Drik Panchang – आज की तिथि, नक्षत्र, योग
जब हम Drik Panchang, हिन्दू कैलेंडर का डिजिटल संस्करण है जो तिथि, नक्षत्र, योग और शुभ समय बताता है की बात करते हैं, तो यही हमारे दैनिक निर्णयों को ठोस आधार देता है। चाहे सुबह का पूजा‑पाठ हो या व्यापार‑बैठक, सही समय चुनना अब आसान हो गया है।
ड्रिक पंचांग ( Drik Panchang ) की सबसे बुनियादी इकाई तिथि, वर्ष का वह दिन जो चंद्रमा के प्रतिपद से जुड़ा होता है है। प्रत्येक तिथि के साथ नक्षत्र, चंद्रमा की वह कुंडली जो 27 भागों में विभाजित होती है जुड़ी रहती है, जिससे दिन की आध्यात्मिक गुणवत्ता तय होती है। तिथि और नक्षत्र का मिलन योग, दिन में दो खगोलीय स्थितियों का मिलन जो शुभ या अशुभ बताता है बनाता है, जो किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए उपयुक्त समय बताता है।
ड्रिक पंचांग, पारम्परिक पंचांग, हिन्दू धार्मिक कैलेंडर का विस्तृत स्वरूप का आधुनिक रूप है, इसलिए यह केवल धार्मिक पाठ नहीं बल्कि खगोलीय गणना, सूर्य-ग्रहण, चंद्र‑ग्रहण जैसी घटनाओं को भी दर्शाता है। यह जानकारी नहीं सिर्फ ज्यों‑ज्यों भीड़ होती है; बल्कि व्यावसायिक निर्णय, खेती‑बाड़ी, शिक्षा‑पर्यटन आदि में भी बहुत काम आती है। उदाहरण के तौर पर, किसान जब सही नक्षत्र और योग देखता है, तो बीज बोने या फ़सल काटने का समय तय करता है, जिससे उत्पादन बेहतर होता है।
क्या आप कभी सोचते हैं कि एक ही दिन के भीतर क्यों कुछ काम सुगम लगते हैं और कुछ नहीं? इसका कारण अक्सर ड्रिक पंचांग में बताए गए शुभ समय के साथ आपके कार्यों का मिलान नहीं होना है। दिन के चार भाग—भोर, मध्य‑दिन, शाम, रात—में अलग‑अलग योग शामिल होते हैं, और प्रत्येक योग का अपना प्रभाव होता है। तो अगर आप आज का कार्य योजना बना रहे हैं, तो पहले देखें कि आपका प्रमुख कार्य कौन से योग में पड़ता है; फिर देखें कि वह योग शुभ है या नहीं।
इन जानकारियों को ध्यान में रखकर आप आगे की लेखों में गहराई से देखेंगे कि कैसे विभिन्न खेल‑इवेंट, राजनैतिक घोषणाएँ, या आर्थिक आंकड़े ड्रिक पंचांग के योग और नक्षत्र से जुड़ते हैं। अब आप तैयार हैं—आइए इस संग्रह में उन खबरों और विश्लेषणों को देखें जो इस प्राचीन कैलेंडर की आधुनिक उपयोगिता को दर्शाते हैं।