गाजा युद्ध और स्टारबक्स:
स्टारबक्स, जो दुनिया की सबसे प्रसिद्ध कॉफी श्रृंखलाओं में से एक है, इस समय एक गंभीर विवाद में फंस गई है। यह विवाद गाजा युद्ध के कारण उभरा है, जिसमें एक फर्जी पत्र के माध्यम से कंपनी पर इसराइल की सेना को आर्थिक सहायता प्रदान करने का आरोप लगाया गया। इस विवाद ने वेस्ट एशिया और दुनिया के कई हिस्सों में उत्तेजना पैदा की, खासकर उन क्षेत्रों में जो फिलिस्तीनी कारण के प्रति सहानुभूति रखते हैं।
आरोप और सच्चाई:
इस फर्जी पत्र ने कंपनी की छवि को भारी नुकसान पहुंचाया। पत्र में दावा किया गया था कि स्टारबक्स इसराइल की सैन्य गतिविधियों को आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। हालांकि, स्टारबक्स ने स्पष्ट रूप से इन आरोपों को खारिज कर दिया है और जोर देकर कहा है कि उन्होंने कभी भी किसी सरकार या सैन्य ऑपरेशन को आर्थिक सहायता प्रदान नहीं की।
वित्तीय संकट:
इस विवाद के चलते कंपनी की बिक्री में गिरावट आई है, जिससे स्टारबक्स को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा है। वेस्ट एशिया में उनकी ब्रांड छवि को लेकर बड़े स्तर पर बहिष्कार की स्थिति बनी हुई है। इतने व्याकुलता के बीच, कंपनी ने अपने सीईओ लक्श्मण नरसिम्हन को बदल कर ब्रायन निक्कुल को नया सीईओ नियुक्त किया है।
नए सीईओ की नियुक्ति:
ब्रायन निक्कुल, जो पहले चिपोटेल के एग्जीक्यूटिव थे, 9 सितंबर से स्टारबक्स के नए सीईओ बन जाएंगे। कंपनी के मौजूदा मुख्य वित्तीय अधिकारी, राचेल रुग्गेरी, इस दौरान अंतरिम सीईओ के रूप में कार्य करेंगे।
कंपनी की प्रतिक्रिया:
स्टारबक्स ने अपने कर्मचारियों की संख्या में भी कटौती करनी पड़ी है, मार्च में 2,000 कर्मचारियों को निकालना पड़ा। कंपनी ने किसी भी प्रकार की हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा की और घोषणा की कि उनका किसी भी सरकार या सैन्य गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है।
भविष्य की चुनौतियां:
कंपनी के सामने अब कई गंभीर चुनौतियां हैं, जिनमें उसकी छवि को सुधारा जाना और वित्तीय संकट से उबरना शामिल है। उनके लिए यह एक कठिन समय है जिसमें उन्हें अपने ग्राहकों का विश्वास फिर से जीतना होगा।
ग्राहकों की प्रतिक्रिया:
स्टारबक्स के प्रति ग्राहकों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। कुछ लोगों ने कंपनी के खिलाफ बहिष्कार जारी रखा है, जबकि कुछ लोग उनकी प्रतिक्रिया से संतुष्ट हुए हैं। उन्हें अपनी ऊपर उठी छवि को पुन: स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
ये सब बकवास है। स्टारबक्स को गाजा के मुद्दे में घसीटा क्यों जा रहा है? एक कॉफी कंपनी का इससे क्या लेना-देना?
इस विवाद में एक बड़ी बात ये है कि हम अपनी भावनाओं को ब्रांड्स पर थोप रहे हैं। स्टारबक्स के पास इसराइल में कोई सैन्य समझौता नहीं है, लेकिन फिर भी लोग उनके ग्लासेस के बदले जुदाई की बात कर रहे हैं। ये नाराजगी वास्तविक नहीं, बल्कि एक विरोध की भावना का प्रतीक है। हम अपनी असहायता को एक कॉफी कप में ढाल रहे हैं।
कंपनी ने साफ कर दिया है। अब बहिष्कार बेकार है।
अरे भाई, इसराइल के खिलाफ बहिष्कार करने वाले लोग अपने घर में बनी हुई चाय पी रहे हैं और बाहर बैठे हैं ब्रांड को बदनाम कर रहे हैं। भारत में भी तो कई कंपनियां अमेरिका के साथ काम करती हैं, क्या उनका भी बहिष्कार करेंगे? ये सब चुनावी नारे हैं, नहीं तो कुछ नहीं।
हर बड़ी कंपनी के साथ ऐसा होता है। जब कोई बड़ा मुद्दा आता है, तो लोग उसे अपने अहंकार का टारगेट बना लेते हैं। स्टारबक्स के पास अभी भी लाखों लोग हैं जो उनकी कॉफी पीते हैं। ये बहिष्कार एक शोर है, लेकिन वास्तविकता नहीं। हमें बस अपनी जिम्मेदारी से काम लेना चाहिए।
ये सब बकवास है। अगर वो इसराइल के साथ नहीं जुड़े तो फिर उनका नया सीईओ क्यों बदला? ये सब बातें बस धुंधली हैं। बिक्री गिरी है, नौकरियां कटी हैं, तो अब ये बहाने बना रहे हैं।
मुझे लगता है कि इस विवाद के पीछे कोई एक तरफा कहानी नहीं है। हम जितना जल्दी अपनी भावनाओं को ब्रांड्स के साथ जोड़ेंगे, उतना ही अधिक विभाजन होगा। स्टारबक्स को बदलने की जरूरत नहीं, बल्कि हमें अपने विचारों को समझने की जरूरत है।
इस विवाद का एक गहरा सामाजिक-आर्थिक आयाम है। ग्लोबल कॉर्पोरेट्स को अब सिर्फ लाभ के बजाय नैतिक जिम्मेदारी के संदर्भ में देखा जा रहा है। स्टारबक्स की नियुक्ति एक संकेत है कि वे इस नए राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय अनुकूलन के लिए एक नए गवर्नेंस मॉडल की ओर बढ़ रहे हैं। ये बदलाव अभी शुरू हुआ है, लेकिन इसका असर अगले दशक में दिखेगा।
अरे भाई, अब तो स्टारबक्स का नया सीईओ चिपोटेल से आया है, मतलब अब आपकी कॉफी के साथ टैको भी मिलेगा। क्या अब गाजा के लिए टैको भी बहिष्कृत होंगे? सरकारी बहाने बनाने के लिए लोग अब तो बिना आधार के भी बातें बना रहे हैं।
क्या हम वाकई जानते हैं कि कौन सच है? ये सब खबरें, ये सब पत्र, ये सब ट्वीट्स... क्या ये सब कोई जानबूझकर बनाए गए नारे हैं? हम अपने विश्वास के लिए एक ब्रांड को निशाना बना रहे हैं, लेकिन असली समस्या तो वो है जो हम नहीं देख रहे।
मैंने इस विवाद के बारे में सोचा था। अगर कंपनी ने साफ कर दिया है, तो फिर बहिष्कार क्यों? मैं अभी भी स्टारबक्स जाता हूं। लेकिन मैं अपनी आवाज नहीं उठाता। क्योंकि शायद ये बहुत बड़ी बात है, और मैं उसे नहीं समझता।