भारत और न्यूजीलैंड महिला क्रिकेट: दूसरे ODI में न्यूजीलैंड की शानदार वापसी
नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद में खेले गए दूसरे ODI में भारतीय महिला टीम को न्यूजीलैंड महिला टीम ने 76 रनों से मात दी। इस जीत के साथ ही न्यूजीलैंड ने तीन मैचों की सीरीज को 1-1 से बराबर कर लिया है। पहले ODI में जहां भारत ने प्रभावशाली 59 रनों की जीत दर्ज की थी, वहीं इस मैच में न्यूजीलैंड ने एक सुनियोजित रणनीति के साथ मजबूत प्रदर्शन कर भारतीय टीम की चुनौतियों को पार किया।
न्यूजीलैंड की टीम अपने स्टार ऑलराउंडर एमेलिया केर की अनुपस्थिति के बावजूद मैदान पर उतरी। टीम की कप्तान सोफी डिवाइन ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया। टीम में दो महत्वपूर्ण बदलाव किए गए, जहां एमेलिया केर की जगह बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाज फ्रेन जोनास और मोली पेनफोल्ड की जगह दाएं हाथ की तेज गेंदबाज लिया तहुहु को शामिल किया गया। दूसरी ओर, भारतीय टीम में एक बदलाव देखा गया जब नियमित कप्तान हरमनप्रीत कौर चोट से उबरकर टीम में वापस आईं और युवा लेग स्पिनर प्रिया मिश्रा ने अपना पदार्पण किया।
न्यूजीलैंड की शानदार पारी
न्यूजीलैंड की तरफ से सुजी बेट्स और कप्तान सोफी डिवाइन ने अपनी टीम के लिए मजबूत नींव रखी। दोनों ने अर्धशतकीय पारी खेलते हुए टीम को 259/9 के चुनौतीपूर्ण स्कोर तक पहुंचाया। निर्धारित 50 ओवर में न्यूजीलैंड की बल्लेबाजी की हॉकी के दौरान भारतीय फील्डर्स ने निराशाजनक प्रदर्शन किया, जहां पांच कैच छोड़े गए। लेकिन, राधा यादव की धारदार गेंदबाजी ने चार विकेट चटकाकर टीम को थोड़ी उम्मीद दी, जबकि दीप्ति शर्मा ने भी नियंत्रित गेंदबाजी की।
रन चेज में असफल रहा भारतीय दल
भारतीय टीम के लिए यह रन चेज अपेक्षानुसार नहीं रहा। महज 183 रन पर पूरी टीम पवेलियन लौट गई और मैच 76 रनों से हार गई। न्यूजीलैंड की जीत उनके लिए महिला चैम्पियनशिप में भी महत्वपूर्ण है, जहां वे छठे स्थान पर हैं और अब अपने वर्ल्ड कप यात्रा को सुनिश्चित करने के लिए अंक हासिल करने की आवश्यकता है।
यह मैच न केवल सीरीज को आखिरी मैच तक ले गया है बल्कि दोनों टीमों के लिए यह एक अवसर भी है कि कैसे वे अपने खेल को बेहतर बना सकते हैं और जीत दर्ज कर सकते हैं। तीसरा और अंतिम मैच सीरीज का निर्णायक होगा जिसमें दोनों ही टीमें अपनी रणनीतियों को दुरुस्त कर मैदान में उतरेंगी।
भारत की फील्डिंग बर्बर थी। पांच कैच छोड़ना कोई गलती नहीं, बल्कि टीम की असंगठितता का प्रतीक है। राधा यादव अच्छी रही, लेकिन बाकी सब बेकार।
न्यूजीलैंड को जीत देने के लिए धन्यवाद। भारत तो अब हर मैच में अपने खिलाड़ियों को फेंक देता है। जब तक हरमनप्रीत को बाहर नहीं कर दिया जाता, ये टीम नहीं बदलेगी।
ये टीम तो बस नाम के लिए है। बल्लेबाजी भी नहीं, फील्डिंग भी नहीं। बस बातें करने में माहिर।
अच्छा खेल था। न्यूजीलैंड ने बहुत स्मार्टली खेला। भारत को फील्डिंग पर ध्यान देना होगा। अभी तीसरा मैच बाकी है, अभी तक नहीं हारे।
ओहो! भारत फिर से अपनी आदत पर उतर गया! कैच छोड़ना तो बस शुरुआत थी। अब तो फील्डर्स ने ऐसा दिखाया जैसे वो बर्फ के टुकड़े हों। क्या ये टीम है या एक फैशन शो?
फील्डिंग एक बुनियादी चीज है। इसे नज़रअंदाज करना टीम की लीडरशिप की असफलता है। ये सब बस राजनीति है।
इस टीम में कोई भी रणनीति नहीं है। कोचिंग स्टाफ भी बेकार है। ये सब बस एक निरंतर असफलता की श्रृंखला है। ये टीम बदलने की बजाय खत्म होनी चाहिए।
अभी तीसरा मैच बाकी है 😊 भारत अभी भी जीत सकता है। बस थोड़ा धैर्य रखो।
अरे भाई ये टीम तो बस घर पर बैठकर टीवी देखने के लिए बनी है। बाहर निकल के क्या करती है? फील्ड पर तो बस खड़ी रहती है।
क्रिकेट एक सामाजिक प्रक्रिया है। यहां फील्डिंग की असफलता सिर्फ खेल की नहीं, बल्कि संस्कृति की असंगठितता का प्रतिबिंब है। एक टीम का नेतृत्व उसके आंतरिक संरचना को दर्शाता है।
फील्डिंग बर्बर थी बस इतना ही
क्या हम सच में इतने असफल हैं? या हम अपने आप को इतना नीचे देख रहे हैं कि जीत भी हार लगे?
अरे भाई, न्यूजीलैंड की टीम ने तो बहुत सारे कैच भी पकड़े थे। भारत तो बस इतना ही कर पाया कि अपने आप को नीचे दिखाना। ये टीम तो बस एक राजनीतिक नाटक है।
हर बार जब भारत हारता है, तो हम सब फील्डिंग को दोष देते हैं। लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि बल्लेबाजी की नींव ही कमजोर है? ये टीम तो बस एक लंबी चिंता की श्रृंखला है, जिसमें हर एक रन एक असफलता का निशान है।
क्या ये सब न्यूजीलैंड के साथ साजिश है? क्या कोई बाहरी शक्ति हमारी टीम को नीचे देखना चाहती है? ये फील्डिंग तो बहुत अजीब लगी।
हरमनप्रीत वापस आ गई तो अच्छा हुआ लेकिन अब बाकी लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी लेनी होगी
हरमनप्रीत कौर का वापसी एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन टीम की फील्डिंग में अभी भी बहुत कमजोरियां हैं। इसे ठीक करने के लिए ताकतवर नेतृत्व की आवश्यकता है।
अच्छा खेल था। न्यूजीलैंड ने बहुत स्मार्टली खेला। भारत को फील्डिंग पर ध्यान देना होगा। अभी तीसरा मैच बाकी है, अभी तक नहीं हारे।
ये टीम तो बस एक बड़ा बाजार है। खिलाड़ी तो नाम के लिए हैं, लेकिन जिम्मेदारी का कोई अर्थ नहीं। फील्डिंग में ये सब बस एक राजनीतिक दिखावा है।
इस टीम के लिए एक नया नाम रखना चाहिए - भारतीय टीम ऑफ डिसाप्पोइंटमेंट। फील्डिंग तो बस एक अतिरिक्त विशेषता है।