आईजीएसटी: इंटीग्रेटेड जीएसटी की आसान समझ
अगर आप अपना व्यापार ऑनलाइन या विभिन्न राज्यों में चलाते हैं, तो शायद आपने आईजीएसटी का नाम सुना होगा। यह कर इंटर‑स्टेट ट्रेड पर लगता है और कई छोटे‑बड़े सवालों का जवाब देता है। इस लेख में हम बताएँगे कि आईजीएसटी क्या है, यह कैसे काम करता है और आप इसे सही तरीके से कैसे फ़ाइल कर सकते हैं।
आईजीएसटी कैसे काम करता है?
इंटीग्रेटेड जीएसटी (आईजीएसटी) वह कर है जो दो अलग‑अलग राज्य के बीच सामान या सेवाओं की खरीद‑बिक्री पर लगाया जाता है। जब एक राज्य से दूसरे राज्य में माल भेजा जाता है, तो विक्रेता को अपने राज्य में सीजीएसटी (केंद्रीय) और ख़रीदार को अपने राज्य में एसजीएसटी (राज्य) का हिस्सा दिया जाता है। इन दोनों का जोड़ ही आईजीएसटी बनता है।
उदाहरण के तौर पर, अगर दिल्ली में एक निर्माता मुंबई को मशीन बेचता है, तो वह 9% सीजीएसटी और 9% एसजीएसटी (यदि कुल कर 18% है) लेगा। दोनो भाग मिलकर 18% आईजीएसटी बनते हैं, जो अंत में खरीदार के राज्य के कर में समा जाता है। इस तरह दो‑तरफ़ा कर दोनों राज्यों में बंटता है और कर चक्र में कोई खोया‑खोया नहीं रहता।
आईजीएसटी फ़ाइलिंग और रिटर्न कैसे करें?
बहुत से छोटे व्यवसायियों को रिटर्न फॉर्म भरना जटिल लग सकता है, लेकिन अगर आप कदम‑दर‑कदम चलें तो यह आसान हो जाता है। पहले अपने GST पोर्टल पर लॉगिन करें, फिर ‘Returns’ सेक्शन में ‘GSTR‑1’ (सेल्स) और ‘GSTR‑3B’ (सेल्स‑पर्चेज) चुनें। यहाँ आपको अपने सभी इंटर‑स्टेट इनवॉइस भरनी होंगी।
ध्यान रखें कि इनवॉइस में GSTIN, डिलिवरी इंटरेस्ट, कुल मूल्य और कर की दर सही होनी चाहिए। अगर आप एक ही महीने में कई राज्य में सप्लाई करते हैं, तो प्रत्येक ट्रांजैक्शन को अलग-अलग नज़र रखें, इससे रीफ़ंड या टॅक्स क्रेडिट (ITC) क्लेम में दिक्कत नहीं आएगी।
एक और मददगार टिप: अपने अकाउंटिंग सॉफ़्टवेयर को GST पोर्टल के साथ इंटीग्रेट करें। इससे डेटा ऑटो‑फ़िल हो जाता है, मैन्युअल एरर कम होते हैं और समय भी बचता है।
आईजीएसटी के तहत रिवर्स चार्ज मेकैनिज़्म भी है, यानी कुछ सर्विस प्रोवाइडर्स को अपने आप कर चुकाना पड़ता है। अगर आप ऐसी सेवा प्रदान करते हैं, तो इन नियमों को ध्यान से पढ़ें, नहीं तो पेनल्टी लग सकती है।
अंत में, अगर आप पहली बार आईजीएसटी फ़ाइल कर रहे हैं, तो छोटे‑छोटे टेस्ट ट्रांजैक्शन से शुरू करें, फिर धीरे‑धीरे बड़े लेन‑देनों पर लागू करें। ऑनलाइन ट्यूटोरियल और GST हेल्पलाइन भी मददगार हैं। सही समझ और पालन से आपका व्यापार कर‑संवेदनशील बनता है और रिटर्न दायर करने में कोई गड़बड़ी नहीं होती।