चक्रवात दितवाह का असर: तमिलनाडु में 3 लोगों की मौत, चेन्नई सहित 3 जिलों में स्कूल बंद

चक्रवात दितवाह का असर: तमिलनाडु में 3 लोगों की मौत, चेन्नई सहित 3 जिलों में स्कूल बंद

चक्रवात दितवाह ने श्रीलंका में 334 लोगों की जान ले ली, लेकिन अभी भी भारत के दक्षिणी तट पर अपना निशान छोड़ रहा है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, 1 दिसंबर, 2025 को यह प्रणाली एक गहरी निम्न दबाव में बदल चुकी है, लेकिन इसके बाहरी प्रभावों ने चेन्नई, तिरुवल्लूर और कांचीपुरम में भारी बारिश और बाढ़ का कारण बना दिया है। तीन लोगों की मौत बारिश से जुड़ी घटनाओं में हुई है, और चेन्नई के कलेक्टर रोशनी सिद्धार्थ जगदे ने 2 दिसंबर को सभी शिक्षण संस्थानों को बंद करने का फैसला किया। यह फैसला सिर्फ एक अलर्ट नहीं, बल्कि एक जीवन बचाने की कोशिश है।

चक्रवात का अचानक मोड़: तट के करीब वापसी

चक्रवात दितवाह ने श्रीलंका के तट पर लैंडफॉल किया था, फिर बंगाल की खाड़ी में घूमा और अचानक दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़ गया। यह अप्रत्याशित दिशा बदलना तमिलनाडु के तटीय निवासियों के लिए एक झटका रहा। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, यह प्रणाली 1 दिसंबर की सुबह चेन्नई के 25 किमी पूर्व में समुद्र में थी, और इसकी गति केवल 3 किमी/घंटा थी। यह धीमी रफ्तार इसे तट के करीब लंबे समय तक बनाए रखती है — जिससे बारिश का समय बढ़ गया।

कलेक्टर रोशनी ने कहा: "जहां बारिश का अंदाजा लगाया जा रहा है, वहां पानी जमा होने का खतरा है। बच्चों को घर से बाहर नहीं भेजना चाहिए।" उनकी बात बहुत साधारण लगती है, लेकिन इसके पीछे एक अनुभवी प्रशासन का विचार है — जब बाढ़ का खतरा हो, तो स्कूल बंद करना सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है।

स्थिति का विस्तार: तमिलनाडु और पड़ोसी राज्य

चेन्नई में आज तक की सबसे भारी मौसमी बारिश दर्ज की गई है। सड़कें नहर बन गईं, वाहन डूब गए, और उड़ानें रद्द हो गईं। तमिलनाडु के अलावा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी हल्की से मध्यम बारिश का अलर्ट जारी है। भारतीय मौसम विभाग ने तमिलनाडु और दक्षिणी आंध्र प्रदेश के लिए पीला अलर्ट जारी किया है, जबकि चेन्नई, तिरुवल्लूर और कांचीपुरम के लिए लाल अलर्ट जारी है — जो अत्यधिक खतरे का संकेत है।

चेन्नई के बाहर, चेंगलपट्टु, तम्बरम, महाबलीपुरम और वेल्लोर में भी भारी बारिश की उम्मीद है। एक विशेषज्ञ ने बताया कि "यह चक्रवात सीधे नहीं लगा, लेकिन उसका घूंट जितना गहरा है, उतना ही नुकसान हो रहा है।" वास्तव में, यह बारिश अभी भी निरंतर है, और भारतीय मौसम विभाग का अनुमान है कि 24 घंटे बाद बारिश का तीव्रता काफी कम हो जाएगी।

भारत की मानवीय प्रतिक्रिया: ऑपरेशन सागर बंधु

श्रीलंका में 334 लोगों की मौत के बाद, भारत ने "ऑपरेशन सागर बंधु" शुरू किया। भारतीय वायु सेना (IAF) ने अब तक 400 लोगों को बाढ़ में फंसे लोगों को बचाया है। एक वायु सेना अधिकारी ने कहा, "हम ने बस उन्हें बाहर नहीं निकाला, बल्कि उन्हें निश्चित सुरक्षा तक पहुंचाया।" इस ऑपरेशन के तहत, भोजन, पानी और आपातकालीन दवाइयां श्रीलंका के तटीय गांवों में भेजी जा रही हैं।

श्रीलंका सरकार ने देश भर में आपातकाल घोषित कर दिया है। यह देखकर भारत के लोगों को एक अजीब सी भावना हुई — खुशी कि हम दूसरों की मदद कर रहे हैं, और डर कि अगर यह चक्रवात हमारे तट पर भी लैंडफॉल कर ले तो?

