हाल ही में हाउस डेमोक्रेट्स के एक समूह ने डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी (DNC) को एक पत्र लिखा है, जिसमें राष्ट्रपति जो बाइडन के नामांकन को धीमा करने का आग्रह किया गया है। इस पत्र पर 20 से अधिक हस्ताक्षर हैं, जिनमें रेप्स. जैरेड हफमैन, माइक लेविन, और सुसन वाइल्ड जैसे महत्वपूर्ण सदस्यों के नाम शामिल हैं। यह पत्र इस आशंका को जताता है कि अगर नामांकन प्रक्रिया को जल्दबाजी में पूरा किया जाता है, तो इससे व्यक्तिगत विचार-विमर्श और बहस को नुकसान हो सकता है।
इस पत्र का एक प्रमुख कारण यह है कि जून में डोनाल्ड ट्रम्प के साथ हुई बहस में बाइडन का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा था। इसके बाद से बाइडन को दौड़ से बाहर निकलने के लिए बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, बाइडन ने अब भी दौड़ में बने रहने की प्रतिबद्धता जताई है।
पत्र में दिया गया मुख्य तर्क यह है कि अध्यक्षीय टिकट को नामांकित करने की पारंपरिक प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए, जिसमें DNC द्वारा संगठित किया गया लोकतांत्रिक राष्ट्रीय सम्मेलन शामिल है। रविवार से यह सम्मेलन शुरू हो सकता है। लेकिन DNC का यह निर्णय कि नामांकन प्रक्रिया को त्वरित रूप से पूरा किया जाए, ताकि ओहायो के मतदाता सूची की समयसीमा को पूरा किया जा सके, हाउस डेमोक्रेट्स से कड़ी आलोचना का सामना कर रहा है। आलोचक इसे एक राजनीतिक चाल के रूप में देख रहे हैं।
DNC का कहना है कि उन्होंने यह निर्णय विभिन्न तकनीकी कारणों और आवश्यकताओं के मद्देनजर लिया है। लेकिन इसके विपरीत, हाउस डेमोक्रेट्स का यह कहना है कि इससे लोक महत्व के मुद्दों पर चर्चा और उम्मीदवारों के विचार-विमर्श का अवसर बाधित होगा। वे इस बात पर जोर दे रहे हैं कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के तहत ही नामांकन प्रक्रिया को दौड़ाया जाना चाहिए, ताकि सभी उम्मीदवारों को बराबरी का मौका मिल सके।
नामांकन प्रक्रिया में पारंपरिकता का महत्व
यह मसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकांश पार्टी सदस्य और नेता चाहते हैं कि नामांकन प्रक्रिया अपनी पारंपरिक स्वरूप में जारी रहे। यह प्रक्रिया सामान्यतः एक आधिकारिक सम्मेलन के माध्यम से की जाती है, जिसमें समस्त सदस्य और प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
ऐसी प्रक्रिया न केवल उम्मीदवारों को अपने विचार और योजनाओं को स्पष्ट रूप से सामने रखने का अवसर देती है, बल्कि पार्टी के सदस्यों को भी उनके बारे में अच्छी तरह से निर्णय लेने में आसान होती है। इसके साथ ही, यह प्रक्रिया पार्टी के विभिन्न फ्रंट्स और कार्यसमूहों को जोड़ने में भी सहायक होती है, जिससे सामूहिक दृष्टिकोण और एकजुटता का निर्धारण होता है।
बाइडन के लिए चुनौतीपूर्ण समय
बाइडन ने इससे पहले विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है और वे अब भी चुनावी दौड़ में बने रहने के अपने संकल्प को दोहराते रहे हैं। हालांकि, हाल की बहस में उनके प्रदर्शन ने उनके समर्थकों और पार्टी के भीतर कई सवाल खड़े किए हैं।
जून में ट्रम्प के साथ हुई बहस में बाइडन की कमजोर प्रदर्शन की चर्चा न केवल राजनीतिक गलियारों में बल्कि सामान्य जनता के बीच भी हो रही है। इससे बाइडन के लिए चुनावी लड़ाई और चुनौतीपूर्ण हो गई है।
नामांकन प्रक्रिया का भविष्य
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि DNC इस पत्र पर कैसे प्रतिक्रिया देता है और क्या वे नामांकन प्रक्रिया को धीमा करने का निर्णय लेते हैं या नहीं। हाउस डेमोक्रेट्स का यह पत्र पार्टी के भीतर और बाहरी राजनीतिक माहौल में महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस मुद्दे पर सभी की नजरें अब DNC के आगामी निर्णय पर टिकी हैं, क्योंकि यह पार्टी के भविष्य और आगामी चुनावी रणनीतियों पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि नामांकन प्रक्रिया के धीमे या तेज होने से पार्टी की चुनावी संभावनाओं और Joe Biden की स्थिति दोनों पर असर पड़ेगा।
ये सब राजनीति तो बस दिखावा है... असली मुद्दा ये है कि बाइडन अब इतने बूढ़े हो गए हैं कि अमेरिका की अगुआई कर पाएंगे या नहीं? ये नामांकन धीमा करने की बात भी तो बस इसी को ढकने की कोशिश है।
मुझे लगता है कि लोकतंत्र की पारंपरिक प्रक्रिया का सम्मान करना अत्यंत आवश्यक है। जब हम एक ऐसे नेता का नामांकन कर रहे हैं जिसकी आयु और स्वास्थ्य के बारे में सवाल उठ रहे हैं, तो बिना किसी दबाव के, बिना किसी त्वरित निर्णय के, सभी उम्मीदवारों को समान अवसर देना ही सही है। यह केवल एक नामांकन नहीं, बल्कि एक संस्कृति है।
अच्छा हुआ कि कोई बोल उठा 😊 अब तक तो सब चुप थे... बाइडन का जो बहस में प्रदर्शन था, वो देखकर लगा जैसे कोई बूढ़े दादा ने टीवी पर अपनी चश्मा खोज रखा हो 😅
मुझे लगता है कि ये सब बहस जरूरी है लेकिन अगर बाइडन ने अभी भी दौड़ में रहने का फैसला किया है तो उन्हें अपना अधिकार देना चाहिए। लोग उनकी उम्र के बारे में बात कर रहे हैं लेकिन क्या हम उनकी अनुभव की कीमत कम नहीं मान रहे?
