चुनाव परिणाम का सारांश
भारी मतगणना के बाद 23 नवंबर को घोषित हुए झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के परिणामों ने राजनीतिक परिदृश्य को उलट दिया। हेमेंट सोरेन ने अपने घरेली बारहैट निर्वाचन क्षेत्र में 95,612 वोटों के साथ कांग्रेस के उम्मीदवार गम्लियेल हेम्ब्रम को 39,791 मत अंतर से मात दी। यह अंतर 2019 की 25,740 वोटों की जीत से दो गुना से अधिक है, जिससे सोरेन की लोकप्रियता में स्पष्ट झट्का दिखता है।
बारहैट सीट, जो साहित्वांग स्टेशन (ST) के तहत आरक्षित है, अब भी JMM का मजबूत दावेदार बना हुआ है। यह जीत केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पार्टी की रणनीति और जमीनी स्तर पर किए गए काम की पुष्टि है।
गण्डे सेली के चुनाव में हेमेंट सोरेन की पत्नी काल्पना सोरेन ने 78,254 वोटों से BJP की मुंनिया देवी को 17,142 मत अंतर से हराया। यह जीत उन्हें पहले के बायपोल में मिले समर्थन को और मज़बूत करती है।
इंटरिम मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन ने अपने ठिकाने सिरेइकेला से 62,145 वोटों के साथ जीत दर्ज की, जिससे कांग्रेस‑RJD के साथ गठबंधन में एक और थट्टा बना। कुल मिलाकर JMM‑कांग्रेस‑RJD गठबंधन ने 47 सीटें जीतीं, जबकि BJP‑उसके सहयोगी दलों को केवल 30 सीटें ही मिलीं।
राज्य में कुल मतदाताओं की भागीदारी 67.74% रही, जिसमें दूसरे चरण में 68.95% तक अंकित हो गया। यह turnout पिछले चुनावों की तुलना में अधिक सकारात्मक संकेत देता है। चुनाव दो चरणों में 13 एवं 20 नवंबर को आयोजित किया गया था, और सभी 81 विधानसभा सीटें इस प्रक्रिया में शामिल थीं।
जीत के प्रमुख कारण और भविष्य की राह
कई विश्लेषकों के अनुसार, JMM की जीत के पीछे कई प्रमुख कारण रहे:
- हेमेंट सोरेन की जेल से रिहाई के बाद जनता में उनका प्रतिकूल नहीं, बल्कि सहानुभूतिपूर्ण इमेज बनना।
- जमीनी स्तर पर सशक्त कार्यकर्ता नेटवर्क, जो ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में प्रभावी रूप से पहुंचा।
- काल्पना सोरेन द्वारा पार्टी को नई ऊर्जा देना और महिलाओं व युवाओं को प्रमुख भूमिका देना।
- बजट, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी स्थानीय समस्याओं पर स्पष्ट नीतियों का प्रस्ताव।
- भारी राजनैतिक सर्वेक्षणों की गलत भविष्यवाणी, जिससे भाजपा की रणनीति में भ्रम पैदा हुआ।
भविष्य की राह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ संकेत मिलते हैं। पहला, JMM को अब राज्य में अपने विकास कार्यक्रम को तेज़ी से लागू करना होगा, ताकि जनता का विश्वास बने रहे। दूसरा, गठबंधन पार्टियों को अपनी सीट‑वाली रणनीति को और सुदृढ़ करना पड़ेगा, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ बीजेपी ने अभी तक मजबूत आधार नहीं बनाया है। तीसरा, सुरक्षित मताधिकार और भ्रष्टाचार‑मुक्त प्रशासन का वादा करने वाले सरकार को अपने वादों को साकार करने के लिए सटीक नीतियों की जरूरत होगी।
अंत में, अभी भी कई मुद्दे व्याख्या के लिए खुले हैं: भ्रष्टाचार के मामलों में वैधानिक कार्रवाई, स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देना, और राज्य के बुनियादी ढाँचे को सुधारना। यदि JMM इन चुनौतियों को सही ढंग से संभाल पाता है, तो यह अगले पाँच वर्षों में झारखंड की राजनीति में नई दिशा तय कर सकता है।
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