तमिलनाडु में राजनीतिक उठापटक
बीजेपी के प्रवक्ता एएनएस प्रसाद ने तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) पर तीखे आरोप लगाए हैं। प्रसाद ने कहा कि डीएमके ने हमेशा से ही परिवारवादी राजनीति को प्राथमिकता दी है और जनता के हितों को नजरअंदाज किया है। इस टिप्पणी का संदर्भ मुख्य मंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन को डिप्टी सीएम बनाए जाने में है। प्रसाद के अनुसार, यह निर्णय पारिवारिक हितों को बढ़ावा देने और जनता के हितों की उपेक्षा का एक प्रमुख उदाहरण है।
डीएमके का 75 वर्षों का इतिहास
प्रसाद ने डीएमके के 75 वर्षों के इतिहास को तमिलनाडु के हितों के साथ 'धोखा' बताया। उन्होंने कहा कि इतनी लंबी अवधि में भी पार्टी ने हमेशा परिवार के हित को ही सबसे ऊपर रखा। डीएमके ने सत्ता में रहते हुए समान भागीदारी का ध्यान नहीं रखा और इनके सहयोगी दलों को सत्ता में शामिल नहीं किया। इसके विपरीत, उदयनिधि स्टालिन को डिप्टी सीएम पद पर नियुक्त कर दिया गया।
यह कदम न केवल सरकार की नीति में परिवारवाद की स्पष्ट झलक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि डीएमके में आंतरिक लोकतंत्र की कमी है। इसके साथ ही, प्रसाद ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्य मंत्री स्टालिन बीजेपी की संभावित जीत की चर्चा कर अपनी पार्टी के अंदरूनी मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं।
नेतृत्व में अस्थिरता का संकेत
प्रसाद ने यह भी कहा कि हाल ही में किए गए मंत्रिमंडल पुनर्गठन से जया जाता है कि डीएमके के भीतर नेतृत्व में अस्थिरता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि स्टालिन की बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ की गई विशेषताएं उनके अपने शासनकाल में भ्रष्टाचार और परिवारवाद के कारण बेअसर हो जाएंगी।
प्रसाद ने यह भी सवाल उठाया कि उदयनिधि स्टालिन की नियुक्ति के बाद और पिछले भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद सेंथिल बालाजी को फिर से मंत्री बनाए जाने के बाद डीएमके सरकार की निष्ठा पर सवाल खड़े होते हैं।
विपक्षी दलों का संयुक्त मोर्चा
बीजेपी प्रवक्ता ने खेद जताया कि डीएमके ने अपने सहयोगी दलों के साथ सत्ता में साझेदारी नहीं की। यह आलोचना मुख्य रूप से डीएमके के नेतृत्व की ओर इशारा करती है, जिसने लगभग अपने लंबे शासनकाल में स्वहित को तरजीह दी।
प्रसाद ने उम्मीद जताई कि 2026 में होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में जनता इस सरकार को जवाब देगी। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि तमिलनाडु के लोग ऐसी सरकार के हकदार हैं जो उनके हित में काम करे, न कि अपने व्यक्तिगत और पारिवारिक हितों को साधने में।
प्रसाद के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी तमिलनाडु में वैकल्पिक शासन देने की कोशिश करेगी, जो वास्तव में जनता के हितों को प्राथमिकता देगा और पारदर्शिता व सुशासन का पालन करेगा।
जनता की प्रतिक्रियाएं और विशेषज्ञों की राय
प्रसाद के बयान के बाद, तमिलनाडु की जनता और राजनीतिक विशेषज्ञों के बीच विभिन्न प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कुछ का मानना है कि डीएमके लंबे समय से अधिकांश निर्णय पारिवारिक हितों को ध्यान में रखकर लेती आई है। वहीं, कुछ लोग इसे केवल राजनीतिक विरोधियों द्वारा किए गए अभियानों का हिस्सा मानते हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह दोनों पार्टियों के बीच आगामी चुनावों के मद्देनजर तीखी बयानबाजी का एक हिस्सा है। डीएमके के समर्थन में रहने वाले लोगों का मानना है कि पार्टी ने अपने शासनकाल में विकास की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।
बड़ी चुनौती
तमिलनाडु की राजनीति में डीएमके और बीजेपी के बीच यह टकराव आने वाले समय में और भी तीखा हो सकता है। दोनों ही पार्टियां पूरी जोर-शोर से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं। अब देखना यह होगा कि वास्तव में जनता किसका साथ देती है और 2026 के विधानसभा चुनावों में क्या परिणाम आते हैं।
तमिलनाडु की जनता चुनावों के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करेगी और इस क्रम में यह देखा जाएगा कि डीएमके के खिलाफ लगाए गए आरोप कितने सही साबित होते हैं।
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