जब जियोर्जिया मेलोनी, इटली की प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली 2025 के मंच पर भारत को वैश्विक संघर्षों के समाधान में ‘बहुत महत्वपूर्ण भूमिका’ देने की बात कही, तो यह केवल कूटनीतिक शिष्टाचार नहीं था; यह दो महाशक्तियों के बीच रणनीतिक साझेदारी का नया मोड़ था।
यह बयान 24 सितम्बर 2025 को न्यूयॉर्क में यूएनजीए के साइडलाइन पर दिया गया, जहाँ नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री के साथ हाल के टेलीफ़ोन चर्चा के बाद यह भाषण आया। दोनों नेताओं ने 10 सितम्बर 2025 को इटली‑भारत रणनीतिक साझेदारी को ‘जॉइंट स्ट्रैटेजिक एक्शन प्लान 2025‑29’ के तहत सुदृढ़ करने पर सहमति व्यक्त की थी।
पृष्ठभूमि और मौजूदा रणनीतिक साझेदारी
भारत‑इटली संबंधों की जड़ें 1950 के दशक तक जाती हैं, लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इनका विकास गति‑वाला हो गया। 2020 में दो देशों ने ‘जॉइंट स्ट्रैटेजिक एक्शन प्लान’ को आधिकारिक रूप दिया, जिसके प्रमुख बिंदु थे:
- रक्षा और एयरोस्पेस में सहयोग – इटली‑निर्मित लड़ाकू विमान की संभावनाएँ;
- स्पेस तकनीक – ISRO और Italian Space Agency (ASI) के बीच संयुक्त मिशन;
- शिक्षा‑विज्ञान विनिमय, साथ ही AI Impact Summit 2026 की मेजबानी भारत में;
- इंडिया‑मिडिल ईस्ट‑यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEEEC) के माध्यम से कनेक्टिविटी बढ़ाना।
इन पहलों ने दोनों देशों को न केवल आर्थिक, बल्कि भू‑राजनीतिक रूप से भी एक-दूसरे के साथ ‘जुड़ाव’ को मजबूत किया है।
संयुक्त राष्ट्र के मंच पर भारत के लिए नई उम्मीदें
यूएनजीए 2025 के दौरान, मेलोनी ने कहा, “अस्थिर अंतरराष्ट्रीय माहौल में भारत की जिम्मेदार, समझदार नेतृत्व विश्व के लिए बहुत बड़ी खबर है।” यह बात विशेष रूप से रशिया‑यूक्रेन युद्ध, मध्य‑पूर्व में चल रहे तनाव और ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दों के संदर्भ में कही गई।
वहीँ, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में भारत‑रशिया तेल व्यापार को ‘युद्ध निधि’ कह कर आलोचना की थी, और 2025 में भारत पर अतिरिक्त 25 % टेरिफ़ लगाया था। मेलोनी की टिप्पणी के बाद, इटली ने भारत को ‘ऊर्जा में स्थिरता’ के लिए ‘विकल्पीय स्रोत’ खोजने में सहयोग का प्रस्ताव दिया।
मध्य‑पूर्व मुद्दों पर इटली‑भारत का सामंजस्य
उसी सत्र में, मेलोनी ने फिलिस्तीन‑इज़राइल संघर्ष पर भी अपनी राय रखी, यह स्पष्ट करते हुए कि “हामास को सरकार से बाहर रखा जाए और सभी इस्रायली बंधकों को रिहा किया जाए तो ही इटली एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीन राज्य मानने पर विचार करेगा।” भारत की स्थिति के साथ इस परस्पर समझ ने दोनों देशों के बीच सामरिक एकरूपता को और गहरा किया।
भविष्य की संभावनाएँ और चुनौतियाँ
आगामी महीनों में निरंतर संपर्क बनाए रखने की योजना है, विशेषकर:
- इंडिया‑EU मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को ‘जल्द से जल्द’ निष्पादित करना;
- AI Impact Summit 2026 को सफल बनाना, जिसमें दोनों nations के स्टार्ट‑अप और तकनीकी संस्थान भाग लेंगे;
- IMEEEC इन्फ़्रास्ट्रक्चर के तहत समुद्री और स्थल शिपिंग लाइन्स का विकास;
- रक्षा उपकरणों के प्रोटोटाइप पर संयुक्त परीक्षण – विशेषकर इटली के फ्रैक्शन‑लेंडिंग केयर सिस्टम और भारत के रेज़र‑फ़्लायट प्रोजेक्ट।
इन पहलों को साकार करने में प्रमुख चुनौती होगी अमेरिका‑भारत‑इटली तीन‑तरफ़ा संतुलन, विशेषकर टैरिफ़ और भू‑राजनीतिक दबावों के बीच। फिर भी, दोनों देशों की आर्थिक और तकनीकी आत्मविश्वास इस जटिल परिदृश्य को नेविगेट करने में मदद कर सकता है।

क्यों यह खबर महत्वपूर्ण है?
