इन्फोसिस को ₹32,403 करोड़ जीएसटी नोटिस: क्या है इसका सीधा प्रभाव

इन्फोसिस को ₹32,403 करोड़ जीएसटी नोटिस: क्या है इसका सीधा प्रभाव

घटना की पृष्ठभूमि

भारतीय सॉफ्टवेयर दिग्गज इन्फोसिस पर हाल ही में ₹32,403 करोड़ का जीएसटी (GST) नोटिस मढ़ा गया है। यह नोटिस उन सेवाओं के संदर्भ में है, जो इन्फोसिस ने अपनी विदेश स्थित शाखाओं से 2017 से लेकर 2022 तक हासिल की थीं। कर्नाटक राज्य के जीएसटी अधिकारियों ने इस 'प्रि-शो कॉज़' नोटिस को जारी किया है, जो कि इस तरह की बड़ी रकम और समय सीमा को कवर करता है।

इन्फोसिस का पक्ष

इन्फोसिस इस विशेष मामले में अपना पक्ष भी स्पष्ट कर चुका है। कंपनी का मानना है कि विदेश स्थित शाखाओं द्वारा प्रदान की गई सेवाएं जीएसटी के अधीन नहीं आती हैं। वे सीबीआईटीसी (Central Board of Indirect Taxes and Customs) के हालिया सर्कुलर का हवाला देते हुए यह दलील देते हैं कि भारत के इकाईयों को विदेशी शाखाओं द्वारा दी जाने वाली सेवाएं जीएसटी के दायरे में नहीं हैं।

कंपनी का तर्क

कंपनी के अनुसार उन्होंने अपने सभी जीएसटी देनदारियों को पूरा किया है और केंद्रीय तथा राज्यीय सभी आदेशों का पालन किया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जीएसटी भुगतान क्रेडिट या आईटी सेवाओं के निर्यात के खिलाफ रिफंड के योग्य हैं।

प्रमुख मुद्दा

प्रमुख मुद्दा

डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस का आरोप है कि इन्फोसिस ने विदेशी सेवाओं के आयात पर आईजीएसटी (Integrated-GST) का भुगतान नहीं किया है और इन खर्चों को अपने निर्यात इनवॉइसेस में शामिल किया है।

आर्थिक प्रभाव

यह मामला आर्थिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मांग इन्फोसिस की एक साल की कमाई से भी अधिक है। जून तिमाही के लिए, इन्फोसिस का शुद्ध लाभ 7.1% वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि के साथ ₹6,368 करोड़ था, और परिचालन से होने वाली आय ₹39,315 करोड़ पर थी।

जीएसटी नेटवर्क संबंध

जीएसटी नेटवर्क संबंध

गौरतलब है कि इन्फोसिस जीएसटी नेटवर्क (GSTN) पोर्टल को मैनेज करती है; 2015 में, उन्हें इस तकनीकी प्लेटफॉर्म के निर्माण के लिए ₹1,380 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट हासिल हुआ था।

संक्षेप में, यह मामला न केवल इन्फोसिस के लिए, बल्कि पूरी आईटी सेवा इंडस्ट्री के लिए भी नजर रखने योग्य है, क्योंकि यह संभावित रूप से जीएसटी के प्रति समझ और अनुपालन पर बड़ी प्रभाव डाल सकता है।

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