जर्मनी के मग्देबर्ग शहर के एक क्रिसमस बाजार में हुई दर्दनाक घटना ने पूरे देश को सदमे में डाल दिया है। यह घटना तब हुई जब एक 50 वर्षीय सऊदी डॉक्टर, तालेब ए., ने अपनी काली BMW को भीड़ भरे बाजार में तेजी से दौड़ा दिया। इस हमले में पांच लोगों की मौत हो गई, जिनमें एक 9 वर्षीय बच्चा भी शामिल है। लगभग 200 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 41 की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। तालेब जोकि 2006 से जर्मनी में रह रहे हैं और बर्नबर्ग में मनोचिकित्सा और मनोविश्लेषण का अभ्यास करते थे, उन पर हत्या, हत्या का प्रयास और शारीरिक क्षति का आरोप है।
जर्मनी के लिए क्रिसमस बाजार न केवल एक व्यापारिक स्थल होते हैं बल्कि ये एक सांस्कृतिक अनुष्ठान भी हैं। देश में लोगों को इस समय का बेसब्री से इंतजार रहता है। हमले के बाद बाजारों में सुरक्षा की दृष्टि से चिंता बढ़ गई है। यह घटना जर्मनी के सामाजिक ताने-बाने और सांस्कृतिक सुरक्षा पर एक चोट है। इस घटना के बाद मग्देबर्ग के आस-पास के शहरों ने अपने बाजारों को रद्द कर दिया है और बर्लिन में पुलिस उपस्थिति को बढ़ा दिया गया है।
जांचकर्ता इस हमले को लेकर पूरी तरह से निराधार नहीं हैं लेकिन तालेब की मानसिकता और विचारधारा को लेकर कुछ चिंताएं जरूर हैं। सोशल मीडिया पोस्ट्स के माध्यम से पता चला कि तालेब ने कुछ समय पहले इस्लाम विरोधी विचार रखे थे और अफ़डी पार्टी की विचारधारा का समर्थन करते थे। उन्होंने जर्मन अधिकारियों पर यूरोप में इस्लामवाद की सख्ती से खिलाफत न करने का आरोप लगाया था। जर्मनी के गृह मंत्री नैन्सी फाइसर ने यह पुष्टि की कि संदिग्ध का रवैया इस्लामोफोबिक था और इसलिए इस पर विस्तृत जांच जरूरी हो गई है।
मग्देबर्ग के इस क्रूर घटनाक्रम ने न केवल स्थानीय जनता को प्रभावित किया है बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी गहरा प्रभाव छोड़ा है। मग्देबर्ग के शहर कैथेड्रल में एक स्मरण सभा की योजना बनाई गई है। पूरे देश में संघीय भवनों पर झंडे आधे झुके रहेंगे। शोकाकुल लोग पास के एक चर्च के बाहर मोमबत्तियाँ जला रहे हैं और फूल चढ़ा रहे हैं। एक बर्लिन चर्च के गायक मंडली ने पीड़ितों के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए 'अमेजिंग ग्रेस' की गवाही दी।
जर्मनी में सुरक्षा मुद्दों और चरमपंथी खतरों को लेकर व्यापक चर्चा चल रही है। हाल के वर्षों में देश में कई आतंकवादी घटनाएं हुई हैं जिन्होंने सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए और सतर्क बना दिया है। विशेष रूप से अगस्त में सोलिंगन में हुए चाकू हमले ने सुरक्षा प्रशासन की ओर ध्यान आकर्षित किया था। वर्तमान स्थिति ने अधिकारियों को सुरक्षा के उपायों को और सख्त करने की दिशा में कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। देश को इस वक्त आतंकवाद से निपटने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा और अराजकता फैलाने वाले तत्वों को नियंत्रित करना होगा।
यह साफ है कि क्रिसमस बाजार में हुए इस हमले ने जर्मनी की सुरक्षा व्यवस्था और समाज के प्रति विश्वास को गहरा धक्का दिया है। यह समय है जब देश को ऐसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके प्रभावी समाधान निकालने की जरूरत है ताकि आगे से ऐसी दर्दनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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