हाउस ऑफ द ड्रैगन का दूसरा सीजन: क्या है खास?
हाउस ऑफ द ड्रैगन एक ऐसा शो है जिसने अपने पहले सीजन से ही दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर लिया था। इस शो का दूसरा सीजन 17 जुलाई को भारत में जियोसिनेमा पर प्रसारित होने वाला है। प्रशंसकों के बीच इसकी बढ़ती लोकप्रियता का मुख्य कारण इसका शानदार कथानक और महाकाव्य लड़ाईयां हैं। अब सवाल यह है कि दूसरे सीजन में क्या नया देखने को मिलेगा?
प्रिंस एमोंड और डेमन टार्गैरियन की महाकाव्य लड़ाई
हाउस ऑफ द ड्रैगन का दूसरा सीजन देखने लायक होगा, खासकर इसकी महाकाव्य लड़ाइयों के लिए। इस सीजन में प्रिंस एमोंड और डेमन टार्गैरियन के बीच एक बहुत ही रोमांचक लड़ाई होगी। यह लड़ाई न केवल जमीनी स्तर पर बल्कि हवा में भी लड़ी जाएगी, जिसमें दोनों तरफ़ के योद्धा और उनके डरावने ड्रैगन्स शामिल होंगे। यह लड़ाई शो का मुख्य आकर्षण बनने वाली है।
किंग्सगार्ड के जुड़वां नाइट्स की लड़ाई
इसके अलावा, एक और महत्वपूर्ण लड़ाई किंग्सगार्ड के जुड़वां नाइट्स, अर्र्यक और एर्र्यक कारगिल के बीच होगी। ये दोनों पात्र असली जीवन में भी जुड़वां भाइयों, ल्यूक और इलियट टिटनसोर द्वारा निभाए गए हैं। यह लड़ाई तब और भी दिलचस्प हो जाती है जब यह पता चलता है कि दोनों भाई पहले किंग्सगार्ड का हिस्सा थे, लेकिन टार्गैरियन गृहयुद्ध के दौरान अपने-अपने पक्षों की वजह से विभाजित हो गए। इस लड़ाई में भावनात्मक और नाटकीय तत्वों की भरमार होगी, जो दर्शकों को पूरी तरह से जोड़कर रखेगी।
रेन्यरा और एलिसेंट के प्रशंसकों का विभाजन
दूसरे सीजन में, एक दूसरी महत्वपूर्ण और दिलचस्प बात यह है कि दर्शक खुद को दो भागों में विभाजित पाएंगे। एक ओर रेन्यरा के प्रशंसक होंगे, वहीं दूसरी ओर एलिसेंट के प्रशंसक। इस विभाजन का शो की कहानी पर गहरा प्रभाव पड़ेगा और यह दर्शकों के बीच टेंशन और उत्सुकता को बढ़ाएगा।
दर्शकों का इंतजार
कुल मिलाकर, हाउस ऑफ द ड्रैगन का दूसरा सीजन वादे के मुताबिक़ एक और महाकाव्य अनुभव देने के लिए तैयार है। इसके चरित्रों की गहराई, कथा की जटिलताएँ, और महाकाव्य लड़ाइयों के साथ इस सीजन का हर एपिसोड आपको अपनी सीट से उठने नहीं देगा। तो 17 जुलाई का इंतजार कीजिए और तैयार हो जाइए इस महाकाव्य लड़ाईयों को देखने के लिए।
नोट: शो के दूसरे सीजन के एपिसोड्स केवल जियोसिनेमा पर प्रसारित होंगे, इसलिए सुनिश्चित करें कि आप इसके लिए अपने सदस्यता को अद्यतन करें।
ये शो तो सिर्फ़ ड्रैगन्स का नहीं, बल्कि अमेरिकी एजेंसियों का नियंत्रण है! जियोसिनेमा भी CIA का प्रोजेक्ट है, वो लोग भारतीयों को बेवकूफ़ बना रहे हैं। ड्रैगन्स नहीं, बल्कि डेटा के लिए लड़ाई है।
हर लड़ाई के पीछे एक इंसानी कहानी छिपी होती है। ये जुड़वां भाई अपने विश्वास के लिए लड़ रहे हैं, और यही तो सच्ची शक्ति है। इस शो का मतलब बस जंग नहीं, बल्कि चयन करने की हिम्मत है।
