विजयादशमी – इतिहास, रिवाज़ और आज के उत्सव

विजयादशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, भारत में सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की जीत को दर्शाता है और राम हिन्दू धर्म में रावण को पराजित करने का जश्न मनाते हैं। अगर आप इस त्यौहर की असली कहानी और भारत में कैसे मनाया जाता है, जानना चाहते हैं तो पढ़ते रहें।

विजयादशमी का इतिहास और महत्त्व

विजयादशमी का जड़ें प्राचीन वेदों और पुराणों में मिलती हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने नरकासुर को मारकर धर्म की रक्षा की थी। परन्तु लोकप्रिय रूप से इसे राम के रावण पर विजय के रूप में माना जाता है। उस समय अयोध्या में कई सालों की अंधेरी अवधि के बाद, राम ने रावण को मारकर लोगों को फिर से सुख-शांति दी। यही कारण है कि विजयादशमी को ‘धर्म की जीत’ के रूप में मनाया जाता है।

इतिहास में कई राजाओं ने इस दिन को सम्मानित करने के लिए विशाल मेले और क्रीड़ा का आयोजन किया। कुछ क्षेत्रों में इस दिन को ‘विजय दिवस’ कहा जाता है, जहाँ लोग अपने कार्यों में जीत की भावना को मनाते हैं। इस दिन के बाद आने वाला दस दिन का ‘विषु’ या ‘विषु’ कहलाने वाला उत्सव, पूरे भारत में भव्य रूप से मनाया जाता है।

विजयादशमी के प्रमुख समारोह और रिवाज़

हर साल दशहरा के दिन भारत के लगभग हर शहर में बड़े-बड़े मेले लगे होते हैं। सबसे मशहूर मेले मुंबई में, जयपुर में और वाराणसी में होते हैं, जहाँ लोग रावण के पुतले फोड़ते हैं। पुतले बनाने की कला कई पीढ़ियों से चली आ रही है और हर पुतले में रावण, उसके भाई कुम्भकर्ण और उनके सेनानी दर्शाए जाते हैं। पुतले फोड़ने से पहले बड़े आयोजनों में रामलीला भी शुरू होती है।

रामलीला में कलाकार भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और रावण के बीच के संघर्ष को मंचित करते हैं। इसे आमतौर पर गाँवों के खुले मैदान या शहर के बड़े रंगमंच में किया जाता है। इस नाटक में संगीत, नृत्य और डायलॉग्स का मिश्रण दर्शकों को पूरी तरह झंकाता है। कई जगह पर यह नाटक 10‑12 घंटे चल सकता है, जिससे दर्शकों को एक पूरी कथा मिलती है।

आधुनिक समय में कुछ शहरों में ‘हैप्पी फेस्टिवल’ भी जोड़े गए हैं—जैसे लाइट शो, फूड स्टॉल और पार्टियों का आयोजन। लेकिन मूल मकसद वही रहता है: बुराई पर अच्छाई की जीत को जश्न मनाना। अगर आप इस त्यौहार को घर में मनाना चाहते हैं, तो आप रावण पुतले को छोटा बनाकर बच्चों के साथ फोड़ सकते हैं। साथ ही, मिठाई जैसे ‘गुजिया’ और ‘सेव’ बनाकर परिवार के साथ बांटें। यह छोटे-छोटे कदम बड़ी खुशी की वजह बनते हैं।विजयादशमी के दिन कई लोग पवित्र स्थलों जैसे अयोध्या, रावण को पेरुशा और लक्ष्मणेश्वर बांध के पास होते हैं। यहाँ पर श्रद्धालु हवन, पूजा और प्रसाद वितरण करते हैं। यह ऊर्जा और शांति का स्रोत बनता है, जिससे लोग अपने जीवन में नई उमंग और सकारात्मकता लाते हैं।

आप भी इस विजयादशमी को अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मनाइए। अगर आप शहर में नहीं हैं, तो ऑनलाइन रामलीला देख सकते हैं या अपने मोबाइल पर छोटे-छोटे रावण पुतले बनाकर उसके बाद फोड़ सकते हैं। इस तरह आप अपने घर में भी इस त्यौहार की खुशियों को महसूस कर सकते हैं।

संक्षेप में कहा जा सकता है कि विजयादशमी सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इतिहास, रिवाज़ और उत्सव को समझ कर आप इस दिन को और भी खास बना सकते हैं। तो इस साल के विजयादशमी पर दिल खोल कर जश्न मनाइए और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाएँ।