डोनाल्ड ट्रम्प की जीत से सोने के दामों में गिरावट: 2024 के चुनावों का विश्लेषण

डोनाल्ड ट्रम्प की जीत से सोने के दामों में गिरावट: 2024 के चुनावों का विश्लेषण

डोनाल्ड ट्रंप की जीत और सोने की कीमतों पर प्रभाव

डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में विजय के बाद सोने के बाजार में अप्रत्याशित परिवर्तन देखने को मिला है। अमेरिकी डॉलर में मजबूती और ट्रेजरी यील्ड्स में बढ़ोतरी ने सोने और चांदी की कीमतों को गिराया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सोने की कीमतों में यह गिरावट स्थायी साबित होगी या यह केवल तात्कालिन प्रतिक्रिया थी?

गत वर्षों में अमेरिका की अर्थव्यवस्था और निवेश बाजार पर डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों का व्यापक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने आयात पर शुल्क, घरेलू करों में कमी और सरकारी खर्च में कटौती जैसी नीति घोषणाएं की थीं। ऐसी नीतियों के कारण अमेरिकी डॉलर की मजबूती और यील्ड्स में उछाल आ सकता है, जिससे सोने और चांदी की कीमते प्रभावित होती हैं। लेकिन विश्लेषक अनिंद्या बनर्जी की राय है कि इस बार बाजार का प्रतिक्रिया 2016 की तरह नहीं होगी, क्योंकि बाजार अब ट्रंप के नेतृत्व में पहले से अधिक स्थायित्व हासिल कर चुके हैं।

सोने के दामों का अंदरुनी बाजार में प्रदर्शन

सोने के दामों का अंदरुनी बाजार में प्रदर्शन

भारत में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोने के फ्यूचर्स करीब 2.5% की गिरावट के साथ Rs 76,505 प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहे थे। इसे देखते हुए, भारत बुलेयिन और ज्वैलर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार 24 कैरेट सोने के दाम में भी 0.6% की कमी आई, जिससे इसके दाम Rs 78,106 प्रति 10 ग्राम हो गए। यह गिरावट स्पष्ट रूप से अंतर्राष्ट्रीय बाजार की प्रवृत्ति और ट्रंप की विजय के बाद की स्थिति को दर्शा रही है।

इस जीत के बाद ध्यान अब फेडरल रिजर्व की आगामी बैठक की ओर गया है, जो नवंबर 7 को आयोजित होगी। यह बैठक सोने के दाम पर और भी प्रभाव डाल सकती है। नए चुनावी परिणाम के चलते मार्केट का ध्यान अब आर्थिक नीतियों के प्रति है और सोने की अस्थिरता में कमी देखी जा रही है।

भावविभाव वाले कारकों का विश्लेषण

भावविभाव वाले कारकों का विश्लेषण

विश्लेषक कॉलिन शाह का मत है कि सोने की कीमतें अधिकतर भावनात्मक होती हैं और बाहरी आर्थिक गतिविधियों से प्रभावित हो सकती हैं। वहीं, क्रांति बथिनी यह मानते हैं कि यदि चुनाव परिणाम अनिश्चित होते, तो सोने की सुरक्षित निवेश के तौर पर मांग में वृद्धि हो सकती थी। लेकिन ट्रंप की स्पष्ट जीत के कारण अब बाजार द्वारा फेडरल रिजर्व की ओर ध्यान दिया जा रहा है, जो सोने की भावी कीमतों को तय करेगा।

हालांकि, लंबी अवधि में सोने की कीमतें अधिक स्थिर हो सकती हैं। डॉलर इंडेक्स के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद यह संभावना बनती है कि सोने की कीमतों में क्रमशः वृद्धि देखने को मिल सकती है।

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