रवींद्र जडेजा ने अपनी लंबी चोट के बाद वापसी का शानदार तरीका अपनाया — चेपाउक की धीमी गेंदबाजी वाली पिच पर तमिलनाडु के खिलाफ 7 विकेट का आँकड़ा दर्ज करके। 26 जनवरी, 2023 को मैच के तीसरे दिन, जब तमिलनाडु को 133 रनों पर आउट करना था, तो जडेजा ने 17.1 ओवर में केवल 53 रन देकर सात विकेट लिए। यह उनकी पहली प्रतियोगी पारी थी, जिसके बाद वे जुलाई 2022 में अपने दाएं घुटने की सर्जरी के बाद लगभग छह महीने तक खेल नहीं पाए थे।
चोट के बाद वापसी: एक असाधारण आगाज
जडेजा की वापसी का आगाज बहुत धीमा था। पहली पारी में, 24 जनवरी को, उन्होंने 17 ओवर गेंदबाजी की, लेकिन कोई विकेट नहीं लिया — 36 रन देकर। तमिलनाडु ने उस पारी में 183/4 का स्कोर बनाया, जिसमें सै सुधर्शन, बाबा अपराजित और बाबा इंद्रजीथ ने 45-45 के समान स्कोर बनाए। लेकिन जब दूसरी पारी शुरू हुई, तो सब कुछ बदल गया। चेपाउक की वही पिच, जहाँ उन्होंने पहले कुछ नहीं किया, वहीं उन्होंने अद्भुत नियंत्रण दिखाया। गेंद ने जमीन पर चिपककर बाहर की ओर बढ़ी, और जडेजा ने उसे बिल्कुल सही तरीके से इस्तेमाल किया।
कैसे बदला खेल का रुख?
दूसरी पारी में तमिलनाडु की बल्लेबाजी अचानक बंद हो गई। जडेजा ने बाबा अपराजित, बाबा इंद्रजीथ, विजय शंकर, और अन्य बल्लेबाजों को एक-एक करके गेंदबाजी की चाल से बाहर कर दिया। उनकी गेंदें बाहर की ओर घूम रही थीं, और बल्लेबाज बार-बार एडजस्टमेंट करने की कोशिश कर रहे थे — लेकिन जडेजा के लिए यह आसान था। जब आखिरी विकेट गिरा, तो तमिलनाडु का स्कोर सिर्फ 133 था। इस पारी के बाद जडेजा ने ट्विटर पर लिखा: "First cherry of the season"। यह एक छोटा सा ट्वीट था, लेकिन उसका मतलब बहुत बड़ा था — उन्होंने अपनी वापसी को एक नए मौसम की शुरुआत बताया।
राष्ट्रीय चयनकर्ता की नजर
इस मैच के दौरान राष्ट्रीय चयनकर्ता श्रीधरन शरथ मैदान में थे। उन्होंने जडेजा को पहले दिन के खेल के बाद बात करते देखा गया। चयनकर्ता ने उनकी फिटनेस, गति और गेंदबाजी के तरीके को ध्यान से देखा। यह निरीक्षण सिर्फ एक रणजी मैच के लिए नहीं था — यह भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फरवरी 2023 में शुरू होने वाली चार मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए तैयारी का हिस्सा था। जडेजा के लिए यह एक बड़ा मौका था। अगर वे फिट नहीं थे, तो टेस्ट टीम में जगह बनाना मुश्किल होता।
सौराष्ट्र की जीत की ओर चलना
तमिलनाडु के आउट होने के बाद, सौराष्ट्र को 266 रनों का लक्ष्य था। दिन के अंत तक, उन्होंने 4/1 का स्कोर बनाया। ओपनर जय गोहिल को पहली ही गेंद पर आउट कर दिया गया — एक दुखद शुरुआत। लेकिन जडेजा की बॉलिंग ने मैच का रुख बदल दिया था। अब टीम के लिए बस यही था कि बल्लेबाजी के लिए अच्छा आधार बनाया जाए।
चेपाउक की पिच और जडेजा की जीत
चेपाउक की पिच आमतौर पर बल्लेबाजों के लिए आरामदायक होती है — लेकिन जब गेंद पुरानी हो जाती है, तो यह घूमने वाले स्पिनर के लिए जानलेवा हो जाती है। जडेजा ने इसी अवसर का इस्तेमाल किया। उनकी पहली पारी में शून्य विकेट के बाद दूसरी पारी में 7 विकेट लेना एक अद्वितीय उपलब्धि है। यह उनके बल्लेबाजी के बाद गेंदबाजी में वापसी का भी संकेत था — जिससे वे टेस्ट मैचों में दोहरी भूमिका निभा सकें।
अगला कदम: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज
इस मैच के बाद, जडेजा को टेस्ट टीम के लिए बुलाया गया। उनकी फिटनेस और गेंदबाजी की ताकत ने चयनकर्ताओं को आश्वस्त कर दिया। फरवरी 9, 2023 को नागपुर के नए महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में शुरू हुई ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में जडेजा ने अपनी वापसी को और भी मजबूत किया। उन्होंने न केवल गेंदबाजी की, बल्कि बल्लेबाजी में भी महत्वपूर्ण रन बनाए। यह वापसी सिर्फ एक अच्छी पारी नहीं थी — यह एक नेतृत्व का संकेत था।
पृष्ठभूमि: चोट और रिहैबिलिटेशन
जडेजा को जुलाई 2022 में दाएं घुटने की सर्जरी करवानी पड़ी। उसके बाद वे भारत के इंग्लैंड दौरे के बाद से कोई भी प्रतियोगी मैच नहीं खेल पाए थे। रिहैबिलिटेशन के दौरान उन्हें बहुत कड़ी मेहनत करनी पड़ी — दैनिक व्यायाम, भौतिक चिकित्सा और गेंदबाजी की अभ्यास सत्र। उनकी टीम ने उन्हें धीरे-धीरे वापस लाने की योजना बनाई। रणजी ट्रॉफी का मैच उनके लिए एक टेस्ट था — और उन्होंने उसे पास कर लिया।
क्या यह एक नया युग शुरू हो रहा है?
