हिमाचल के सीएम सुखु ने महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का समर्थन किया, घोषित 18,000 रुपये वार्षिक सहायता

हिमाचल के सीएम सुखु ने महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का समर्थन किया, घोषित 18,000 रुपये वार्षिक सहायता

8 मार्च, 2025 को सुबह 3:51 बजे (यूटीसी) हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के चंबी मैदान पर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुखु, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, ने इस अवसर पर भाषण देते हुए स्पष्ट किया कि हिमाचल प्रदेश सरकार महिलाओं के लिए विधानसभा और संसद में 33% आरक्षण का समर्थन करती है। उन्होंने कहा, "महिला शक्ति हिमाचल प्रदेश को स्वावलंबी बनाने की नींव है।" यह घोषणा केवल एक भाषण नहीं, बल्कि राज्य की नीतिगत दिशा का एक स्पष्ट संकेत थी।

राजीव गांधी और सोनिया गांधी के योगदान की सराहना

सुखु ने अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू करने के लिए सम्मानित किया, जो 1992 के 73वें संविधान संशोधन द्वारा विधिवत् किया गया था। उन्होंने कहा, "इस सुधार ने महिलाओं के प्रति सोच को सकारात्मक ढंग से बदल दिया।" उन्होंने फिर सोनिया गांधी को राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पारित करने के लिए अद्वितीय भूमिका निभाने के लिए नोट किया। यह बिल, जिसे 2010 में प्रस्तुत किया गया था, अभी तक संसद में पारित नहीं हुआ है, लेकिन सुखु ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार इसके पक्ष में है।

आर्थिक सशक्तिकरण: 18,000 रुपये और अगला कदम

कार्यक्रम में सबसे ध्यान आकर्षित करने वाली घोषणा थी — हिमाचल प्रदेश सरकार अब प्रत्येक योग्य महिला को इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना के तहत वार्षिक 18,000 रुपये दे रही है। इसके अलावा, सुखु ने घोषणा की कि आगामी समय में सभी योग्य महिलाओं को मासिक 1,500 रुपये (वार्षिक 18,000 रुपये) की राशि दी जाएगी। यह निर्णय न केवल आर्थिक सहायता का संकेत है, बल्कि एक सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क की ओर एक निर्णायक कदम है।

अंगनवाड़ी कर्मचारियों के लिए वेतन वृद्धि

सुखु ने अंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, मिनी अंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों के वार्षिक भत्ते में वृद्धि का भी जिक्र किया। उन्होंने दावा किया कि पिछली सरकारें इस वृद्धि को चुनाव से पहले ही कर देती थीं, लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे नीतिगत आधार पर लागू किया है। यह अंतर बहुत महत्वपूर्ण है — यह निरंतरता का संकेत है, न कि केवल चुनावी दावे का।

राज्य के ग्रामीण महिलाओं की उपलब्धियाँ

राज्य के ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने भी भाषण देते हुए कहा, "यह दिन नारी शक्ति के संघर्ष और बलिदान को समर्पित है।" उन्होंने बताया कि हिमाचल की बेटियाँ देश में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गौरव अर्जित कर रही हैं। इस बात पर जोर देना महत्वपूर्ण है कि यह आंकड़े नहीं, बल्कि एक भावना है — जिसमें गांवों की महिलाएँ अब शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्यमिता में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।

क्यों यह घोषणा बड़ी है?

क्यों यह घोषणा बड़ी है?

यह कार्यक्रम केवल एक त्योहार की तरह नहीं था। यह एक स्पष्ट संकेत था कि हिमाचल प्रदेश सरकार अब महिला सशक्तिकरण को नीति का आधार बना रही है। 33% आरक्षण का समर्थन, जो संसद में अभी तक नहीं पारित हुआ, उसे राज्य स्तर पर आगे बढ़ाने का संकल्प दर्शाता है। यह उन राज्यों की लंबी श्रृंखला में शामिल है जहाँ महिलाओं के लिए आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों को समानांतर रूप से बढ़ाया जा रहा है।

आगे क्या होगा?