पहला, भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय भूमिका को यूरोपीय मित्र‑देशों ने सार्वजनिक रूप से मान्यता दी है। दूसरा, इस कदम से भारत‑EU FTA की गति तेज़ हो सकती है, जो भारत के निर्यात‑आधारित SMEs को बड़ा लाभ देगा। तीसरा, यूएनजीए में इस तरहका उल्लेख अन्य देशों को भी भारत के ‘मध्यस्थ’ भूमिका को अपनाने के लिये प्रेरित कर सकता है, जिससे वैश्विक शांति‑प्रक्रिया में गति आएगी।
मुख्य बातें (Key Facts)
- बयान: 24 सितम्बर 2025, न्यूयॉर्क, यूएनजीए 2025
- प्रमुख अभिनेता: जियोर्जिया मेलोनी, नरेंद्र मोदी
- मुख्य सामग्री: भारत की ‘बहुत महत्वपूर्ण भूमिका’ का उल्लेख, यूक्रेन‑रशिया युद्ध पर समाधान की अपील
- रणनीतिक दस्तावेज़: जॉइंट स्ट्रैटेजिक एक्शन प्लान 2025‑29
- आगामी परियोजनाएँ: IMEEEC, AI Impact Summit 2026, भारत‑EU FTA
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भारत‑इटली रणनीतिक साझेदारी का प्रमुख लक्ष्य क्या है?
जॉइंट स्ट्रैटेजिक एक्शन प्लान 2025‑29 के तहत दोनों देशों का लक्ष्य रक्षा, स्पेस, ऊर्जा और डिजिटल अर्थव्यवस्था में सहयोग को बढ़ाना है, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाएँ 2030 तक 30 % तेज़ सामान्यीकरण हासिल कर सकें।
यूएनजीए में भारत को ‘संघर्षों के समाधानकर्ता’ क्यों कहा गया?
इटली की PM ने भारत के सतत गैर‑सैन्य मध्यस्थता, वार्ता‑सहायता और ऊर्जा‑सुरक्षा उपायों को उजागर किया, जिससे वह रूस‑यूक्रेन, मध्य‑पूर्व और अफ्रीकी दायरे में संभावित मध्यस्थता शक्ति बन रहा है।
भविष्य में IMEEEC इन्फ्रास्ट्रक्चर कैसे काम करेगा?
IMEEEC एक समुद्री‑स्थल शिपिंग कॉरिडोर है जो भारत को यूरेशिया के मध्य‑पूर्वी हिस्से से जोड़ता है; 2026‑27 तक पहली दो लाइनें तैयार होने की उम्मीद है, जिससे वस्तु‑सामान के परिवहन समय में 40 % तक कमी आएगी।
भारत‑EU मुक्त व्यापार समझौते को तेज़ी से निष्पादित करने में क्या बाधाएँ हैं?
मुख्य चुनौतियों में कृषि सब्सिडी, बौद्धिक संपदा अधिकार और अमेरिकी‑वैश्विक टैरिफ़ नीति शामिल हैं; फिर भी इटली‑भारत दोनों पक्षों ने वार्ता को ‘विनियमित‑समीक्षा’ मॉडल पर आगे बढ़ाने का वचन दिया है।
जियोर्जिया मेलोनी ने भारत को विश्व संघर्षों में प्रमुख कहा तो मैं सोचता हूँ कि ये बात बिल्कुल नई नहीं है। भारत की दशकों की कूटनीति इसे इस स्तर पर ले गई है। यूएनजीए में ऐसा बयान देना भी भारत की रणनीतिक महत्व को दर्शाता है। इटली के साथ साझेदारी पहले से ही कई क्षेत्रों में विकसित हो चुकी है। रक्षा, स्पेस और एआई में सहयोग पहले ही मंज़िल पर है। अगर हम देखें तो इटली ने भी भारत के साथ कई संयुक्त परीक्षण किए हैं। इस सारी बातों को देखते हुए अब कहना सही होगा कि भारत एक मध्यस्थ शक्ति बन रहा है। लेकिन क्या यह मायने रखता है जब बड़े देश अपने ही हितों को प्राथमिकता देते हैं? इस सवाल का जवाब शायद असमंजस में ही रहेगा। फिर भी, इटली की इस मान्यता से भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई आवाज़ मिलती है। भारत की ऊर्जा सुरक्षा का मुद्दा भी यहाँ प्रमुख रूप से सामने आया। इटली का सहयोग इस दिशा में भी फायदेमंद हो सकता है। साथ ही, भारत‑EU FTA की प्रक्रिया भी तेज़ हो सकती है। इस तरह के कदम छोटे देशों को भी बड़े मंच पर उपस्थिति दिलाते हैं। अंत में, यह कहना जरूरी है कि बड़े विश्व शक्ति के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं होगा। लेकिन भारत का सक्रिय रोल इसे संभव बना सकता है।