नीतिश कुमार रेड्डी की कहानी: पिता मुद्याला रेड्डी का बलिदान और क्रिकेट के प्रति समर्पण

नीतिश कुमार रेड्डी की कहानी: पिता मुद्याला रेड्डी का बलिदान और क्रिकेट के प्रति समर्पण

नीतिश कुमार रेड्डी: एक नई उम्मीद की किरण

नीतिश कुमार रेड्डी का नाम आज भारतीय क्रिकेट में एक जाना-माना नाम बन चुका है। महज कुछ ही वर्षों में उन्होंने अपनी शानदार प्रतिभा के बलबूते पर देश और दुनिया के क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीत लिया है। खासकर, बॉक्सिंग डे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक लगाने के बाद उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है। लेकिन उनकी इस सफलता में जितनी उनकी मेहनत का रोल है, उतना ही उनके पिता मुद्याला रेड्डी के त्याग और समर्पण का योगदान भी है।

पिता का त्याग: अपनी नौकरी छोड़, बेटे की सफलता में दी अपना योगदान

मुद्याला रेड्डी, जो हिंदुस्तान जिंक में कार्यरत थे, ने अपने बेटे नीतिश के क्रिकेट करियर को ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी। मुद्याला का यह कदम उनके परिवार के आर्थिक स्थिति पर भारी पड़ा। रिश्तेदारों की आलोचना के बावजूद उन्होंने इस निर्णय को साहसिकता से लिया। उन्होंने हमेशा नीतिश के खेलने की कला और उसमें छिपे खेल के प्रति जुनून को पहचाना और उसका समर्थन किया।

कोचों का योगदान और बचपन की कड़ी मेहनत

नीतिश की क्रिकेट यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने विशाखापत्तनम जिला क्रिकेट एसोसिएशन (वीडीसीए) के शिविरों में अपनी क्रिकेट की बुनियादी शिक्षा पाई। उनके कोच कुमार स्वामी, कृष्णा राव और वाथेकर ने उसकी तकनीकी और मानसिक विकास में अहम भूमिका निभाई। छोटी उम्र से ही क्रिकेट के प्रति उनकी गंभीरता और लगन ने उन्हें जल्दी ही सुर्ख़ियों में ला दिया।

विजय मर्चेंट ट्रॉफी में धमाकेदार प्रदर्शन

2017-18 का विजय मर्चेंट ट्रॉफी टूर्नामेंट नीतिश के करियर का अहम मोड़ साबित हुआ। इस प्रतियोगिता में नीतिश ने अपने प्रदर्शन से सभी को चौंका दिया। उन्होंने न केवल 1237 रन बनाए बल्कि नागालैंड के विरुद्ध 441 रन का चौकन्ना शतक भी जड़ा। इसके अलावा, उनके 26 विकेट ने उनके ऑल-राउंडर क्षमता को भी साबित किया। इस ऐतिहासिक प्रदर्शन ने उन्हें बीसीसीआई के 'बेस्ट क्रिकेटर इन द अंडर-16' जगमोहन डालमिया पुरस्कार से सम्मानित कराया।

राजनीतिक दबाव से बचाने का दृढ़ संकल्प

मुद्याला का यह निर्णय उनके बेटे के लिए एक सुरक्षित और राजनीतिक दबाव से मुक्त क्रिकेट करियर सुनिश्चित करना था। उन्हें डर था कि क्रिकेट के क्षेत्र में राजनीतिक दबाव उनके बेटे की स्वतंत्रता और खेल की मस्ती को प्रभावित कर सकता है।

क्रिकेट में उन्नति की ओर कदम

नीतिश की प्रतिभा को आंध्र प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एसीए) के कडप्पा अकादमी में कोच मधुसूदन रेड्डी और श्रीनिवास राव के तहत और निखारने का मौका मिला। यहां उनकी पहचान पूर्व भारतीय क्रिकेटर और चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने की, जिन्होंने उन्हें अंडर-12 और अंडर-14 मैचों में देखा।

प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण

नीतिश ने 27 जनवरी 2020 को आंध्र प्रदेश के लिए 2019-20 रणजी ट्रॉफी से प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कदम रखा। फिर 20 फरवरी 2021 को विजय हजारे ट्रॉफी और 4 नवंबर 2021 को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में अपने लिस्ट ए और ट्वेंटी20 करियर की शुरुआत की। इससे यह साफ होता है कि नीतिश ने कैसे एक ही साल में विभिन्न प्रारूपों में अपनी जगह बना ली।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उन्नति

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उन्नति

6 अक्टूबर 2024 को नीतिश का टी20आई क्रिकेट में पदार्पण उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की दिशा में एक बड़ा मुकाम दिलाता है। इसके बाद उन्होंने 22 नवंबर 2024 को इंडियन टेस्टी डे टेस्ट क्रिकेट में अपने पदार्पण को चिह्नित किया। यह अवसर उन्हें बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान मिला, और वहां उनके प्रदर्शन ने उन्हें एक उभरते सितारे के रूप में पेश किया।

आईपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद की नई पहचान

हालांकि उन्हें कई फ्रेंचाइजी से आकर्षक ऑफर्स मिले, लेकिन नीतिश ने आईपीएल 2025 की नीलामी में सनराइजर्स हैदराबाद के साथ रहना चुना। टीम ने उनमें विश्वास दिखाया और 6 करोड़ रुपए में उन्हें रिटेन किया। नीतिश अपनी टीम के प्रति भरोसे और समर्थन की भावना से प्रेरित थे और उन्होंने इसे ही सही विकल्प माना।

नीतिश कुमार रेड्डी की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों की दिशा में आगे बढ़ने का हौसला रखते हैं। उनके पिता का साहसिक निर्णय और नीतिश की मेहनत इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ निश्चय और समर्पण से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। क्रिकेट प्रेमियों को ऐसे खिलाड़ियों से गर्व और उम्मीद है कि वे भारतीय क्रिकेट को और ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।

टिप्पणि (9)

  1. shagunthala ravi
    shagunthala ravi

    इस तरह के पिता के बिना कोई बच्चा असली सफलता नहीं पा सकता। मुद्याला रेड्डी ने बस एक नौकरी नहीं छोड़ी, बल्कि एक जीवन का आधार त्याग दिया। ये त्याग आज के समय में दुर्लभ है।

  2. Urvashi Dutta
    Urvashi Dutta

    मैंने अपने गाँव में एक ऐसा ही एक खिलाड़ी देखा था, जिसके पिता ने अपनी छोटी दुकान बंद करके बेटे के लिए एक छोटा सा क्रिकेट मैदान बना दिया था। वो बच्चा आज राष्ट्रीय स्तर पर खेल रहा है। ये कहानी सिर्फ नीतिश की नहीं, ये भारत के हजारों अज्ञात खिलाड़ियों की कहानी है। पिता का त्याग, माँ की चुप्पी, और बच्चे का जुनून - यही तो असली भारतीय क्रिकेट का आधार है।

  3. Rahul Alandkar
    Rahul Alandkar

    बहुत अच्छी कहानी है। लेकिन इस तरह के खिलाड़ियों को अभी भी राज्य सरकारों की ओर से बहुत कम समर्थन मिलता है। एसीए और बीसीसीआई को इन लोगों के लिए अधिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

  4. Jai Ram
    Jai Ram

    मैंने नीतिश का वीडियो देखा था जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक लगाया - उनकी बैटिंग स्टाइल में एक अजीब सी शांति है। जैसे वो खेल रहे हों, न कि जीतने की कोशिश कर रहे हों। ये बहुत दुर्लभ है। और हाँ, उनके पिता का फैसला बहुत बड़ा था। मैं अपने दोस्त के बेटे को भी एक छोटे गाँव में कोच करता हूँ - उसके पिता ने भी अपनी नौकरी छोड़ दी थी। लोग कहते हैं ये बेवकूफी है, लेकिन जब बच्चा शतक लगाता है, तो सब चुप हो जाते हैं 😊

  5. Vishal Kalawatia
    Vishal Kalawatia

    अरे ये सब तो बस एक और बेवकूफ न्यूज़ आर्टिकल है। भारत में हर साल 5000 बच्चे शतक लगाते हैं, लेकिन उनमें से एक भी टीम में नहीं बनता। इस लड़के को तो बस एक अच्छा अवसर मिल गया। और ये पिता का त्याग? अगर वो अपनी नौकरी नहीं छोड़ता तो आज ये बच्चा शायद इंजीनियर होता। ये तो बस एक रैंडम लकी स्ट्राइक है।

  6. Kirandeep Bhullar
    Kirandeep Bhullar

    सच तो ये है कि ये सब एक बड़ा नाटक है। जब तक भारतीय क्रिकेट में राजनीति नहीं खत्म होगी, तब तक ये तमाशा चलता रहेगा। नीतिश को आईपीएल में 6 करोड़ मिले, लेकिन उसके गाँव के दूसरे बच्चे को एक नया बैट भी नहीं मिला। ये तो सिर्फ चुनिंदा लोगों के लिए सपना है। जो बाकी हैं, वो तो बस फोटो में दिखते हैं - जैसे वो खेल रहे हों।

  7. DIVYA JAGADISH
    DIVYA JAGADISH

    पिता का त्याग और बेटे की लगन - ये दोनों एक साथ आते हैं। बाकी सब बस धुआं है।

  8. Amal Kiran
    Amal Kiran

    ये लड़का तो बस एक और बांग्लादेशी जैसा बन रहा है। बीसीसीआई को अपने घर के लोगों को प्राथमिकता देनी चाहिए। इन सब को टीम में डालने से भारतीय क्रिकेट बर्बाद हो रहा है।

  9. shagunthala ravi
    shagunthala ravi

    ये बात बहुत अहम है। लेकिन जब तक हम इस तरह के खिलाड़ियों के लिए एक स्थायी ढांचा नहीं बनाएंगे - जहां एक गरीब बच्चा भी अपने शहर के बाहर जाए बिना अपना सपना पूरा कर सके - तब तक ये कहानियां बस अच्छी लगेंगी। वो बदलाव नहीं लाएंगे।

एक टिप्पणी लिखें