सुप्रीम कोर्ट में NEET UG 2024 की सुनवाई
भारत की सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल प्रवेश परीक्षा, NEET UG 2024, एक बार फिर विवादों के घेरे में है। इस बार 38 याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की बेंच द्वारा की जाएगी। याचिकाएं मुख्य रूप से मई 5 को आयोजित NEET UG 2024 परीक्षा में अनियमितताओं और भारी गलतियों की ओर इशारा कर रही हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि परीक्षा में अनेक धांधलियां और कदाचार हुए हैं, जिनके कारण परीक्षा को दोबारा आयोजित करने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) और केंद्र सरकार का पक्ष
दूसरी तरफ, एनटीए और केंद्र सरकार दोबारा परीक्षा करवाने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि दोबारा परीक्षा कराने से उन लाखों छात्रों के भविष्य पर संकट आ जाएगा जिन्होंने इस परीक्षा में अच्छे अंकों के साथ सफलतापूर्वक भाग लिया। इन छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए, एनटीए और केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से परीक्षा रद्द न करने की अपील की है। कुल मिलाकर 50 से अधिक सफल उम्मीदवारों ने भी कोर्ट में याचिका दायर की है कि परीक्षा को रद्द करने के बजाय उन लोगों की जांच कर उन्हें दंडित किया जाए, जिन्होंने कदाचार किया है।
उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें
इस विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। यह समिति परीक्षा पारदर्शी और निष्पक्ष ढंग से आयोजित करने के लिए आवश्यक उपायों की सिफारिश करेगी। समिति की जिम्मेदारी में सुधारात्मक सुझाव देना, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करना और एनटीए के कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए अनुशंसाएँ तैयार करना शामिल है।
अनियमितताओं का मामला
परीक्षा में कथित तौर पर पेपर लीक की खबरें आई हैं, जिसे लेकर कोर्ट ने एनटीए और केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगते हुए कड़ी आपत्तियां जताई हैं। हालांकि, एनटीए और केंद्र सरकार ने पेपर लीक के आरोपों का खंडन किया है। कोर्ट का मानना है कि इस मामले में परीक्षा को रद्द करना उन लाखों ईमानदार उम्मीदवारों के प्रयासों को गंभीरता से नुकसान पहुंचा सकता है जिन्होंने परीक्षा के प्रश्न पत्र को ईमानदारी से हल किया।
अगली सुनवाई की तैयारी
सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को करेगा। इसमें क्या निर्णय लिया जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा। यदि परीक्षा को रद्द किया जाता है, तो उससे प्रभावित होने वाले छात्रों की बड़ी संख्या होगी। वहीं, यदि परीक्षा को वैध माना जाता है, तो यह उन उम्मीदवारों के लिए एक आशा की किरण होगी जिन्होंने अपने मेहनत से सफलता प्राप्त की है।
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