नोबेल पुरस्कार – क्या है, कैसे काम करता है और भारत का क्या योगदान?
नोबेल पुरस्कार हर साल शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन विज्ञान, चिकित्सा और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में असाधारण कार्यों को मान्यता देता है। अगर आप सोच रहे हैं कि इस इम्प्रेसिव टाइटल का आखिरकार मतलब क्या है, तो आप सही जगह पर हैं। यहाँ हम सरल शब्दों में बताएंगे कि नोबेल कैसे चुना जाता है, कौन‑से भारतीय laureates हैं और इस साल की मुख्य खबरें क्या हैं।
नोबेल कैसे चुना जाता है?
विक्टोरिया के शास्त्री अल्फ्रेड नोबेल ने 1895 में अपने वसीयत में बताया था कि उनका पैसा इन छह श्रेणियों में काम करने वाले लोगों को देना है। हर साल विभिन्न अकादमी और संस्थाएँ नामांकित लोगों की सूची तैयार करती हैं, फिर दो-तीन राउंड के मतदान के बाद विजेता चुनता है। प्रक्रिया में कई विशेषज्ञ, पर्दे के पीछे की टीम और कई बार गुप्त सर्वे भी होते हैं, इसलिए अक्सर हम नहीं जान पाते कि कौन क्यों चुना गया।
भारत से जुड़े प्रमुख नोबेल laureates
भारत ने अब तक पाँच नोबेल विजेता दिये हैं – दो शांति पुरस्कार, दो साहित्य और एक आर्थिक विज्ञान का। मोहनदास करमचंद गांधी को 1948 में शांति पुरस्कार मिला, जबकि रवींद्रनाथ टैगोर को 1913 में साहित्य का नोबेल मिला था। सिविल सेवा में काम करने वाले डॉ. हरिशंकर ने 2014 में शांति पुरस्कार के लिए जोरदार प्रयत्न किए, जबकि आर्थिक विज्ञान में 1998 में अमर्त्य सेन को सम्मानित किया गया। इन कहानियों को पढ़ने से हमें समझ में आता है कि कैसे छोटे‑छोटे कदम बड़े बदलाव में बदल सकते हैं।
अगर आप पूछेंगे कि भारत का अगला laureate कौन होगा, तो जवाब में कोई निश्चितता नहीं है। लेकिन विज्ञान, तकनीक और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में लगातार नई पहलें चल रही हैं, तो संभावना ख़त्म नहीं हो सकती।
अब बात करते हैं इस साल की प्रमुख खबरों की। 2024 में नोबेल शांति पुरस्कार को किन कदमों ने योग्य बनाया, कौन‑सी नई खोज ने रसायन विज्ञान में क्रांति लाई, और किस भारतीय विद्वान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर सराहना पाई – ये सब हम यहाँ चर्चा करेंगे।
नोबेल शांति पुरस्कार 2024 को एक अंतरराष्ट्रीय जलवायु समझौते के लिए लाए गए प्रयासों को मान्यता मिली। इस बार चयन समिति ने उन टीमों को चुना जो ग्रीन टेक्नोलॉजी को सस्ते और सुलभ बनाते हैं। यह संकेत देता है कि पर्यावरणीय मुद्दे अब विश्व स्तर पर शांति का अहम घटक बन चुके हैं।
भौतिकी में, क्वांटम एंटरटैंगलमेंट को समझाने वाले एक युवा अनुसंधानकर्ता ने नया सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिससे क्वांटम कंप्यूटिंग में तेज़ प्रगति की संभावनाएं बढ़ी। इसी तरह रसायन विज्ञान में, एक भारतीय टीम ने प्लास्टिक को बायोडिग्रेसबल बनाने वाले एंजाइम का विकास किया, जिसे पाँच साल में बड़े पैमाने पर प्रयोग करने की योजना है।
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एक छोटा ट्रिक – हर जुलाई में सॉल्ट लेक सिटी में आयोजित नोबेल लाउंज में लाइव टॉक होते हैं, जहाँ विजेता अपने अनुभव साझा करते हैं। ये टॉक यूट्यूब पर अक्सर अपलोड होते हैं, तो समय निकाल कर देखिए, बहुत जानकारी मिलती है।
अंत में, नोबेल पुरस्कार सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि मानवता की प्रगति के लिए एक दिशा-निर्देश है। चाहे आप छात्र हों, पेशेवर या सिर्फ ज्ञान का शौकीन, इस पुरस्कार को समझकर आप अपने लक्ष्य को भी बड़ा बना सकते हैं। तो पढ़ते रहें, सीखते रहें और कभी हिचकिचाएँ नहीं कि आप भी कुछ नया करने का सपना देख सकते हैं।