उत्तर भारत में ठंड का भय: दिल्ली में AQI 301

उत्तर भारत में ठंड का भय: दिल्ली में AQI 301

दक्षिण में बारिश के बीच, उत्तर भारत में एक और आपदा छिपी हुई है — भयानक ठंड और वायु प्रदूषण। दिल्ली में 1 दिसंबर को हवा की गति 20-25 किमी/घंटा थी, और हवा का गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 301 तक पहुंच गया — जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है। 38 मॉनिटरिंग सेंटर्स में से 24 में यही स्थिति रही।

दिल्ली में न्यूनतम तापमान 5-6 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि उत्तर प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में सुबह के समय कोहरा घना हो गया है। बिहार में, सीमांचल और मिथिलांचल क्षेत्रों में तापमान 11-12 डिग्री तक गिरने की उम्मीद है। पटना का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री तक पहुंच सकता है। इस ठंड और धुंध के संयोजन से बुखार और सांस संबंधी बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं।

अगले कदम: क्या अब शांति आएगी?

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, चक्रवात दितवाह का असर 2 दिसंबर के बाद कम होने लगेगा। 24 घंटे बाद भारी बारिश बंद हो जाएगी, लेकिन हल्की से मध्यम बारिश शुक्रवार तक जारी रह सकती है। पूरे क्षेत्र में मौसम साफ होने की उम्मीद 7 दिसंबर, 2025 तक है।

लेकिन यह सिर्फ एक चक्रवात नहीं है — यह एक चेतावनी है। जब श्रीलंका में 300 से अधिक लोग गायब हैं, तो हमें यह सोचना चाहिए कि हमारे तटीय क्षेत्रों में बाढ़ के लिए तैयारी कितनी है? चेन्नई की सड़कें, नहरें और ड्रेनेज सिस्टम इतने पुराने हैं कि एक गहरी निम्न दबाव भी उन्हें तोड़ देता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

चक्रवात दितवाह ने तमिलनाडु में कितने लोगों की जान ली है?

1 दिसंबर, 2025 तक, तमिलनाडु में बारिश और बाढ़ के कारण तीन लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से दो की मौत घरों के ढहने से हुई, और एक की बिजली के झटके से। ये आंकड़े अभी भी अपडेट हो रहे हैं, क्योंकि अभी भी बाढ़ के क्षेत्रों में बचाव अभियान चल रहे हैं।

चेन्नई में स्कूल बंद करने का क्या कारण है?

चेन्नई के कलेक्टर रोशनी सिद्धार्थ जगदे ने बताया कि भारी बारिश और सड़कों पर पानी के जमाव के कारण बच्चों को घर से बाहर नहीं भेजा जा सकता। कुछ क्षेत्रों में पानी की ऊंचाई 3 फीट तक पहुंच गई है, और बिजली के खंभे ढह गए हैं। स्कूलों को बंद करना एक सावधानी भरा फैसला है, जिसमें बच्चों की सुरक्षा पहले आती है।

श्रीलंका की स्थिति कैसी है?

श्रीलंका में अब तक 334 लोगों की मौत हो चुकी है, और 300 से अधिक लोग गायब हैं। सरकार ने देश भर में आपातकाल घोषित कर दिया है। भारत ने "ऑपरेशन सागर बंधु" के तहत 400 लोगों को बचाया है, और आपातकालीन सामग्री भेजी है। लेकिन अभी भी लाखों लोग बिना बिजली, पानी और आहार के हैं।

उत्तर भारत में ठंड और वायु प्रदूषण का संबंध क्या है?

दिल्ली में AQI 301 पर पहुंचने का कारण ठंड और कोहरा है। ठंडी हवा वायु को नीचे दबाती है, जिससे धुएं और प्रदूषक जमीन के पास फंस जाते हैं। इससे बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। दिल्ली में अब तक 12 दिनों से AQI 'बहुत खराब' श्रेणी में है।

चक्रवात दितवाह अब तक कितने राज्यों को प्रभावित किया है?

इस चक्रवाह ने श्रीलंका के अलावा भारत के पांच राज्यों को प्रभावित किया है: तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल। भारतीय मौसम विभाग ने तमिलनाडु और दक्षिणी आंध्र प्रदेश के लिए पीला अलर्ट, और चेन्नई, तिरुवल्लूर और कांचीपुरम के लिए लाल अलर्ट जारी किया है।

क्या अगले सप्ताह तक मौसम साफ हो जाएगा?

