विंबलडन में एंडी मरे का आखिरी सफर
एंडी मरे ने अपने लंबे और संजीदा टेनिस करियर का आखिरी सफर शुरू कर दिया है। लेकिन उनकी शुरुआत ही हार के साथ हुई। पुरुष डबल्स मैच में, जो उन्होंने अपने भाई जैमी के साथ खेला था, उन्हें 7-6 (8/6), 6-4 से रिंकी हिजिकाटा और जॉन पियर्स के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा।
भावुक हुए एंडी मरे
मैच के दौरान और बाद में, मरे बेहद भावुक दिखाई दिए। सेंटर कोर्ट में प्रवेश करते समय उन्हें और उनके भाई जैमी को दर्शकों ने खड़े होकर सम्मान दिया। यह दृश्य मरे के करियर की महत्वपूर्णता को दर्शाता है और दर्शकों के बीच उनकी गहरी संबंधों को स्थापित करता है। पूर्व वर्ल्ड नंबर वन और दो बार के विम्बलडन सिंगल्स चैंपियन, मरे के लिए यह पल बहुत खास था।
वीडियो ट्रिब्यूट और परिवार की उपस्थिति
मरे की विदाई को और भी खास बनाने के लिए, रॉजर फेडरर और राफेल नडाल जैसे टेनिस स्टार्स ने वीडियो ट्रिब्यूट भेजे। यह क्षण ने मरे को बहुत भावुक कर दिया। उनके परिवार के सभी सदस्य, जिनमें उनकी माँ जूडी, पिता विलियम, पत्नी किम और बच्चे भी शामिल थे, इस खास मौके पर खिलाड़ी बॉक्स में उपस्थित थे।
स्वास्थ्य समस्याएँ और मिश्रित डबल्स
इसके अलावा, मरे ने अपनी स्वास्थ समस्याओं का भी सामना किया है। एक सिस्ट के कारण उन्होंने सिंगल्स मैचों से नाम वापस ले लिया था, जिससे उनकी मूवमेंट पर भी असर पड़ा। ठंडी मौसम ने भी उनकी परेशानी को बढ़ा दिया। लेकिन, मरे अभी भी मिश्रित डबल्स में एम्मा राडुकानु के साथ खेलते रहेंगे।
विदाई समारोह और आभार
इस भावुक समारोह में नोवाक जोकोविक जैसी प्रतिष्ठित हस्तियाँ भी शामिल थीं। मरे ने विम्बलडन के आयोजकों का इस हृदयस्पर्शी विदाई के लिए खास धन्यवाद दिया। यह क्षण उनके करियर का एक महत्वपूर्ण और यादगार हिस्सा बन गया है।
इस तरह, एंडी मरे का टेनिस करियर टेनिस प्रेमियों और खेल जगत के लिए प्रेरणादायक बना रहेगा। उनके योगदान और सफलताओं को हमेशा याद किया जाएगा।
ये दृश्य देखकर आँखें भर आईं... ❤️
मरे ने सिर्फ टेनिस नहीं, एक अहम अध्याय बंद किया है। जब तक दुनिया में कोई खिलाड़ी इतनी लगन, इतनी लड़ाई और इतना विनम्रता से खेलेगा, तब तक वो एक देवता होंगे। ये हार नहीं, एक अमर विजय है।
इस तरह के खिलाड़ियों के लिए विदाई नहीं, बल्कि एक शुभारंभ होता है। उनकी लगन अब नई पीढ़ी को रास्ता दिखाएगी। जिन्होंने अपनी चोटों के बावजूद खेला, उन्हें नमन।
क्या आपने कभी सोचा है कि विंबलडन का ये भावुक विदाई सिर्फ एंडी मरे के लिए नहीं, बल्कि टेनिस के उस पुराने युग के लिए है जहाँ गेम की शुद्धता, नैतिकता और आत्मसमर्पण का महत्व था? आज के टेनिस में सिर्फ फैन्स, फैंसी शूज और सोशल मीडिया ट्रेंड्स हैं। मरे ने एक ऐसा मानक छोड़ा जिसे कोई नहीं दोहरा पाएगा। वो खिलाड़ी नहीं, एक संस्कृति थे।
अरे ये सब नाटक है! देखो अब तो बीबीसी और गार्डियन भी इसे एक देशभक्ति कथा बना रहे हैं! जब वो इंग्लैंड के खिलाफ खेलते थे तो किसने उनकी तारीफ की? अब जब वो बुढ़ापे में आ गए तो सब रोने लगे! ये सब राजनीति है, दर्शकों को भावुक करने के लिए बनाया गया ड्रामा!
उनकी मेहनत देखकर लगता है कि असली जीत वो है जो दिल से होती है।
मिश्रित डबल्स में एम्मा के साथ खेलना बहुत अच्छा फैसला है। उनकी ताकत और एम्मा की तेजी एकदम बराबर है। ये जोड़ी देखकर लगता है जैसे टेनिस का भविष्य आ गया है।
अरे भाई, ये सब भावुकता बिल्कुल फेक है। एक खिलाड़ी जिसने अपने करियर के आखिरी साल में भी फाइनल नहीं जीता, उसे इतना शोर क्यों? उसके बाद के खिलाड़ी तो बिना किसी चोट के 20 साल खेल रहे हैं। ये नोस्टैल्जिया का धोखा है।
क्या आपने देखा? जोकोविक ने भी वीडियो भेजा। वो तो अपने लिए भी एक नया रिकॉर्ड बनाना चाहता था - सबसे ज्यादा ट्रिब्यूट जीतने वाला खिलाड़ी। ये सब एक बड़ा ब्रांडिंग गेम है।
ये बातें तो हर कोई कहता है, लेकिन असली बात ये है कि मरे ने दर्द के बीच भी खेलने का फैसला किया। उन्होंने अपनी चोट के बावजूद भाई के साथ डबल्स खेला। ये नहीं कि वो जीतना चाहते थे, बल्कि वो खेलना चाहते थे। यही तो असली जीत है।
मरे के बाद कौन आएगा? अब तो खिलाड़ी बस बॉल बाउंस कराते हैं, गेम नहीं खेलते। एक भी ऐसा खिलाड़ी नहीं जो अपनी बैकहैंड के लिए 10 साल लड़े हों। ये टेनिस नहीं, फिटनेस शो हो गया है।
अगर आपने उनकी शुरुआत के दिन देखे होंगे, तो आप जानेंगे कि ये कितना अद्भुत यात्रा है। एक छोटा सा बच्चा जिसने अपने पिता के साथ बाहर के कोर्ट पर गेंद उछाली, और आज दुनिया उसे खड़ा कर दे रही है। ये जीवन का सबसे बड़ा सबक है।
मरे के करियर की गहराई उसकी अंतर्निहित नैतिकता में छिपी है - वह एक विजेता थे, लेकिन उन्होंने जीत के लिए कभी दूसरों को नीचा नहीं दिखाया। उनकी विनम्रता, उनकी सहनशीलता, उनकी लगन - ये सब एक अलग तरह की शक्ति है। ये विजय नहीं, एक सांस्कृतिक आधार है।
कभी-कभी लगता है कि हम खिलाड़ियों को बस जीत के लिए प्यार करते हैं। लेकिन मरे ने हमें सिखाया कि हार के बाद भी इंसानियत बरकरार रह सकती है। उनके लिए विंबलडन एक घर था।
बस इतना ही? एक खिलाड़ी जिसने दो ग्रैंड स्लैम जीते, और अब रो रहा है? इतनी ज्यादा धूम क्यों? किसी और के लिए तो ये एक औसत करियर होता।