लोकसभा चुनाव 2024: छठे चरण में मतदान जारी
2024 के लोकसभा चुनाव अपने छठे चरण में पहुंच चुके हैं, जिसमें 58 सीटों पर मतदान हो रहा है। इस चरण में कुल 889 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर है। इसके तहत 7 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव हो रहे हैं। नागरिक बड़ी संख्या में मतदान केंद्रों पर पहुंच रहे हैं और अपने बहुमूल्य वोट का इस्तेमाल कर रहे हैं।
मुख्य उम्मीदवार और उनकी प्रतिष्ठा
इस चरण में कुछ प्रमुख उम्मीदवारों में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के कन्हैया कुमार और बीजेपी के भोजपुरी अभिनेता तथा सांसद मनोज तिवारी शामिल हैं। महबूबा मुफ्ती अनंतनाग निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि कन्हैया कुमार बिहार के बेगूसराय से और मनोज तिवारी उत्तर पूर्वी दिल्ली से चुनाव मैदान में हैं।
प्रमुख नेता और उनकी वोट अपील
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ-साथ कई केंद्रीय मंत्री और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपने वोट डालकर नागरिकों से भी मतदान करने की अपील की है। यह चरण हर दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें कुल 58 सीटों पर मतदान हो रहा है, जिसमें दिल्ली की सभी सात सीटें, बिहार की आठ, झारखंड की चार, ओडिशा की छह, हरियाणा की सभी दस, उत्तर प्रदेश की चौदह और पश्चिम बंगाल की आठ सीटें शामिल हैं।
शांतिपूर्ण मतदान प्रक्रिया
अब तक, मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही है। कुछ राज्यों में अधिक मतदान हो रहा है तो कुछ में अपेक्षाकृत कम। हालाँकि, हर जगह के नागरिक लोकतंत्र की इस पर्व में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। कई महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं ने सोशल मीडिया पर अपने वोट डालने के अनुभव साझा किए हैं, जिससे पता चलता है कि लोकतंत्र में उनकी गहरी आस्था है।
राजनीतिक परिदृश्य पर प्रभाव
इस चरण के परिणाम देश के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। पिछले चुनावों की तुलना में इस बार कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में नए चेहरे बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। कई जगहों पर पार्टी बदलने वाले नेता भी अपनी विश्वसनीयता की परीक्षा दे रहे हैं। इसलिए, इस बार वोटरों का रुझान खास महत्व रखता है।
महबूबा मुफ्ती की चुनौती
महबूबा मुफ्ती, जो जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुकी हैं, अनंतनाग सीट से चुनाव लड़ रही हैं। उनकी पार्टी पीडीपी यहां अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है। अनंतनाग निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव का माहौल हमेशा से जटिल रहा है और इस बार भी मुकाबला कड़ा है।
कन्हैया कुमार की राजनीतिक यात्रा
कन्हैया कुमार, जिनका नाम जेएनयू (Jawaharlal Nehru University) के छात्र नेता के तौर पर बड़े विवादों में आया था, इस बार बेगूसराय से सीपीआई के उम्मीदवार हैं। कन्हैया की राजनैतिक यात्रा काफी रोचक रही है और उनके समर्थकों को उनसे काफी उम्मीदें हैं। बेगूसराय में मुकाबला कितना कठिन है, यह परिणाम के बाद ही पता चल पाएगा।
मनोज तिवारी का करिश्मा
मनोज तिवारी, जो बॉलीवुड और भोजपुरी फिल्मों के मशहूर अभिनेता हैं, इस बार उत्तर पूर्वी दिल्ली से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। तिवारी ने पिछले कई चुनावों में अच्छी जीत हासिल की है और इस बार भी उनके समर्थकों को उनसे मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद है। उत्तर पूर्वी दिल्ली में मतदाताओं का समर्थन प्राप्त करने के लिए तिवारी ने कई जनसभाएं और रोड शो किए हैं।
चुनाव परिणाम की प्रतीक्षा
जैसे-जैसे दिन बीत रहा है, वैसे-वैसे देश के विभिन्न हिस्सों से वोटिंग प्रतिशत के आंकड़े आने शुरू हो गए हैं। हर चुनावी केंद्र पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं और चुनाव आयोग के अधिकारी मतदान प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं। इस चरण के परिणाम क्या होंगे, इसका पता चुनाव आयोग के आधिकारिक घोषणा के बाद ही चलेगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनावी दौर के बाद देश का राजनीतिक नक्शा कैसा दिखेगा। सत्ता प्राप्त करने की होड़ में सभी दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं और नागरिक भी इसे लोकतंत्र का बड़ा त्यौहार मानकर इसमें भागीदारी कर रहे हैं।
इस चरण में महबूबा मुफ्ती का वोट बहुत दिलचस्प होगा। कश्मीर में अब जो भी आता है, उसकी असली जिम्मेदारी बातचीत करने की होती है, सिर्फ चिल्लाने की नहीं। 😊
अरे भाई ये कन्हैया कुमार फिर से आ गया? ये लोग तो जेएनयू के बाहर भी बहुत बड़े हो जाते हैं... पर बेगूसराय में तो ये बस एक नाम होगा। बाकी लोग तो अपने गांव के आदमी को ही चुनेंगे। 😂
ये सब बस धोखा है... बीजेपी ने तो मनोज तिवारी को इसलिए लगाया है क्योंकि वो टीवी पर दिखता है! वो फिल्मों में अभिनय करता है, लेकिन दिल्ली के लोगों को जानता है क्या? ये सब एक बड़ा शो है... और हम सब उसके दर्शक हैं!!!