हां, भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, 7 दिसंबर, 2025 तक पूरे दक्षिणी तट पर मौसम साफ होने की उम्मीद है। बारिश का तीव्रता 2 दिसंबर के बाद कम हो जाएगी, और 5-6 दिसंबर तक हल्की बारिश रुक जाएगी। लेकिन तटीय क्षेत्रों में नुकसान की जांच अभी भी जारी है।

टिप्पणि (11)

  1. UMESH joshi
    UMESH joshi

    इस तरह की बारिश के बाद जब लोग घरों के ढहने से मर रहे हैं, तो हम सिर्फ आंकड़े देखते हैं। लेकिन ये आंकड़े इंसान हैं - माँ, बेटा, दादा। जब तक हम बाढ़ को एक प्राकृतिक आपदा नहीं समझेंगे, बल्कि एक मानव निर्मित विफलता के रूप में देखेंगे, तब तक ये त्रासदियाँ दोहराएंगी।

  2. Kumar Deepak
    Kumar Deepak

    अरे भाई, चेन्नई में स्कूल बंद कर दिया, लेकिन दिल्ली में AQI 301 है और स्कूल खुले हैं। क्या हम यहां बच्चों को हवा में घुलते हुए विषैले कणों से बचाने के बजाय उन्हें बारिश में भीगने के लिए तैयार कर रहे हैं?

  3. Ayushi Kaushik
    Ayushi Kaushik

    मैं तमिलनाडु के एक छोटे से गांव से हूं, जहां बाढ़ के बाद लोगों को दो दिन तक पानी नहीं मिला। जब आप बच्चों को स्कूल नहीं भेजते, तो आप उन्हें बचा रहे हैं - लेकिन उनकी माँ को रोजगार नहीं बचा रहे। हमें बस स्कूल बंद करने की जगह, घरों को बचाने की योजना बनानी चाहिए।

    हमारे पास ड्रेनेज नहीं है, हमारे पास बाढ़ के लिए नियोजित आश्रय नहीं है, और हमारे पास बस एक अलर्ट है जो लोगों को डराता है लेकिन कुछ नहीं बदलता।

    हमारे बच्चे अभी भी नहीं जानते कि बारिश के बाद बिजली के खंभे क्यों गिरते हैं। यह सिर्फ बारिश नहीं है, यह हमारी उपेक्षा है।

    हमने नदियों को कुएं में बदल दिया, तालाबों को बेच दिया, और अब हम उन्हीं बारिशों के लिए बच्चों को घर पर रखते हैं।

    मैं नहीं चाहती कि मेरा बेटा एक दिन इसी तरह के बारिश के बारे में लिखे - जब वह बड़ा होगा।

  4. Basabendu Barman
    Basabendu Barman

    ये सब चक्रवात तो सिर्फ एक ढोंग है। असल में ये सब ड्रोन और सैटेलाइट से बनाया गया है ताकि हम लोगों को डरा सकें। आपने कभी सोचा है कि जब भारत ने ऑपरेशन सागर बंधु शुरू किया, तो श्रीलंका के साथ क्या गुप्त समझौता हुआ? क्या वो भारत के लिए जासूसी कर रहे हैं? ये बारिश तो किसी ने इंजीनियरिंग से बनाई है - वैज्ञानिकों ने इसे आजमाया है।

    मौसम विभाग के आंकड़े झूठ हैं। आप देखिए - दिल्ली में AQI 301 है, लेकिन बारिश नहीं हुई। तो क्या ये नहीं कहता कि वायु प्रदूषण और बारिश दोनों एक ही चीज हैं? बस एक तरफ बारिश का नाम है, दूसरी तरफ धुंध का।

    हमें अपने घरों के बाहर जाने से रोक रहे हैं, लेकिन वो जो राजनेता हैं, वो तो घूम रहे हैं।

  5. Krishnendu Nath
    Krishnendu Nath

    ये बारिश बहुत बड़ी है पर हम नहीं हारे अभी तक बच्चे जिंदा हैं और लोग मदद कर रहे हैं अगर हम सब एक साथ चले तो हम इसे पार कर लेंगे जिंदगी जीते हैं तो डर क्यों

  6. dinesh baswe
    dinesh baswe

    चक्रवात के बाद जब लोग अपने घरों को बचाने की कोशिश कर रहे होते हैं, तो उनके पास न तो बिजली होती है और न ही पानी। लेकिन हमारे पास बारिश के बाद बाढ़ के लिए तैयारी करने का एक नियम है - जो किसी ने लिखा नहीं है।

    हमें अपने घरों के आसपास नालियां खोदनी चाहिए। हमें बाढ़ के बाद अपने घर के बाहर बैठकर देखना चाहिए कि पानी कहां जा रहा है। हमें अपने बच्चों को बताना चाहिए कि बिजली के खंभे के पास न जाएं।

