तुर्की का कुर्दिश मिलिटेंट्स के खिलाफ हवाई हमला
तुर्की द्वारा की गई इस सैन्य कार्रवाई ने एक बार फिर विश्व स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय संबंध और सुरक्षा मुद्दे लगातार विकट होते जा रहे हैं। तुर्की ने उत्तरी इराक और सीरिया में उन स्थलों पर हवाई हमले किए जिन्हें उसने कुर्दिश मिलिटेंट्स के द्वारा संचालित होने का आरोप लगाया है। इन कुर्दिश समूहों में से प्रमुख, कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) और सीरियन कुर्दिश YPG मिलिशिया शामिल हैं। तुर्की के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह हमला उन 'आतंकवादी तत्वों' को निष्प्रभावी बनाने के उद्देश्य से किया गया था जो पिछले दिनों तुर्की के गज़ियानटेप प्रांत में हुए हमले के लिए जिम्मेदार माने जा रहे थे। इस मामले में तुर्की ने PKK पर आरोप लगाया था।
हमले का कारण और पार्श्वभूमि
यह ऑपरेशन उस हमले की प्रतिक्रिया स्वरूप सामने आया है जो तुर्की के क्षेत्र में हुआ था और जिसमें कई नागरिकों की जानें गई थीं। तुर्की ने इस हमला को PKK के द्वारा किया गया आतंकवादी हमला बतलाया, जिससे निबटने के लिए यह हमले किए गए थे। यह ऑपरेशन केवल तुर्की का कुर्दिश मिलिटेंट्स के प्रति खिंचाव नहीं दिखाता बल्कि यह बतलाता है कि कैसे नेतन्याहू सरकार के तहत इन समूहों को 'आतंकवादी' करार देकर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा रही है।
हमले के परिणाम और प्रभाव
इन हमलों का प्रभाव केवल कुर्दिश समूहों पर ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र पर पड़ा है। तुर्की का यह कदम उस जटिल भू राजनीतिक पहेली का हिस्सा है जो मध्य पूर्व के कई देशों को आपस में जोड़ता है। आतंकी हमलों के विरुद्ध इस तरह की कार्रवाई का एक व्यापक संदर्भ होता है और यह कहना उचित होगा कि यह दूसरे देशों के साथ तुर्की के संबंधों पर भी प्रभाव डाल सकता है।
क्षेत्रीय तनाव का बढ़ना
यह हमला क्षेत्र में तुर्की और कुर्दिश समूहों के बीच बढ़ते तनाव को स्पष्ट करता है। सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध ने तुर्की की चिंताओं को और बढ़ा दिया है, जहां YPG और दूसरी कुर्दिश मिलिशिया अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं। इन हमलों को तुर्की सरकार द्वारा उनके सुरक्षा उपायों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, जो आतंकवादी खतरे को मिटाने के लिए आवश्यक समझा जाता है। हालांकि, कुर्दिश समूह तुर्की पर आरोप लगा रहे हैं कि वह नागरिक आबादी को निशाना बना रहा है।
टकराव की संभावनाएं
इस तरह की घटनाओं ने टकराव के माहौल को जन्म दिया है। तुर्की के सक्रिय ऑपरेशनों से पड़ोसी देशों के साथ उनके व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों में बिघ्न उत्पन्न हो सकता है। इस स्थिति पर नजर रखने वाले विश्लेषक कहते हैं कि हालात और बेकाबू हो सकते हैं अगर कोई तीसरा पक्ष इसमें शामिल हो जाता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस संघर्ष में अन्य वैश्विक शक्तियों की प्रतिक्रिया कैसी होती है।
तात्कालिक रूप से, यह देखा जा रहा है कि तुर्की किसी भी कीमत पर अपने अंदरूनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, भले ही इसके लिए क्षेत्रीय स्तर पर जटिलताओं का सामना करना पड़े। विभिन्न जानकारियों के अनुसार, अगले कुछ दिनों में इस स्थिति में और उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। जबकि यह एक सैन्य ऑपरेशन है, इसमें मिलिटेंट्स के साथ-साथ सुरक्षा एजेंसियों और क्षेत्रीय सुरक्षा तंत्र की प्रमुख भूमिका है।
ये हमले बस एक और टकराव का हिस्सा हैं। लेकिन आम आदमी को क्या मिलता है? सिर्फ डर और अस्थिरता। इस तरह के सैन्य कार्रवाइयों से कभी शांति नहीं बनती, बस और गहरा घृणा बढ़ता है।
ये तुर्की फिर से अपनी सुरक्षा के नाम पर कुर्दों को निशाना बना रहा है!! ये बस एक बहाना है!! अगर ये असली आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहा होता तो इस्लामिक स्टेट के खिलाफ क्यों नहीं चला जा रहा?! ये सब राजनीति है, बस राजनीति!! और अमेरिका और यूरोप भी इसे छिपा रहे हैं!! ये तो बहुत बड़ा झूठ है!!!
हर तरफ बंदूकें, हर तरफ बम, हर तरफ बेचैनी... लेकिन क्या कोई सोचता है कि इन लोगों के बीच एक दूसरे को समझने का रास्ता हो सकता है? कुर्द लोग भी अपनी पहचान चाहते हैं, तुर्की भी अपनी सुरक्षा चाहती है... लेकिन ये दोनों बातें एक साथ नहीं हो सकतीं? शायद बातचीत की जगह हमने हमेशा बंदूक चलाने का रास्ता अपना लिया है।
इस पूरे मामले में एक बहुत बड़ी बात छिपी हुई है, जिसके बारे में कोई बात नहीं करता-कुर्द लोगों की जमीन, उनकी संस्कृति, उनकी भाषा, उनका इतिहास... ये सब एक ऐसे राष्ट्रीय राज्य के अंतर्गत दबा दिए गए हैं जो उन्हें कभी मानने को तैयार नहीं हुआ। तुर्की ने इन्हें आतंकवादी बनाकर अपनी असफलता को छिपाने की कोशिश की है। क्या आपने कभी सोचा है कि अगर कोई देश आपकी भाषा, आपके नाम, आपके रिवाज़ को गायब करने की कोशिश करे, तो आप क्या करेंगे? आप भी लड़ेंगे। ये लड़ाई आतंकवाद नहीं, अस्तित्व की लड़ाई है। और इस बात को समझे बिना, हम सब बस एक दूसरे को दोष देते रहेंगे।
ये सब अमेरिका का षड्यंत्र है!! वो कुर्दों को बना रहा है अपना औजार और तुर्की को नीचा दिखा रहा है!! भारत भी इस बात पर ध्यान दे!! अगर ये लोग एक दिन भारत में भी बगावत करने लगे तो क्या होगा?! तुर्की बिल्कुल सही कर रहा है!! ये आतंकवादी हैं ना इंसान!! उन्हें गायब कर देना चाहिए!! और ये सब बातें जो लोग बोल रहे हैं वो सब अमेरिका के बेटे हैं!!