भारत के टेक-आधारित फिनटेक और कंज्यूमर टेक सेक्टर में एक बड़ा मोड़ आ गया है। लेंसकार्ट सॉल्यूशन्स लिमिटेड ने ₹7,278.02 करोड़ का आईपीओ लॉन्च किया है, जो इस साल का सबसे बड़ा उपभोक्ता टेक ऑफरिंग है। इसके बीच, ग्रोउ की मातृ कंपनी वियरट्रू लिमिटेड भी ₹1,060 करोड़ के आईपीओ के लिए फाइलिंग कर चुकी है। दोनों कंपनियाँ अलग-अलग बिजनेस मॉडल पर काम करती हैं, लेकिन एक साथ आईपीओ करने से बाजार में एक नया तूफान आ गया है।
लेंसकार्ट आईपीओ: बड़ा नंबर, बड़ी उम्मीदें
लेंसकार्ट ने ₹382-402 के प्राइस बैंड में आईपीओ लॉन्च किया, जिसकी बिडिंग 31 अक्टूबर से 4 नवंबर 2025 तक चली। आईपीओ का लक्ष्य केवल नए शेयर जारी करना है — कोई ऑफर फॉर सेल नहीं। इसका मतलब है कि कंपनी को मिलने वाली पूंजी पूरी तरह से बिजनेस विस्तार और ऑपरेशनल सुधारों में लगाई जाएगी।
आईपीओ के अंतिम दिन, सब्सक्रिप्शन रेट अचानक बढ़कर 15.28 गुना हो गया। ये नंबर किसी भी निवेशक के लिए एक झटका था। शुरुआत में, सिर्फ 2.42 गुना सब्सक्रिप्शन था। लेकिन अंतिम दिन के अंत तक, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) ने अपने हिस्से को 18.18 गुना सब्सक्राइब कर दिया। रिटेल निवेशकों ने भी 6.43 गुना का जोश दिखाया। ये बदलाव किसी अचानक बड़े इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर के एंट्री का संकेत है — शायद कोई फंड या बैंक ने अंतिम पल में बड़ा बेट लगा दिया।
ग्रोउ आईपीओ: छोटा आकार, बड़ी चुनौतियाँ
दूसरी ओर, वियरट्रू लिमिटेड — ग्रोउ की मातृ कंपनी — ने सिर्फ ₹1,060 करोड़ का आईपीओ लॉन्च किया है। ये लेंसकार्ट के आईपीओ का लगभग 14वाँ हिस्सा है। लेकिन यहाँ एक बड़ी समस्या है: जानकारी बहुत कम है। किस कीमत पर शेयर जारी होंगे? कितना सब्सक्रिप्शन हुआ? क्या वे लाभ कमा रहे हैं? इन सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिले।
मोटिलाल ओस्वाल के विश्लेषण के अनुसार, ग्रोउ का बिजनेस मॉडल अधिक टेक-फोकस्ड है — ये एक डिजिटल इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म है, जबकि लेंसकार्ट एक ऑनलाइन-ऑफलाइन रिटेलर है। लेकिन ये अंतर निवेशकों के लिए एक दुविधा बन गया है। क्या आप एक टेक-स्टार्टअप में निवेश करें जिसका बिजनेस मॉडल साफ नहीं है, या एक प्रूव्ड रिटेलर जिसकी बिक्री और आय जानी जाती है?
ग्रे मार्केट प्रीमियम: बाजार की आवाज
आईपीओ के लिए बिडिंग बंद होने के बाद, ग्रे मार्केट में लेंसकार्ट के शेयर्स का प्रीमियम ₹49 तक पहुँच गया। यानी अगर कोई निवेशक आईपीओ में शेयर खरीदता है और उसे लिस्टिंग के दिन बेच देता है, तो उसे ₹49 प्रति शेयर का लाभ मिल सकता है। ये नंबर बहुत अच्छा है — लेकिन ये ग्रे मार्केट अक्सर अतिरंजित होता है।
इसके बावजूद, ₹49 का प्रीमियम बाजार के लिए एक संकेत है कि लेंसकार्ट को लोग विश्वास कर रहे हैं। ये नंबर उस जोश को दर्शाता है जो निवेशकों में भारतीय टेक-रिटेलर्स के प्रति है। लेकिन याद रखें — ग्रे मार्केट अक्सर गलत होता है। 2023 में Zomato का ग्रे मार्केट प्रीमियम ₹120 था, लेकिन लिस्टिंग के बाद शेयर 15% गिर गया।
चीन पर निर्भरता: एक गहरा चिंता का विषय
लेंसकार्ट की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी आपूर्ति श्रृंखला में छिपी है। FY2025 में, उसके फ्रेम्स और अन्य सामग्री का 42.21% — यानी ₹1,062.43 करोड़ — चीन से आता है। Q1 FY2026 में ये आंकड़ा बढ़कर 53.38% (₹354.75 करोड़) हो गया।
ये कोई छोटी बात नहीं है। अगर भारत-चीन संबंध खराब हुए, या आयात पर टैरिफ लग गए, तो लेंसकार्ट की कीमतें बढ़ सकती हैं। या फिर उसकी मार्जिन घट सकती है। इसका मतलब है कि आईपीओ के बाद भी, ये कंपनी अपनी आपूर्ति को भारतीय बनाने के लिए बड़ा निवेश करेगी — नहीं तो निवेशक डर जाएंगे।
लिस्टिंग और भविष्य की राह
लेंसकार्ट के शेयर्स की अनुमानित आवंटन 6 नवंबर, 2025 को होगा, और ये शेयर 10 नवंबर को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर लिस्ट होंगे। ये दिन भारतीय बाजार के लिए एक बड़ा टेस्ट होगा।
अगर लेंसकार्ट का शेयर 10-15% ऊपर जाता है, तो ये दूसरी टेक-स्टार्टअप्स के लिए एक मॉडल बन जाएगा। लेकिन अगर ये लिस्टिंग पर फेल हो जाता है, तो इसका मतलब होगा कि निवेशक अब बस ब्रांड नहीं, बल्कि बिजनेस मॉडल और आपूर्ति श्रृंखला को देख रहे हैं।
क्या ग्रोउ का आईपीओ अभी भी एक बेहतर बेट है?