    ये सब नियम बहुत साधारण हैं, लेकिन कोई नहीं सिखाता।

    हम इंजीनियरों को बुलाते हैं, लेकिन अपने गांव के बुजुर्गों को नहीं। वो जानते हैं कि कैसे बारिश के बाद भूमि का पानी जाता है।

    हम आंकड़े देखते हैं, लेकिन अनुभव को नहीं।

    यही वजह है कि ये त्रासदियां दोहराई जा रही हैं।

  7. Boobalan Govindaraj
    Boobalan Govindaraj

    हम बारिश के बाद डरते हैं लेकिन अगर हम एक साथ खड़े हो जाएं तो कुछ भी नहीं रोक सकता हमारी जमात की ताकत है और हम इसे पार कर लेंगे एक दिन बारिश रुक जाएगी और हम फिर से खुश रहेंगे आप सब के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं

  8. nithin shetty
    nithin shetty

    चक्रवात दितवाह का नाम असल में दितवाह नहीं है - ये एक बाहरी अंग्रेजी नाम है जिसे हमने भारतीय भाषा में अपना लिया। असल में ये एक बंगाल की खाड़ी की वायु प्रणाली है जिसका स्थानीय नाम कुछ और होना चाहिए। और ये भी नहीं कहा गया कि ये प्रणाली किस तरह की गति से घूम रही है - ये तो बहुत धीमी है, लेकिन इसकी त्रिज्या बहुत बड़ी है।

    आपने नोट नहीं किया कि इसका घूंट जितना गहरा है, उतना ही नुकसान हो रहा है - ये वाक्य बहुत सही है।

    लेकिन एक बात गलत है - चक्रवात ने श्रीलंका में 334 लोगों की जान नहीं ली, बल्कि 334 लोगों की जान उनकी अपनी अनदेखी नीतियों ने ली।

    हम बारिश को दोष देते हैं, लेकिन जिन लोगों ने नदियों को बंद कर दिया, उन्हें दोष नहीं देते।

  9. Aman kumar singh
    Aman kumar singh

    भाई, ये जो ऑपरेशन सागर बंधु है, वो बहुत बढ़िया है। लेकिन अगर हम अपने तटीय गांवों में भी इतनी मेहनत करते तो क्या ये बाढ़ इतनी बड़ी होती? श्रीलंका के लोगों को बचाने के बजाय, हम अपने लोगों को पहले बचाएं।

    हमारे पास जो ड्रेनेज है, वो तो 50 साल पुराना है। हमने बारिश के लिए तैयारी नहीं की, बल्कि बारिश के बाद बचाव की तैयारी की।

    मैं तो बस एक बात कहूंगा - जब तक हम अपने घर की नींव नहीं बदलेंगे, तब तक बारिश आएगी और हम बचाव करेंगे।

  10. pradeep raj
    pradeep raj

    इस घटना के विश्लेषण के लिए हमें एक बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें मौसमी अनुक्रमणिकाओं, जलवायु विकृतियों, और सामाजिक-आर्थिक विषमताओं का समावेश हो।

    चक्रवात के अचानक दिशा परिवर्तन का कारण उत्तरी अक्षांशों में वायुमंडलीय जेट धाराओं के अस्थिर होने से हुआ है, जो जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप बढ़ रहे हैं।

    इसके अलावा, चेन्नई के ड्रेनेज सिस्टम की अपर्याप्तता न केवल निर्माण की लापरवाही का परिणाम है, बल्कि नगर नियोजन में जलीय अधिकारों के अवहेलन का भी।

    हमें एक व्यवस्थित जल प्रबंधन नीति बनाने की आवश्यकता है, जिसमें स्थानीय समुदायों की भागीदारी अनिवार्य हो।

    आपातकालीन प्रतिक्रिया तब तक अपर्याप्त रहेगी, जब तक हम इसे एक अस्थायी समाधान के रूप में नहीं देखेंगे।

    हमें अपनी नीतियों को वैज्ञानिक आधार पर फिर से डिज़ाइन करना होगा - न कि राजनीतिक दबावों के आधार पर।

    यह एक आपदा नहीं, यह एक विफलता का अभिव्यक्ति है।

  11. Vishala Vemulapadu
    Vishala Vemulapadu

    चेन्नई में स्कूल बंद करना बहुत अच्छा है। लेकिन दिल्ली में AQI 301 है और स्कूल खुले हैं। ये तो बहुत अजीब है। बच्चों को बारिश से बचाने के लिए स्कूल बंद कर दिया गया, लेकिन वायु प्रदूषण से बचाने के लिए नहीं।

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