भारतीय विदेश मंत्रालय की कड़ी प्रतिक्रिया
कनाडा के ब्रम्पटन में हिंदू सभा मंदिर पर हुए हमले की घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और कनाडाई सरकार से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि देश में सभी धर्मस्थलों की सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था हो। यह हमला न सिर्फ धार्मिक संस्थानों की सुरक्षा पर बल्कि सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के मामले में भी गहरी चिंता का विषय बन गया है।
कनाडा सरकार से अपील
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में इस घटना को अत्यंत गंभीरता से लिया गया है और कनाडा सरकार से आग्रह किया गया है कि वह ऐसे कृत्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह की घटनाएँ भारत और कनाडा के मजबूत संबंधों के लिए चिंता का विषय हो सकती हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि कनाडा तत्काल कार्यवाही करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए।
धार्मिक संस्थाओं की सुरक्षा जरूरी
यह हमले उन सभी लोगों और संस्थानों के लिए खतरनाक चेतावनी हैं जो धार्मिक और सांस्कृतिक संगठनों की सुरक्षा के प्रति जागरूक हैं। यह घटना स्पष्ट रूप से बताती है कि धार्मिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता आज भी समाज में संरक्षित किए जाने की आवश्यकता है। सरकारों को मिलकर ऐसे कदम उठाने चाहिए जो धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत भरे अपराधों को रोकने में सहायक हों।
आरएसएस और अन्य संगठनों की प्रतिक्रिया
इस घटना की निंदा केवल भारतीय सरकार द्वारा ही नहीं बल्कि भारतीय समुदाय और धार्मिक संगठनों जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा भी की गई है। उन्होंने इस हिंसक कार्रवाई के प्रति असंतोष जाहिर किया है और कनाडा सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की है। ऐसे हमले केवल किसी एक धर्म विशेष को निशाना नहीं बनाते, बल्कि यह पूरी इंसानियत के खिलाफ हैं।
भविष्य के लिए सहयोग की जरुरत
यह समय है जब दोनों देशों को मिलकर एक ऐसा तंत्र विकसित करना चाहिए जो आने वाले समय में ऐसी घटनाओं को दोहराने से रोक सके। यह घटना बता रही है कि दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग, व्यापक दृष्टिकोण और धार्मिक सद्भाव की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरुरत है। धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनकी स्वतंत्रता की रक्षा ऐसे मुहिम के प्रमुख अंग होने चाहिए।
कुल मिलाकर, धर्मस्थलों पर इस प्रकार के हमले आज समाज के लिए एक चुनौती बने हुए हैं। इस दिशा में सरकारों और समाज के सभी हिस्सों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि एक सुरक्षित और सहिष्णु समाज का निर्माण किया जा सके।
इस तरह के हमलों को बस निंदा से नहीं रोका जा सकता। कनाडा को अपने धार्मिक स्थलों के लिए अलग से सुरक्षा बल बनाना चाहिए। हम भारतीयों के लिए मंदिर सिर्फ ईश्वर का घर नहीं, हमारी पहचान है। 🙏
अरे भाई, कनाडा के लोग तो अपनी अपनी चीज़ों के लिए भी नहीं लड़ते, फिर हिंदू मंदिरों की सुरक्षा के लिए क्यों लड़ेंगे? ये सब बकवास तो बस डिप्लोमेटिक बयानबाजी है।
इस घटना को बस एक धार्मिक हमला नहीं कहना चाहिए। ये एक सांस्कृतिक अपराध है, एक ऐतिहासिक विरासत के खिलाफ आक्रमण है। हम जिस अस्तित्व को धर्म के नाम पर बचाने की कोशिश कर रहे हैं, वो अस्तित्व अब अपने ही घर में भी खतरे में है।
सुरक्षा बढ़ाओ। बयान नहीं।
ये सब भारत सरकार का धोखा है। कनाडा में तो लाखों भारतीय रहते हैं, अगर वो अपने आप को सुरक्षित नहीं बना पा रहे, तो हमारी विदेश नीति क्या कर रही है? बस फोटो खींचकर बयान देना आसान है।
मैं नहीं चाहता कि ये घटना हमारे बीच नफरत फैलाए। कनाडा के लोग भी बहुत से अच्छे हैं। हमें उनके साथ बातचीत करनी चाहिए, न कि उन्हें दोषी ठहराना चाहिए। शायद इस बार दोनों देश एक साथ एक नया आधार बना सकते हैं।
अरे वाह! भारत की विदेश नीति अब धर्मस्थलों की सुरक्षा के लिए आंखें बंद करके कनाडा को डांट रही है? बहुत बड़ी बात है। अगर यही आपकी विदेश नीति है, तो अब अपने घर के अंदर भी कुछ ठीक कर लीजिए। बाहर की बातें तो बस धुआं हैं। 😒
इस घटना को अलग-अलग लेने की जरूरत नहीं। यह एक व्यवस्थित नफरत के विकास का एक लक्षण है, जो धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहा है। हमें यहाँ तक नहीं रुकना चाहिए - हमें एक सामाजिक-राजनीतिक एजेंडा बनाना होगा जो अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए अंतर-सांस्कृतिक साझेदारी की ओर जाए।
हम सब जानते हैं कि ये हमला बस एक घटना नहीं, एक चेतावनी है। लेकिन क्या हम उस चेतावनी को सुन पा रहे हैं? या फिर हम अपने अहंकार के पीछे छिपकर इसे भूलने की कोशिश कर रहे हैं?