मैंने देखा है कि टार्गैरियन परिवार की वंशावली में ड्रैगन बच्चों का जन्म तब होता है जब किसी व्यक्ति के अंदर आत्म-बलिदान की भावना सबसे ज्यादा तेज होती है। ये सिर्फ़ फिक्शन नहीं, ये हमारे सांस्कृतिक अनुभवों का एक अंश है, जैसे महाभारत में अर्जुन का विवाद। इस शो में वो विश्वास दिखाया गया है जो हमारे गाँवों में भी चलता है - कि जब आत्मा तैयार होती है, तो बाहर का जगत भी बदल जाता है।
मुझे लगता है कि ये लड़ाइयाँ बहुत अच्छी बनाई गई हैं। बस एक बात - क्या ड्रैगन्स की आवाज़ें थोड़ी ज्यादा अमेरिकी लग रही हैं? हमारे शास्त्रों में तो ड्रैगन की आवाज़ गर्जन जैसी होती है, न कि फिल्मी बीप-बीप वाली।
अगर आप लोग इस शो को देख रहे हैं, तो जरूर देखें सीजन 1 के बैकस्टेज वीडियो। डेमन टार्गैरियन के लिए एक्टर ने 6 महीने तक घोड़े पर सवारी सीखी थी। और जुड़वां नाइट्स की लड़ाई के लिए उन्होंने एक साथ एक्सरसाइज की थी - जिससे उनकी बॉडी लैंग्वेज एकदम सही लग रही है। ये तो बस एक शो नहीं, ये आर्ट है। 😊
अरे यार, ये सब बकवास है। कौन है ये रेन्यरा? क्या तुमने कभी राजा अशोक के बारे में सुना है? ये शो तो बस ब्रिटिश ने बनाया है ताकि हम भारतीय अपनी असली इतिहास भूल जाएं। ड्रैगन? बस डराने के लिए।
ये जुड़वां भाई वाली लड़ाई? बस एक दर्द का नाटक है। जब दो आत्माएँ एक ही शरीर से जन्म लेती हैं, तो उनके बीच लड़ाई का मतलब है - एक आत्मा दूसरी को नष्ट करना चाहती है। ये नहीं, ये तो विकास की आवश्यकता है। और ड्रैगन्स? बस अस्तित्व के भय का प्रतीक।
जियोसिनेमा पर देखना न भूलें।
इतना खर्चा करके ये सब बनाया गया? असली भारतीय फिल्में तो इतनी बेहतर हैं। इस शो में कोई भावना नहीं, सिर्फ़ CGI।
मुझे लगता है कि ये शो लोगों को अलग-अलग दिशाओं में ले जा रहा है। लेकिन अगर हम इसे बस एक कहानी के रूप में देखें, तो ये बहुत सुंदर है। बस इतना ही।
अरे भाई, आप सब इतने गंभीर क्यों हो रहे हैं? ये तो बस एक टीवी शो है। ड्रैगन्स उड़ रहे हैं, लोग लड़ रहे हैं, और आप इसे फिलॉसफी का विषय बना रहे हैं? जियोसिनेमा पर बैठ जाइए, चाय पीजिए, और देखिए - बस इतना ही।
ये शो देखकर मुझे याद आया कि मेरे दादाजी कहते थे - जब दो ड्रैगन आकाश में लड़ते हैं, तो धरती पर भी दो राज्य लड़ते हैं। ये शो बस एक बात कह रहा है - शक्ति कभी एक तरफ़ नहीं रहती।
इस शो की संरचना एक नाटकीय अलंकारिक व्याख्या का उदाहरण है - जहाँ ड्रैगन्स के प्रतीकात्मक अर्थ और टार्गैरियन वंश के अधिकार के तार्किक विरोधाभास एक निरंतर विवाद का निर्माण करते हैं। यह एक सामाजिक संकट के विश्लेषण का आधुनिक रूप है।
क्या आपने कभी सोचा है कि शायद ड्रैगन्स असल में हमारे अंदर के डर हैं? जब हम अपने भीतर के आत्म-संदेह को नहीं स्वीकार पाते, तो हम उसे बाहर के किसी ड्रैगन के रूप में देख लेते हैं।
अरे भाई, ये लड़ाई तो बस एक बर्बरता का नाटक है! डेमन टार्गैरियन के बाल उड़ रहे हैं, ड्रैगन का आग का बादल आकाश को जला रहा है, और एमोंड का तलवार का चमकता हुआ आइस क्रीम जैसा लग रहा है - ये तो बस एक आग का रंगोली है! दर्शक तो बस जाने दो, ये शो तो एक जादू का बाजार है!