गौतम अडानी की उत्तराधिकार योजना: परिचय
गौतम अडानी, जो अदानी समूह के संस्थापक और अध्यक्ष हैं, ने अपने विशाल व्यापार साम्राज्य को मजबूती से अगली पीढ़ी को सौंपने के लिए एक सुसंगठित उत्तराधिकार योजना शुरू की है। यह योजना अदानी द्वारा खुद इतनी सटीकता से बनाई गई है, कि यह अन्य व्यापार परिवारों के लिए एक मिसाल बन सकती है।
अदानी समूह की कुल संपत्ति 200 बिलियन डॉलर तक पहुँच गई है, और इस संपत्ति का सुगम और सुरक्षित स्थानांतरण केवल अदानी परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है।
चार उत्तराधिकारियों की पहचान
गौतम अडानी ने अपने दो बेटों, करण (37) और जीत (26), और अपने दो भतीजों, प्रणव (45) और सागर (30) को उत्तराधिकारी के रूप में चुना है। यह चारों एक जुट होकर अदानी समूह को सँभालने की तैयारी में लगे हैं।
उत्तराधिकारी तैयार करने की प्रक्रिया
2018 की शुरुआत में, गौतम अडानी ने अपने बेटों और भतीजों को अहमदाबाद में अपने घर पर बुलाया और उनसे पूछा कि क्या वे अलग-अलग व्यवसायों को संभालना चाहते हैं या एक साथ काम करना। इन चारों ने फैसला किया कि वे मिलकर ही अदानी समूह को चलाएँगे।
इस निर्णय के बाद से, अदानी समूह ने एक मुकाम पर उत्तराधिकार प्रक्रिया शुरू की, जिसमें चारों उत्तराधारियों को अदानी समूह के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग जिम्मेदारियाँ दी गईं। यह सहयोगी नेतृत्व संरचना इस प्रकार से डिजाइन की गई है कि कोई भी उत्तराधिकारी सर्वोपरि न हो।
गौतम अडानी की नेतृत्व शैली
गौतम अडानी का नेतृत्व करने का तरीका विशेष रूप से विपत्ति प्रबंधन और जोखिम उठाने की उनकी क्षमता पर आधारित है। जनवरी 2023 में हिन्डेनबर्ग रिसर्च के आरोपों से उबरने के बाद, अडानी समूह ने बहुत ही शक्तिशाली ढंग से वापसी की।
गौतम अडानी का यह अनुभव उत्तराधिकार योजना में भी झलकता है, जहाँ वह ग्रुप के लम्बे समय तक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए क्रमिक तरीके से और प्राकृतिक रूप से संक्रमण सुनिश्चित करना चाहते हैं।
अदानी समूह का भविष्य
रिपोर्ट की माने तो गौतम अडानी 2030 के शुरुआती वर्षों में रिटायर हो सकते हैं और इसके बाद वह कमान अपने बेटों और भतीजों को सौंप देंगे। यह रणनीतिक योजना उन्हों ने भारतीय व्यापार परिवारों में आमतौर पर देखने वाले उपेक्षा के जोखिम को कम करने के उद्देश्य से बनाई है।
जून 2024 तक, गौतम अडानी की कुल नेट वर्थ 111 बिलियन डॉलर तक पहुँच गई है। यह उत्तराधिकार योजना ना केवल अदानी परिवार के लिए बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
गौतम अडानी की इस विस्तृत और सोची-समझी योजना को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि वह अपने साम्राज्य की स्थिरता और विकास के लिए कितने तत्पर हैं। उनका यह दृष्टिकोण भारतीय व्यवसायिक परिदृश्य में एक नई दिशा दिखा रहा है।
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