मोटिलाल ओस्वाल का सवाल — “लेंसकार्ट और ग्रोउ: कौन सा बेहतर बेट है?” — अभी भी खुला है। लेकिन अगर आपको एक ऐसा बिजनेस चाहिए जिसकी आय और बिक्री जानी जाती है, तो लेंसकार्ट बेहतर लगता है। अगर आप भविष्य के डिजिटल फिनटेक जायके पर बेट लगाना चाहते हैं, तो ग्रोउ का आईपीओ एक रिस्की लेकिन रिवॉर्डिंग ऑप्शन हो सकता है।
लेकिन एक बात साफ है: भारत के निवेशक अब सिर्फ ब्रांड नहीं, बल्कि बैलेंस शीट, आपूर्ति श्रृंखला और वित्तीय स्थिरता देख रहे हैं। ये एक नया युग है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
लेंसकार्ट का आईपीओ क्यों इतना बड़ा है?
लेंसकार्ट भारत का सबसे बड़ा ऑर्गनाइज्ड एयरवेयर रिटेलर है, जिसकी FY2025 में B2C बिक्री अन्य सभी प्राइवेट लेबल्स को मिलाकर भी ज्यादा है। इसकी वर्टिकल इंटीग्रेशन — डिजाइन, निर्माण और रिटेल — के कारण इसे बड़ी पूंजी की जरूरत है। ₹7,278 करोड़ का आईपीओ उसके नए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, रिसर्च और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए है।
ग्रोउ के आईपीओ के बारे में क्यों कम जानकारी है?
ग्रोउ की मातृ कंपनी वियरट्रू लिमिटेड ने अभी तक अपना प्रोस्पेक्टस जारी नहीं किया है। इसका मतलब है कि उसकी आय, लाभ, खर्च और ग्रोथ रेट अभी तक सार्वजनिक नहीं हैं। ये एक अज्ञात राशि है — जिसके कारण निवेशक इसमें सावधानी से देख रहे हैं।
लेंसकार्ट के शेयर्स पर ग्रे मार्केट प्रीमियम ₹49 का मतलब क्या है?
₹49 का प्रीमियम ये दर्शाता है कि बाजार में लेंसकार्ट के शेयर्स को लिस्टिंग के बाद 10-12% तक ऊपर जाने की उम्मीद है। लेकिन ये ग्रे मार्केट अक्सर अतिरंजित होता है। 2024 में Nykaa का प्रीमियम ₹110 था, लेकिन लिस्टिंग के बाद शेयर 8% गिर गया। इसलिए इस पर भरोसा न करें।
चीन पर निर्भरता लेंसकार्ट के लिए कितनी खतरनाक है?
53% आयात चीन से होना एक बड़ा जोखिम है। अगर भारत ने चीन से आयात पर टैरिफ लगाया, या आपूर्ति बाधित हुई, तो लेंसकार्ट की कीमतें 15-20% तक बढ़ सकती हैं। इसका मतलब है कि कंपनी को अब भारतीय निर्माताओं के साथ लंबी अवधि के अनुबंध करने होंगे — नहीं तो निवेशक इसे एक रिस्की इन्वेस्टमेंट मान लेंगे।
लेंसकार्ट की लिस्टिंग के बाद क्या असर होगा?
अगर लेंसकार्ट का शेयर लिस्टिंग के बाद 10% ऊपर जाता है, तो ये भारतीय टेक-रिटेल के लिए एक बड़ी प्रेरणा बनेगी। अगर ये नीचे गिरता है, तो निवेशक अब ब्रांड के बजाय फाइनेंशियल स्ट्रेंथ और सप्लाई चेन को देखेंगे। ये एक नए निवेश युग का आगाज हो सकता है।
क्या रिटेल निवेशकों के लिए लेंसकार्ट आईपीओ एक अच्छा विकल्प है?
हाँ, अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं। लेंसकार्ट की ब्रांड विश्वासयोग्यता, ऑनलाइन-ऑफलाइन मॉडल और बढ़ती बिक्री इसे एक स्थिर निवेश बनाती है। लेकिन छोटी अवधि में लाभ की उम्मीद न करें — ग्रे मार्केट के नंबरों पर भरोसा न करें।