भारतीय विदेश सेवा का लोकतांत्रिक बदलाव
कांग्रेस नेता और पूर्व राजनयिक मनिशंकर अय्यर ने हाल ही में भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के ऐतिहासिक पहलुओं पर बात की और इसे 'ऊंची जाति' की सेवा कहा। उनके अनुसार, यह सेवा अतीत में अधिकतर 'Macaulay ki aulad' के रूप में जानी जाती थी।
तिन्होंने यह बात लेखक कल्लोल भट्टाचार्य की किताब 'नेहरू की पहली भर्ती' के लॉन्च के अवसर पर कही। अय्यर ने कहा कि भारतीय विदेश सेवा अब अधिक लोकतांत्रिक हो चुकी है और इसमें हिंदी भाषियों और महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।
सेवा में बदलाव की दिशा
मनिशंकर अय्यर ने कहा कि आईएफएस ने अपनी पहली पीढ़ी के भर्ती किए गए कर्मियों की 'खराब विशेषताओं' को भी दूर किया है, जिसमें महिलाओं और विदेशी नागरिकों के खिलाफ पूर्वाग्रह शामिल थे। उन्होंने इसे एक सकारात्मक दिशा में बढ़ता हुआ बताया, जहां अब सेवा में समावेशिता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
उनका मानना है कि यह बदलाव कालक्रम का हिस्सा है और आज के समय में यह सेवा अपने प्रारंभिक वर्षों की तुलना में अधिक उदार और समग्र दृष्टिकोण से काम कर रही है।
नेहरू की सोच का असर
अय्यर ने जवाहरलाल नेहरू की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने आधुनिक भारतीय विदेश सेवा का पुनर्निर्माण किया। उनके नेतृत्व और दृष्टिकोण ने सेवा को एक नई दिशा में पहुँचाया, जिससे कि यह और अधिक लोकतांत्रिक और समावेशी बन सकी।
उन्होंने कहा कि नेहरू की सोच और उनकी नीतियों ने भारतीय विदेश सेवा को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया।
विवादित बयान और माफ़ी
मनिशंकर अय्यर का बयान तब विवादित हो गया जब उन्होंने 1962 के इंडो-चीन युद्ध को 'आरोपित चीनी आक्रमण' कहा। इस बयान की चारों ओर से निंदा हुई और अय्यर को इसके लिए माफ़ी माँगनी पड़ी।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने बयान में कहा कि चीनी आक्रमण सच्चा था और अय्यर ने अपनी गलती के लिए माफ़ी माँग ली है।
समय के साथ सेवा में बदलाव
अय्यर के बयान से स्पष्ट है कि भारतीय विदेश सेवा समय के साथ बदलती रही है और आज यह सेवा लोकतांत्रिक मूल्यों को अपनाने में अधिक सक्षम है। इसके निर्माण में नेहरू की महत्वपूर्ण भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
सेवा के भीतर अधिक समावेशिता और विविधता का आगमन न सिर्फ भारतीय समाज के विविध पहलुओं को परिलक्षित करता है बल्कि इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मजबूत बनाता है।
आज की बदलती दुनिया में भारतीय विदेश सेवा का महत्व बढ़ता जा रहा है और इसके भीतर समाहित बदलाव इसे और अधिक प्रभावी और सहनशीलता प्रदान कर रहे हैं।
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