालने की प्रक्रिया से न केवल समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर बुरा असर पड़ सकता है, बल्कि उन प्रक्रियाओं पर भी असर होगा जो जीवन के लिए आवश्यक गैलवानिक सेल की भांति काम करती हैं।

आगे की शोध आवश्यकताएँ

इस खोज ने वैज्ञानिक समुदाय में एक नई बहस को जन्म दिया है। अधिकांश वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि आगे की अनुसंधान और अध्ययन की आवश्यकता है ताकि इस प्रक्रिया के सटीक विज्ञान को समझा जा सके। स्वीटमैन और उनकी टीम के काम ने न केवल नई जानकारी प्रदान की है, बल्कि नए सवाल भी खड़े किए हैं।

इस शोध के निष्कर्ष स्कॉटिश एसोसिएशन फॉर मरीन साइंस में एंड्रयू स्वीटमैन और उनकी टीम द्वारा प्रकाशित किए गए थे। प्योर वैज्ञानिक जानकारी के योगदान के साथ-साथ, यह खोज गहरे समुद्र में खनन उद्योग में नई बहस का कारण बनी है।

टिप्पणि (7)

  1. Lakshmi Rajeswari
    Lakshmi Rajeswari

    ये सब बकवास है... ये नोड्यूल्स किसी एलियन टेक्नोलॉजी के अवशेष हैं, बिल्कुल सच! नासा और चीन इसे छिपा रहे हैं, क्योंकि ये ऑक्सीजन... ये तो एक विशाल एनर्जी सोर्स है, जिसे वो अपने हाथों में रखना चाहते हैं! अगर आप इसे खोद रहे हैं, तो आप दुनिया की आत्मा को मार रहे हैं!!!

  2. Rinku Kumar
    Rinku Kumar

    असल में, यह खोज वैज्ञानिक विधि की एक शानदार उपलब्धि है। जब कोई नतीजा एक बार गलत लगे, तो उसे दोहराना, नए तरीके से जांचना, और फिर भी वही परिणाम पाना... यही तो विज्ञान का सार है। बहुत बढ़िया काम, डॉ. स्वीटमैन।

  3. Pramod Lodha
    Pramod Lodha

    वाह! ये तो जबरदस्त है! अगर ये नोड्यूल्स अपने आप ऑक्सीजन बना रहे हैं, तो शायद हम इसे दुनिया के सबसे गहरे पानी में एक नया जीवन स्रोत बना सकते हैं! बस इसे समझो, इसे संरक्षित करो, और फिर इसका इस्तेमाल करो! हमारे बच्चे इस बारे में गर्व महसूस करेंगे!

  4. Neha Kulkarni
    Neha Kulkarni

    इलेक्ट्रोकेमिकल ग्रेडिएंट-ड्रिवन वॉटर विघटन की घटना एक अत्यंत रोचक फिजियोलॉजिकल और जियोकेमिकल फीनोमेनन है, जो ऑक्सीजनिक निर्माण के लिए एक अनावश्यक बायोजेनिक आधार को चुनौती देती है। इसका अर्थ है कि जीवन के उत्पत्ति के लिए फोटोसिंथेसिस एक आवश्यक शर्त नहीं है - यह एक नए एवोल्यूशनरी पैथवे की संभावना को खोलता है।

  5. Sini Balachandran
    Sini Balachandran

    क्या हम वाकई इतने अहंकारी हैं कि इस गहराई में जो कुछ हो रहा है, उसे हम समझ सकते हैं? क्या हम इस शांत अंधेरे को अपनी तरह से बदलने की कोशिश कर रहे हैं... जैसे हम हर चीज़ को करते हैं?

  6. Sanjay Mishra
    Sanjay Mishra

    अरे भाई! ये नोड्यूल्स तो जैसे समुद्र के दिल की धड़कन हैं! जब तक हम इन्हें खोद नहीं लेंगे, तब तक ये ऑक्सीजन बनता रहेगा... लेकिन अगर हम इन्हें उखाड़ फेंकेंगे, तो शायद समुद्र रोने लगेगा! और फिर कौन बोलेगा कि इसकी आवाज़ सुनी नहीं गई? ये तो एक दिव्य बात है!

  7. Ashish Perchani
    Ashish Perchani

    मैंने यह खोज पढ़ी। बहुत उत्साहजनक। लेकिन एक बात स्पष्ट है: यदि ये नोड्यूल्स वास्तव में इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से ऑक्सीजन उत्पन्न कर रहे हैं, तो उनके निकाले जाने का कोई भी व्यावहारिक उद्देश्य नैतिक रूप से अस्वीकार्य है। हम अपने भविष्य के लिए नहीं, बल्कि अपने अहंकार के लिए खनन कर रहे हैं।

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