जडेजा की इस वापसी ने क्रिकेट दुनिया में एक सवाल उठाया: क्या एक 34 साल का खिलाड़ी अभी भी टेस्ट क्रिकेट के शीर्ष पर बना रह सकता है? उनके बारे में बहुत सारे लोग डरते थे कि उनकी गति और रिकवरी धीमी हो गई होगी। लेकिन चेपाउक पर उनकी इस पारी ने साबित कर दिया कि अनुभव, तकनीक और दिमाग का मिश्रण कितना शक्तिशाली हो सकता है। जडेजा ने सिर्फ विकेट नहीं लिए — उन्होंने एक अहसास दिया कि जब आप दिल से खेलें, तो उम्र कोई बाधा नहीं होती।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
रवींद्र जडेजा की चोट कब हुई थी और उन्हें कितना समय लगा रिकवर होने में?
रवींद्र जडेजा को जुलाई 2022 में दाएं घुटने की सर्जरी करवानी पड़ी, जिसके बाद वे छह महीने तक कोई भी प्रतियोगी मैच नहीं खेल पाए। उन्होंने रिहैबिलिटेशन के लिए दैनिक व्यायाम, भौतिक चिकित्सा और गेंदबाजी के अभ्यास पर ध्यान दिया। रणजी ट्रॉफी में वापसी उनके लिए पहला बड़ा टेस्ट था, जिसे उन्होंने 7 विकेट के साथ पास कर लिया।
चेपाउक की पिच पर जडेजा की पारी क्यों खास थी?
चेपाउक की पिच आमतौर पर बल्लेबाजों के लिए आरामदायक होती है, लेकिन जब गेंद पुरानी हो जाती है, तो यह स्पिनरों के लिए बहुत कठिन हो जाती है। जडेजा ने पहली पारी में 0/36 का आँकड़ा दिया, लेकिन दूसरी पारी में उन्होंने उसी पिच पर 7/53 का आँकड़ा बनाया। इसका मतलब था कि उन्होंने गेंद के व्यवहार को समझा और उसे बिल्कुल सही तरीके से इस्तेमाल किया।
राष्ट्रीय चयनकर्ता श्रीधरन शरथ क्यों चेपाउक पर थे?
श्रीधरन शरथ जडेजा की फिटनेस और गेंदबाजी की ताकत की निगरानी करने आए थे, क्योंकि फरवरी 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज शुरू होने वाली थी। जडेजा के लिए यह एक अहम अवसर था — अगर वे फिट नहीं थे, तो टीम में जगह बनाना मुश्किल होता। उनकी इस पारी ने चयनकर्ताओं को आश्वस्त कर दिया।
जडेजा ने 'First cherry of the season' क्यों ट्वीट किया?
'First cherry of the season' का मतलब है — सीजन की पहली खास चीज। जडेजा ने इसे अपनी वापसी और शानदार पारी के लिए इस्तेमाल किया। यह एक शैली भरा तरीका था जिससे उन्होंने अपने आप को एक नए शुरुआती दौर के रूप में प्रस्तुत किया — जैसे कि एक बार फिर खेलने की जुनून जग गया है।
इस पारी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में जडेजा की भूमिका को कैसे प्रभावित किया?
इस पारी ने जडेजा की फिटनेस और गेंदबाजी की ताकत को साबित कर दिया। उन्हें टेस्ट टीम में जगह मिल गई और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चारों मैचों में गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी दोहरी भूमिका ने भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
क्या जडेजा अब भी टेस्ट क्रिकेट के लिए उपयुक्त हैं?
हाँ। जडेजा की चेपाउक पर यह पारी ने साबित कर दिया कि अनुभव, तकनीक और दिमाग का मिश्रण उम्र से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने अपनी फिटनेस और गेंदबाजी की क्षमता को दिखाया, और बाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट में भी उनका योगदान अहम रहा। वे अभी भी भारतीय टेस्ट टीम के लिए अनिवार्य खिलाड़ी हैं।
इस तरह की पारी तो सिर्फ जडेजा ही बना सकते हैं। चेपाउक पर दूसरी पारी में 7 विकेट? ये तो बस एक बुद्धिमान खिलाड़ी का अंतिम आयुध है - अनुभव, दिमाग, और उस बेहद शांत आत्मविश्वास का जो तुम्हें बाहर निकाल देता है बिना एक भी जोरदार डिलीवरी के।