लोकसभा में पेश हुआ वक्फ संशोधन विधेयक, वक्फ बोर्ड की शक्तियों में सुधार के प्रस्ताव पर गरमाई बहस

लोकसभा में पेश हुआ वक्फ संशोधन विधेयक, वक्फ बोर्ड की शक्तियों में सुधार के प्रस्ताव पर गरमाई बहस

वक्फ संशोधन विधेयक क्या है?

लोकसभा में हाल ही में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया गया है, जिससे वक्फ बोर्ड की शक्तियों में सुधार करने का प्रस्ताव है। यह विधेयक वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर नियंत्रण और निगरानी को मजबूत बनाने के उद्देश्य से लाया गया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरन रिजिजू ने इस विधेयक को लोकसभा में प्रस्तुत किया, जिसमें वक्फ (संशोधन) विधेयक और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक शामिल हैं।

विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ

मुख्य रूप से, इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की सूची बनाने और उन्हें सही ढंग से परिभाषित करने की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना है। राजस्व कानूनों के तहत म्यूटेशन की विस्तृत प्रक्रिया स्थापित करना और किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में रिकॉर्ड करने से पहले सभी संबंधित पक्षों को उचित नोटिस देना शामिल है। इसके साथ ही, केंद्रीय व राज्य वक्फ परिषदों के व्यापक गठन का प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा।

विपक्ष का विरोध

संसद में विपक्षी सांसदों ने इस विधेयक का जोरदार विरोध किया, आरोप लगाया कि यह विधेयक संविधान और संघवाद पर हमला करता है। उन्होंने कहा कि विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करेगा और उनके हितों को नुकसान पहुंचाएगा। कुछ सांसदों का कहना था कि यह विधेयक एकतरफा निर्णय से अल्पसंख्यक समुदाय को हानि पहुंचा सकता है।

सरकार की दलील

विधेयक पेश करने वाले मंत्री किरन रिजिजू ने इसका बचाव करते हुए कहा कि यह साधारण मुसलमानों को न्याय देने और 1995 के अधिनियम की खामियों को दूर करने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड के सदस्यों के कर्तव्यों और दायित्वों को स्पष्ट करना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना भी इस विधेयक का एक उद्देश्य है। इसके अलावा, एक अलग बोर्ड बनाने का प्रस्ताव है जो बोहरा और आगा खानी समुदायों की जरूरतों को पूरा करेगा।

संसदीय समिति को भेजा गया विधेयक

विवादों और गहन चर्चा के बाद, सरकार ने इस विधेयक को व्यापक जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेजने पर सहमति व्यक्त की। इससे विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श और संशोधन का मार्ग प्रशस्त होगा।

यह विधेयक विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों के बीच संवेदनाओं को प्रकट करता है और इसे बनाने और क्रियान्वयन में सावधानी बरतने की आवश्यकता पर जोर देता है। यह देखना महत्त्वपूर्ण होगा कि यह विधेयक संसद और समाज में किस प्रकार का प्रभाव डालता है और वक्फ बोर्ड के प्रशासन और संचालन में किन-किन बदलावों को लाता है।

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