ये DNC वाले तो बस अपनी आसानी के लिए जल्दी नामांकन करना चाहते हैं... लेकिन जनता को क्या पता इनकी योजनाओं के बारे में? ये तो बस एक राजनीतिक चाल है।
सुनिए, ये नामांकन प्रक्रिया का मुद्दा केवल बाइडन या ट्रम्प के बारे में नहीं है... ये तो ये है कि हम किस तरह की लोकतंत्र की इच्छा रखते हैं? क्या हम एक ऐसी प्रक्रिया को अपनाना चाहते हैं जहां शक्ति वाले लोग जल्दी से फैसला कर दें और बाकी को चुपचाप बैठना पड़े? या हम एक ऐसी प्रक्रिया चाहते हैं जहां हर आवाज को सुना जाए, हर विचार को विचार किया जाए, हर उम्मीदवार को अपनी बात कहने का मौका मिले? अगर हम लोकतंत्र को सच में समझते हैं तो त्वरित निर्णय नहीं, बल्कि सामूहिक विचार-विमर्श ही जरूरी है। ये सिर्फ एक चुनाव नहीं, ये एक संस्कृति का निर्माण है।
मैं तो ये कहूंगा कि अमेरिका के लिए ये एक ऐतिहासिक पल है। एक ऐसा नेता जिसने दुनिया को देखा है, जिसने युद्ध देखे हैं, जिसने आर्थिक संकट और महामारी का सामना किया है - उसका नामांकन रद्द करने की बात करना बहुत ही अहंकारी है। बाइडन एक अनुभवी नेता हैं, और उनकी विचारधारा अभी भी अमेरिका के लिए सबसे सुरक्षित है। इस तरह के राजनीतिक दबाव असली नेतृत्व को नहीं, बल्कि डर को बढ़ाते हैं।
अरे भाई, बाइडन को नामांकन से हटाने के लिए ये सब बहसें क्यों? वो तो अब बस एक बूढ़ा आदमी है जिसका दिमाग चल रहा है और जो अपने आप को अभी भी राष्ट्रपति समझता है। अमेरिका को ऐसे लोगों की जरूरत नहीं है, जिनके पास बोलने का जोश है लेकिन निर्णय लेने की शक्ति नहीं। ये DNC भी बेकार है - जल्दी फैसला कर देते तो अच्छा होता।
इस पत्र को देखकर लगता है कि डेमोक्रेट्स का अंदरूनी विभाजन इतना गहरा है कि वे अपने खुद के नेता के खिलाफ एक आधिकारिक पत्र लिख रहे हैं। ये तो एक राजनीतिक आत्महत्या है। एक पार्टी जो अपने अध्यक्ष के खिलाफ बोलती है, वो किस चुनाव में जीतेगी? ये नामांकन की बात नहीं, ये पार्टी के अंत की बात है।
ये सब तो बस दिखावा है भाई... बाइडन को निकालना है तो निकाल दो, इतनी बातें क्यों कर रहे हो? लोग तो ट्रम्प के खिलाफ जीतना चाहते हैं ना नामांकन के तरीके के बारे में बहस करना चाहते हैं 😅
अरे ये सब तो बस एक नाटक है... बाइडन के खिलाफ ये बहस तो उनके अपने ही पार्टी के लोग चला रहे हैं, और अब लोग भी इसमें शामिल हो गए हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि अगर बाइडन चले गए तो अगला कौन होगा? क्या वो भी इतना अनुभवी होगा? क्या वो भी इतना बुद्धिमान होगा? क्या वो भी इतना दिल से अमेरिका को चाहता होगा? ये सब तो बस भावनाओं का खेल है।
यह निर्णय राजनीतिक अनिश्चितता के कारण लिया गया है, जो लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए अस्वीकार्य है। एक नामांकन प्रक्रिया को त्वरित रूप से संपन्न करने का प्रयास, जिसमें संवैधानिक नियमों की उपेक्षा की जा रही है, लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
यह पत्र एक महत्वपूर्ण नियम की ओर इशारा करता है: लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं तब तक वैध हैं, जब तक उनका पालन किया जाता है। जल्दबाजी में नामांकन करना - चाहे कितना भी तकनीकी कारण क्यों न हो - एक खतरनाक पूर्वाग्रह है। इसका असर भविष्य के चुनावों पर पड़ेगा।
अगर बाइडन अभी भी दौड़ में हैं, तो उन्हें अपना मौका दो! ये सब बहस तो बस एक बड़ी झूठी चिंता है... लोग बस अपने डर को बाहर फेंक रहे हैं। अमेरिका को अनुभव चाहिए, न कि नए नाम!
अनुभव चाहिए, न कि त्वरित निर्णय।
ये सब तो बहुत बड़ी बात है... लेकिन अगर बाइडन अपने दिमाग के साथ दौड़ रहे हैं, तो क्यों नहीं? लोगों को तो बस एक अच्छा नेता चाहिए - उम्र नहीं।
लोकतंत्र का मतलब है - हर आवाज को सुनना। अगर ये नामांकन जल्दी कर दिया गया, तो हम उस लोकतंत्र को खो देंगे जिसके लिए हम लड़ रहे हैं।