कोडिक्कुन्निल सुरेश: विपक्ष के 18वीं लोकसभा के स्पीकर उम्मीदवार, जानिये उनकी पूरी कहानी

कोडिक्कुन्निल सुरेश: विपक्ष के 18वीं लोकसभा के स्पीकर उम्मीदवार, जानिये उनकी पूरी कहानी

कोडिक्कुन्निल सुरेश: विपक्ष के 18वीं लोकसभा के स्पीकर पद के उम्मीदवार

भारतीय राजनीति के पटल पर कोडिक्कुन्निल सुरेश एक ऐसा नाम है जिसे किसी पहचान की आवश्यकता नहीं है। अपने संघर्षपूर्ण जीवन और दृढ़ निश्चय के बल पर सुरेश ने सांसद के रूप में अपने प्रतिष्ठित स्थान को प्राप्त किया है। केरल के आठ बार के सांसद सुरेश को विपक्ष ने 18वीं लोकसभा के स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार चुना है।

सुरेश का प्रारंभिक जीवन और संघर्ष

कोडिक्कुन्निल सुरेश का जन्म 4 जून 1962 को हुआ था और उन्होंने अपने शुरुआती जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया। जब सुरेश मात्र दस साल के थे, उनके पिता की मृत्यु हो गई। उनके बाद परिवार की जिम्मेदारी उनकी मां, थांकम्मा पर आ गई, जिन्होंने मजदूरी कर अपने बच्चों का पालन पोषण किया। सुरेश के जीवन का यह दौर काफी कठिनाइयों भरा था, लेकिन उनकी मां ने अपने सभी बच्चों को शिक्षा देने की हर संभव कोशिश की।

आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने के बावजूद सुरेश ने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई जारी रखी। सुरेश ने एलएलबी की डिग्री हासिल की, जो उनके आगे के राजनीतिक करियर में महत्वपूर्ण साबित हुई। उनकी इस यात्रा ने उन्हें राजनीति में एक मजबूत और दृढ़ निश्चयी नेता के रूप में स्थापित किया।

राजनीतिक करियर की शुरुआत

सुरेश ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1989 में की जब वे पहली बार अडूर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए। 1989 से लेकर 1998 तक लगातार चुनाव जीतते रहे, सिवाय 1996 के हार के। इसके बाद 2009 में उन्होंने मावेलिक्करा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ना शुरू किया और वहां से लगातार जीत हासिल की।

सुरेश ने अपने राजनीतिक जीवन में विभिन्न जिम्मेदारियाँ निभाई हैं, जिनमें यूपीए-द्वितीय में श्रम राज्य मंत्री और पिछली लोकसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप शामिल हैं। सुरेश की पहचान एक दलित नेता के रूप में है जो अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए हमेशा आवाज उठाते रहे हैं।

संसदीय लोकतंत्र और संविधान का संरक्षण

सुरेश ने हमेशा संसदीय लोकतंत्र, संसदीय परंपराओं और संविधान के संरक्षण के लिए काम किया है। उनका मानना है कि एक मजबूत और सशक्त लोकतंत्र ही देश को सही दिशा में आगे बढ़ा सकता है। सुरेश ने नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ भी कई बार आवाज उठाई है और अपने सिद्धांतों के साथ कभी समझौता नहीं किया।

चुनौतियों का सामना

सुरेश के जीवन में कई बार चुनौतीपूर्ण परिस्थितियाँ आईं। 2009 में केरल हाईकोर्ट ने उनकी चुनाव को अवैध घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनके चुनाव को बहाल कर दिया। इन मामलों ने उन्हें और मजबूत बना दिया और उन्होंने हर बार अपनी दृढ़ निश्चयता को साबित किया।

कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका

सुरेश ने कांग्रेस कार्यसमिति में एक विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्तमान में वे केरल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। उनकी मजबूत विचारधारा और अडिग सिद्धांत उन्हें भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाते हैं।

कोडिक्कुन्निल सुरेश का जीवन संघर्ष, दृढ़ता और समर्पण का प्रतीक है। उनकी कहानी किसी भी आम व्यक्ति को प्रेरणा दे सकती है कि कैसे कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने उच्चतम स्तर पर राजनीति में सफलता प्राप्त की। उनकी इस यात्रा में उनके मां के अटूट समर्थन और अपनी मेहनत का बड़ा योगदान है।

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