अगले छह महीनों में, राज्य सरकार ने घोषणा की है कि वह इंदिरा गांधी योजना के तहत सभी योग्य महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिए डिजिटल प्रणाली को अपग्रेड करेगी। एक नया ऑनलाइन पोर्टल जल्द ही लॉन्च होगा, जिसके माध्यम से लाभार्थियों की पहचान और भुगतान स्वचालित हो जाएगा। साथ ही, राज्य सरकार अपने सभी विधानसभा क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण समितियों की स्थापना करने की योजना बना रही है। ये समितियाँ स्थानीय स्तर पर योजनाओं की निगरानी और आवश्यकताओं की रिपोर्टिंग के लिए जिम्मेदार होंगी।

पृष्ठभूमि: आरक्षण की लंबी लड़ाई

महिला आरक्षण का मुद्दा भारत में दशकों से चल रहा है। 1992 में राजीव गांधी के काल में पंचायती राज में 33% आरक्षण लागू हुआ, लेकिन विधानसभा और संसद में इसे लागू करने के लिए अभी तक संसद में बिल पारित नहीं हुआ है। 2010 में प्रस्तुत किया गया यह बिल बार-बार विलंबित होता रहा। सोनिया गांधी ने इसे राज्यसभा में पारित कराया, लेकिन लोकसभा में इसका समर्थन नहीं मिला। अब हिमाचल प्रदेश की सरकार ने इसे अपनी नीति का हिस्सा बना लिया है — यह एक राष्ट्रीय आंदोलन की ओर एक छोटा, लेकिन महत्वपूर्ण कदम है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना क्या है?

यह हिमाचल प्रदेश सरकार की एक सीधी नकदी हस्तांतरण योजना है, जिसका उद्देश्य गरीब और मध्यम वर्ग की महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करना है। वर्तमान में प्रति वर्ष 18,000 रुपये दिए जा रहे हैं, जो मासिक 1,500 रुपये के बराबर है। यह राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा की जाती है। यह योजना सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण विभाग द्वारा प्रबंधित की जाती है।

क्या हिमाचल प्रदेश संसद में महिला आरक्षण बिल के पारित होने में मदद करेगा?

हाँ, सीएम सुखु ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार इस बिल के पक्ष में है। हिमाचल के विधानसभा में इस बिल के समर्थन के लिए एक प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। यह राज्य स्तर पर एक राजनीतिक दबाव बनाने का एक तरीका है, जिससे केंद्रीय सरकार पर दबाव बनाया जा सके। अन्य राज्यों के साथ समन्वय के माध्यम से यह एक राष्ट्रीय आंदोलन बन सकता है।

महिला आरक्षण का ग्रामीण क्षेत्रों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी अब सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं है। वे अब पंचायतों में निर्णय लेने वाली शक्ति बन चुकी हैं। आरक्षण उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक योजनाओं में अधिक नियंत्रण देगा। यह आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ सामाजिक न्याय की दिशा में एक गहरा बदलाव लाएगा।

क्या यह योजना सभी महिलाओं के लिए उपलब्ध है?

नहीं, यह योजना केवल उन महिलाओं के लिए है जो हिमाचल प्रदेश की निवासी हैं और जिनकी आय निर्धारित सीमा से कम है। राज्य सरकार एक डिजिटल डेटाबेस के माध्यम से लाभार्थियों की पहचान करेगी। निर्धारित आय सीमा अभी घोषित नहीं की गई है, लेकिन यह आमतौर पर राष्ट्रीय गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों को शामिल करती है।

अंगनवाड़ी कर्मचारियों के लिए वेतन वृद्धि कितनी है?

सीएम ने विस्तार से बताया कि अंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के वार्षिक भत्ते में 30-40% की वृद्धि की गई है, जो पिछले वर्षों की तुलना में बहुत अधिक है। अब एक अंगनवाड़ी कार्यकर्ता को वार्षिक लगभग 1.2 लाख रुपये मिल रहे हैं। यह वृद्धि एक निरंतर नीति का हिस्सा है, न कि चुनावी दावा।