मतदान का ये दृश्य असली ताकत का प्रतीक है। चाहे कोई भी जीते, ये बात तो साफ है कि आम आदमी अब अपना अधिकार जानता है। ये तो असली बदलाव है।
ये चुनाव बस एक दिन का नहीं है भाई! ये तो हर दिन की लड़ाई है! वोट डालो, बात करो, दूसरों को बताओ, और अपने गांव का नाम ऊंचा उठाओ!!! 🙌🔥
कन्हैया कुमार और पीडीपी के लोग तो देश के खिलाफ हैं... ये सब विदेशी फंड से चलता है! और बीजेपी के लोगों को भी जाने दो, वो तो असली भारत के लिए लड़ रहे हैं! वोट डालो और देश को बचाओ!!!
हर वोट एक आशा है। चाहे आप किसी को भी चुनें, बस ये याद रखें कि आपका वोट आपके बच्चों के भविष्य का हिस्सा है। इसलिए अपना वोट निकालें, और शांति से रहें।
मैंने अनंतनाग के चुनाव के बारे में एक दिलचस्प बात सुनी है। वहां के लोग अब न केवल राजनीति के आधार पर वोट डाल रहे हैं, बल्कि ये देख रहे हैं कि उम्मीदवार ने क्या स्थानीय विकास योजनाएं बनाई हैं। जैसे महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में स्कूलों के लिए बिजली और पानी की व्यवस्था की थी। ये बातें अब लोग भूल नहीं रहे। ये बदलाव बहुत बड़ा है।
मनोज तिवारी की जीत अच्छी होगी। उन्होंने अपने फैन्स को नहीं भूला है। ये दिल्ली के लोग भी उन्हें याद करते हैं।
कन्हैया के लिए बेगूसराय बहुत चुनौतीपूर्ण है, लेकिन अगर वो गांव-गांव जाकर बात करते हैं, तो वोट मिल सकते हैं। सीपीआई के लोग अब बहुत अच्छे तरीके से काम कर रहे हैं।
ये सब लोग बस अपनी जेब भरने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। महबूबा भी, कन्हैया भी, मनोज भी... असली देशभक्त तो वो हैं जो अपने गांव में खेती करते हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कि जब भी कोई अभिनेता चुनाव लड़ता है, तो वो सिर्फ अपने नाम का इस्तेमाल करता है? ये नहीं कि वो कुछ सीखते हैं... बस फिल्मों का नाम चलाते हैं।
मतदान करें। बस।
ये सब बकवास है। कोई भी नेता नहीं बदलेगा। ये सब बस दिखावा है।
मैंने अपने गांव में एक बुजुर्ग औरत को वोट डालते देखा। उसने बस एक बार सिर हिलाया और मुस्कुरा दिया। उस दृश्य ने मुझे बहुत कुछ सिखाया।
अरे भाई, ये चुनाव तो देश के लिए एक नया ब्रांड लॉन्च है! हर चुनावी नेता अपना एक टीवी एड बनाता है... और हम सब उसके फैन बन जाते हैं! 😏
अगर आपको लगता है कि एक अभिनेता या एक विद्यार्थी नेता आपके लिए बदलाव ला सकता है, तो आप भूल रहे हैं। असली बदलाव तो वो होता है जब आप अपने गांव के लोगों को सुनते हैं।
चुनाव की बात करते समय हमें एक बात याद रखनी चाहिए: वोटिंग एक सामाजिक अधिकार है, न कि एक राजनीतिक टूल। जब हम वोट डालते हैं, तो हम एक नागरिक के रूप में अपनी पहचान बना रहे होते हैं। यह एक अंतर्राष्ट्रीय नागरिक अधिकारों के सिद्धांत का अनुपालन है, जिसमें जनता की भागीदारी को अधिकतम महत्व दिया जाता है। इसलिए, हमें इस अधिकार का गौरव रखना चाहिए, चाहे हम किसी भी दल का समर्थन करें।